किडनी, लिवर और आंख को डैमेज करती मिलावटी शराब
जागरण संवाददाता, कानपुर : मिलावटी शराब शुरुआती पांच दिनों तक तीव्र असर करती है। महीने भर तक विभिन्न
जागरण संवाददाता, कानपुर : मिलावटी शराब शुरुआती पांच दिनों तक तीव्र असर करती है। महीने भर तक विभिन्न अंगों को धीरे-धीरे डैमेज करती है। डॉक्टरों के मुताबिक मिलावटी शराब किडनी, आंख, लिवर व ब्रेन के लिए घातक है। मिलावटी शराब की अधिक मात्रा से शरीर के अंग डैमेज होने से जान भी जा सकती है।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि मिलावटखोर अत्यधिक नशे के लिए शराब में अधिक मात्रा में मिथाइल अल्कोहल मिलाते हैं। यह वही केमिकल है जो थिनर बनाने में इस्तेमाल होता है। मिथाइल अल्कोहल का प्रयोग लकड़ी का पेंट तथा नेल पॉलिश छुड़ाने में होता है। ऐसी मिलावटी शराब का एक पैग (60 एमएल) शरीर के लिए घातक है।
ऐसे शरीर पर पड़ता असर
मिलावटी शराब में घुलित मिथाइल अल्कोहल लिवर के एलोजेनिक एंजाइम से मिलते ही फार्मिक एसिड व फॉर्मलडिहाइड में बदल जाता है। अधिक मात्रा में फार्मिक एसिड बनने से शरीर का पीएच (हाइड्रोजन आयन अधिक होने से एसिड बेस होना) गड़बड़ा जाता है। इसका सीधा असर आंख, किडनी, लिवर, आंत व दिमाग पर होने लगता है। एसिड की अधिक मात्रा शरीर में इकट्ठा होने से किडनी क्षतिग्रस्त होने लगती है, क्योंकि ये किडनी के माध्यम से धीरे-धीरे ही यूरीन के जरिये निकलता है। ऐसे में एसिड ब्रेन व अन्य अंगों में जाकर उन्हें डैमेज करने लगता है। एसोडेसिस की वजह से मौत हो जाती है। रक्त में मिथाइल अल्कोहल सीधे जाने से सबसे पहले आख पर असर करता है, जिससे रोशनी चली जाती है।
देश में एंटी डोज उपलब्ध नहीं
डॉ. सिंह के मुताबिक मिलावटी शराब की सटीक दवा एंटी डोज देश में उपलब्ध नहीं है। एक अमेरिकन कंपनी दवा बनाती थी, उसने अपनी भारत की यूनिट बेच दी। उसके बाद से दवा मार्केट में नहीं है।
ब्लड लेवल की नहीं होती जांच
मिलावटी शराब का सेवन करने वालों के रक्त की स्थिति जानने के लिए ब्लड लेवल जांच कराई जाती है। ये जांच भी मेडिकल कालेज में नहीं होती है और न ही शहर में सुविधा उपलब्ध है। यह जांच सिर्फ दिल्ली व मुंबई के बड़े संस्थानों में होती है।
फार्मिक एसिड की अधिक मात्रा से ऐंठन
फार्मिक एसिड अधिक मात्रा में बनने से ही पीड़ितों की मांसपेशियों, पेट व आंत में ऐंठन होने लगती है। उन्हें सिरदर्द, चक्कर, दौरे, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी व गले में जलन की शिकायत होती है। एलएलआर में भर्ती जिन पीड़ितों की मौत हुई है उसमें ऐसे सभी लक्षण थे। यह कह सकते हैं कि मिथाइल अल्कोहल का हैवी डोज मौत की वजह बना।