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शतरंज चैंपियन विश्वनाथ आनंद के नक्शे कदम पर कानपुर की तीन बेटियां, बड़ी रोचक है उनकी कहानी

शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद जैसा बनने का जुनून रखेन वाली तान्या साक्षी और प्रतीक्षा अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में शुमार बिल्टज क्लासिकल-रैपिड स्पर्धा में भी पहचान बना चुकी हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 10:55 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 10:55 AM (IST)
शतरंज चैंपियन विश्वनाथ आनंद के नक्शे कदम पर कानपुर की तीन बेटियां, बड़ी रोचक है उनकी कहानी
शतरंज चैंपियन विश्वनाथ आनंद के नक्शे कदम पर कानपुर की तीन बेटियां, बड़ी रोचक है उनकी कहानी

कानपुर, जेएनएन। दो अगस्त 1987 का दिन। यही वो तारीख है, आज का दिन है जब शतरंज के खेल में भविष्य के बड़े दिग्गज ने अपनी धमक की गूंज पूरी दुनिया को सुनाई। अंतराष्ट्रीय जूनियर शतरंज चैंपियनशिप में विजेता के रूप विश्व को विश्वनाथन आनंद मिले। इस कारनामे को अंजाम देने वाले वह पहले एशियाई शतरंज खिलाड़ी थे। इसके बाद तो विश्वनाथन आनंद ने शतरंज की हर बिसात पर बड़े-बड़े दिग्गजों को मात दी। वह देश में शतरंज के खिलाडिय़ों के लिए प्रेरणास्रोत बने। उनके जैसा ही बनने का जुनून लेकर शहर की तीन बेटियां भी शतरंज में पहचान बना रही हैं। कई राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय स्पर्धाओं में विजय पताका लहराने वाली तीनों बेटियां प्रतीक्षा, साक्षी व तान्या अंतरराष्ट्रीय शतरंज की रैकिंग में भी शुमार हैं। 

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शतरंज की दुनिया में बना चुकी पहचान

जूही में रहने वाले नरेंद्र वर्मा और भारती की ये तीन बेटियां कैसे शतरंज से जुड़ीं, इसकी कहानी भी कम रोचक नहीं। सबसे छोटी 12 वर्षीय तान्या ने सबसे पहले शतरंज खेलना शुरू किया। इसके बाद बड़ी बहनों ने भी रुचि दिखाई। तान्या के पास सबसे अधिक पदक हैं, उसके बाद 14 वर्षीय साक्षी, फिर सबसे बड़ी प्रतिक्षा के पास। नरेंद्र वर्मा बताते हैं कि बेटियों ने डॉ. सोनेलाल पटेल स्कूल में हुए इनडोर गेम्स को देखकर शतरंज की राह पकड़ी। उनकी ललक को देखकर कोच हरीश रस्तोगी से संपर्क साधा। इसके बाद बेटियों ने हर प्रतियोगिता में लोहा मनवाया। तीनों ही शतरंज की क्लासिकल, बिल्टज, रैपिड स्पर्धा की बेहतर खिलाडिय़ों में पहचानी जाती हैं।

आपसी स्पर्धा से निखारती हैं खेल

तान्या, साक्षी व प्रतिक्षा तीनों ऑनलाइन सॉफ्टवेयर की मदद से खेलकर समय प्रबंधन व खेल की बारीकियों में निपुणता हासिल कर रहीं हैं। प्रतिदिन तीनों बहनें एक-दूजे संग खेलकर खुद के खेल को निखारने का अभ्यास करती है। साक्षी बताती हैं कि तान्या की चालों का तोड़ हम दोनों बहनों के पास नहीं होता।

टाइमिंग और चालों पर बेहतर पकड़

कोच के मुताबिक तीनों बहनों की टाइमिंग के साथ अ'छी चालों पर बेहतर पकड़ है। चालों को तुरंत बदल प्रतिद्वंद्वी पर दबाव बनाना इनकी काबिलियत को दर्शाता है।

विदेशी खिलाडिय़ों को भी दिखा चुकी दम

अमृतसर में पिछले वर्ष हुई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग प्रतियोगिता में साक्षी को 22वां, तान्या को 25वां और प्रतीक्षा को 34वां स्थान प्राप्त हुआ। प्रतीक्षा ने आयरलैंड और यूएसए के खिलाडिय़ों को शिकस्त देकर दबदबा बनाया था।


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