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ठंड बढऩे के साथ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, जानिए क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव

शरीर के एक तरफ का अंग काम नहीं करता है। इस स्थिति को ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) कहते हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 05:03 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 11:33 AM (IST)
ठंड बढऩे के साथ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, जानिए क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव
ठंड बढऩे के साथ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, जानिए क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव

कानपुर, जेएनएन। ठंड बढऩे के साथ ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में उच्च रक्तचाप (हाई बीपी), डायबिटीज (मधुमेह) और दिल के मरीज सतर्क हो जाएं। सुबह सैर (मॉर्निंग वॉक) पर जाने वाले बूढ़े-बुजुर्ग अभी से एहतियात बरतना शुरू कर दें। ठंड में रक्त नलिकाएं सिकुडऩे से प्रवाह में रुकावट से दिमाग की नसें फट जाती हैं। रक्त का थक्का जमने से ब्रेन की क्षमता प्रभावित होती है। शरीर के एक तरफ का अंग काम नहीं करता है। इस स्थिति को ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) कहते हैं।

ठंड में सिकुडऩे लगतीं रक्त नलियां
ठंड बढऩे से साथ बुजुर्गों, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीजों की मुश्किल बढ़ गई है। अस्पतालों की इमरजेंसी में ब्रेन स्ट्रोक, हाई बीपी के मरीज आने लगे हैं। इसमें दिमाग की रक्त नलिकाओं में रक्त का जमाव हो जाता है। ठंड में रक्त नलियां सिकुडऩे से हार्ट को रक्त आपूर्ति में मेहनत करनी पड़ती है। एलएलआर अस्पताल (हैलट) इमरजेंसी में रोज 10-12 ब्रेन स्ट्रोक पीडि़त आ रहे हैं।
यह रहता है खतरा
-40 फीसद की ब्रेन हेमरेज से तुरंत हो जाती है मौत, वजह बीपी बढऩा।|
-60 फीसद अस्पताल पहुंचने के बाद भी अधिक ब्लीडिंग की वजह से बच नहीं पाते।
-30 फीसद युवा कुल मरीजों में, जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम।
यह हैं लक्षण
-बोली में लड़खड़ाहट।
-शरीर के एक तरफ के हिस्से में कमजोरी।
-आधे चेहरे, एक तरफ के हाथ-पैर में कमजोरी।
-एक तरफ के हाथ-पैर काम न करना।
-सिर में तेज दर्द।
-उल्टी और चक्कर आना।
-भ्रम की स्थिति होना।
-सांस लेने में दिक्कत।
-ब्रेन में अधिक ब्लीडिंग से बेहोशी।

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इसका रखें ध्यान
-हार्ट और बीपी के मरीज सुबह एकदम से ठंड में बाहर न जाएं।
-कमरे से बाहर निकलें तो गर्म कपड़े पहने रहें।
-बिस्तर छोडऩे के बाद थोड़ा व्यायाम अवश्य करें।
-सिर, हाथ-पैर अच्छी तरह ढक कर ही बाहर निकलें।
ऐसे करें बचाव
-बुजुर्ग, हाई बीपी, डायबिटीज और हार्ट के मरीज एहतियात बरतें।
-ब्लड प्रेशर नियमित चेक कराएं।
-कोलेस्ट्राल व बीपी नियंत्रित रखें।
-अचानक कमरे से बाहर न निकलें।
-ठंड में बहुत जरूरी होने पर अच्छी तरह गर्म कपड़े पहन कर बाहर जाएं।
-सुबह धूप निकलने पर मॉर्निंग वॉक पर जाएं।
-शरीर गर्म रखने के लिए नियमित व्यायाम करें।
-भोजन में नमक की मात्रा सीमित रखें।

जानें, चिकित्सकों की राय
-जीएसवीएम न्यूरो सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र गुप्ता का कहना है सर्दियों के मौसम में हॉर्ट, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के मरीजों एवं बुजुर्गों को विशेष ध्यान रखना चाहिए। ठंड में रक्त नलिकाएं सिकुडऩे से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए खानपान से लेकर ठंड से बचाव में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। अपने डॉक्टर से मिलकर दवाओं की डोज फिक्स करा लें।
-जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि रक्त नलिकाओं में सिकुडऩ या क्लॉटिंग (नलियों में वसा जमना) के कारण मस्तिष्क में रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है, जिसे इस्कॉमिक स्ट्रोक कहते हैं। मस्तिष्क की धमनियां फटने को हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज कहते हैं। स्ट्रोक के लक्षण दिखने के 24 घंटे के अंदर ठीक होने को ट्रांजिएट इस्कामिक स्ट्रोक कहते हैं। यह ब्रेन स्ट्रोक का संकेत है, फौरन चिकित्सक से संपर्क करें।


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