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अब बेनामी संपत्ति के मामले में फंसे केशव लाल

जागरण संवाददाता, कानपुर : आयकर छापे के दौरान कई करोड़ रुपये के जेवर और नकदी की बरामदगी

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Mar 2018 04:34 PM (IST)Updated: Thu, 08 Mar 2018 04:34 PM (IST)
अब बेनामी संपत्ति के मामले में फंसे केशव लाल
अब बेनामी संपत्ति के मामले में फंसे केशव लाल

जागरण संवाददाता, कानपुर : आयकर छापे के दौरान कई करोड़ रुपये के जेवर और नकदी की बरामदगी के बाद अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किए गए वाणिज्य कर विभाग के पूर्व एडीशनल कमिश्नर केशव लाल अब बेनामी संपत्ति के प्रकरण में फंस गए हैं। नोएडा में खरीदी गईं चार संपत्तियों के मामले में आयकर विभाग ने उन्हें तलब किया था जिस पर बुधवार को वह अपने बयान दर्ज कराने कानपुर आए थे।

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पिछले वर्ष 19 अप्रैल को आयकर विभाग ने वाणिज्य कर एडीशनल कमिश्नर ग्रेड वन जोन वन केशव लाल, संयुक्त आयुक्त डीके वर्मा और उनकी पत्नी आरटीओ (प्रवर्तन) सुनीता वर्मा के आवास और ऑफिस में छापा मारा था। छापे के दौरान तीनों अधिकारियों के आवास से करीब 12 करोड़ रुपये की नकदी मिली थी। इसमें अकेले केशवलाल के यहां से 11 करोड़ की नकदी, आठ किलो सोने के जेवर और दो किलो बुलियन तथा सात संपत्तियों के कागजात मिले थे। उनके 17 लॉकर में संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे।

आयकर विभाग में केशव लाल की जांच चल रही है। जांच के दौरान नोएडा की चार संपत्तियों की विभाग को जानकारी हुई। ये संपत्तियां 2012 से 2016 के बीच खरीदी गई हैं। ये संपत्तियां केशव लाल की पत्नी के नाम हैं। इनकी खरीद के संबंध में आयकर विभाग ने केशव लाल को कानपुर तलब किया था क्योंकि नोएडा कानपुर आफिस के अधीन ही आता है। बुधवार को केशव लाल आयकर भवन आए। सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने उनसे पूछा कि इन संपत्तियों को खरीदने के लिए उन्होंने जो धन खर्च किया, उसका स्त्रोत क्या था। वे इतना धन कहां से लाए। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल केशव लाल इसकी कोई जानकारी नहीं दे सके हैं। आयकर अधिकारी मान रहे हैं कि यह संपत्तियां किसी दूसरे ने खरीदकर उन्हें दी हैं। अधिकारियों के अनुसार इन संपत्तियों की कीमत करीब 10 करोड़ रुपये है। अब इस संबंध में केशव लाल की पत्नी को अगले सप्ताह बयान देने के लिए बुलाने की तैयारी है।

सॉफ्टवेयर कंपनी संचालक केशव की पत्नी

केशव लाल की पत्नी सॉफ्टवेयर कंपनी चलाती हैं। आयकर विभाग को छापे के दौरान मिले दस्तावेज से यह जानकारी मिली। सूत्रों के मुताबिक यह कंपनी जॉब वर्क तो दिखाती थी लेकिन उसका असली कार्य दो नंबर के धन एक नंबर करना है।

कुछ माह जुटाए इतने नए नोट

घूसखोरी और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने को केंद्र सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद किए थे लेकिन केशव लाल ने छह माह के अंदर 11 करोड़ रुपये के नए नोट एकत्र कर लिए थे। एक साथ इतनी बड़ी मात्रा में नए नोट मिलने से अधिकारी भी हैरत में थे।


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