Move to Jagran APP

Kanpur: चिड़िया घर से गायब हुई 200 किलो वजनी तिजोरी की गुत्थी सुलझी, 6 लाख रुपये गायब करने की थी प्लानिंग

Kanpur News संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि चोरी गई तिजोरी बरामद हो गई है। पूरी रकम सुरक्षित है। चोरों को भी जल्द ही गिरफ्तार कर वारदात से पर्दा उठा दिया जाएगा। (Photo- Jagran News)

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaPublished: Sun, 29 Jan 2023 11:25 AM (IST)Updated: Sun, 29 Jan 2023 11:25 AM (IST)
Kanpur: चिड़िया घर से गायब हुई 200 किलो वजनी तिजोरी की गुत्थी सुलझी, 6 लाख रुपये गायब करने की थी प्लानिंग
26 जनवरी की रात चिड़ियाघर से चोरी हुई दो क्विंटल वजनी तिजोरी शनिवार को परिसर से ही बरामद हो गई।

 जागरण संवाददाता, कानपुर: 26 जनवरी की रात चिड़ियाघर से चोरी हुई करीब छह लाख रुपयों से भरी दो क्विंटल वजनी तिजोरी शनिवार को परिसर से ही बरामद हो गई। इसे झील स्थित लकड़ी के पुल के पास सूखे पत्तों में छिपाया गया था। चोर तिजोरी को रात के समय जानवरों के लिए मांस पहुंचाने वाली गाड़ी से बाहर ले जाने की फिराक में थे। हालांकि, पुलिस के हत्थे अभी चोर नहीं चढ़े हैं। फिलहाल, तिजोरी में रखी रकम सुरक्षित है। चार विभागीय कर्मचारी शक के दायरे में हैं, जिनसे पूछताछ की जा रही है।

loksabha election banner

गणतंत्र दिवस पर चिड़ियाघर को 5.95 लाख रुपये की आय हुई थी। यह रकम प्रशासनिक भवन के अंदर दो क्विंटल वजनी एक तिजोरी में रखी गई थी। देर रात चोरों ने पूरी तिजोरी ही उड़ा दी। ताज्जुब की बात यह है कि इस दौरान दरवाजे का ताला तक नहीं टूटा और सीसी कैमरे भी बंद मिले। पुलिस को मामले की सूचना भी करीब 24 घंटे बाद दी गई। ऐसे में साफ संकेत मिल रहे थे कि चोरी में चिड़ियाघर से ही जुड़े कर्मचारी शामिल हैं। इतनी भारी तिजोरी को अकेले उठाना संभव नहीं था, ऐसे में पूरी संभावना है कि वारदात में तीन से चार लोग शामिल होंगे।

ऐसे मिली तिजोरी चोरी गई तिजारी

पुलिस की सजगता और सटीक आकलन के चलते तिजोरी बरामद हुई। पुलिस को पता था कि तिजोरी वजनी है, ऐसे में उसे चिड़ियाघर से बाहर ले जाने के लिए किसी वाहन का प्रयोग किया जाएगा। थाना प्रभारी नवाबगंज प्रमोद पांडेय ने बताया कि इस संभावना को देखते हुए पुलिस ने चिड़ियाघर के अंदर मौजूद सभी बड़े वाहनों की निकासी प्रतिबंधित कर दी थी। यहां तक कूड़ा उठाने वाली गाड़ी भी बाहर नहीं निकलने दी। इसी बीच पुलिस को झील के पास जानवरों को मांस लाने वाली गाड़ी खड़ी दिखी। सुनसान स्थल पर वाहन की मौजूदगी ने पुलिस को यहां जांच पड़ताल के लिए प्रेरित किया। कुछ ही देर में पुलिस को सफलता भी मिल गई। इस वाहन के चालक को भी पुलिस संदेह की नजरों से देख रही है।

चार कर्मचारी संदेह के घेरे में

चोरों ने वारदात को बेहद पेशेवर तरीके से अंजाम दिया था। उन्होंने सीसी कैमरों के तार काट दिए और रिकार्डिंग चिप साथ ले गए। मगर, बाहर की तरफ गेट पर लगे सीसी कैमरे से पुलिस को सुराग मिल गए। सीसीटीवी फुटेज में चिड़ियाघर के दो कर्मचारी राकेश शुक्ला व संतोष मिश्रा 26 जनवरी की रात 12:35 पर गेट के अंदर प्रवेश करते नजर आ रहे हैं। इसके चार मिनट बाद ही 12:39 बजे कैमरे बंद हो गए। पुलिस को इनके अलावा दो अन्य कर्मचारियों पर भी शक है। इन चारों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

तिजोरी तोड़ने में असफल रहे चोर

संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि चोरों ने तिजोरी को तोड़ने की भी कोशिश की थी, लेकिन वे नाकामयाब रहे। उसका हत्था जरूर टूट गया। पुलिस ने तिजारी मिलने के बाद चिड़ियाघर प्रशासन की मौजूदगी में वीडियोग्राफी के साथ तिजोरी का ताला खुलवाया तो पांच लाख 95 हजार छह सौ रुपये सुरक्षित मिले।

11 कर्मचारियों पर जताया था शक

क्षेत्रीय वन अधिकारी दिलीप कुमार गुप्ता की ओर से जो मुकदमा दर्ज कराया गया है, वह अज्ञात के खिलाफ है। हालांकि, तहरीर में 11 संविदा चौकीदारों के नामों का जिक्र है। तहरीर के अनुसार, रात्रिकालीन पहली पाली में शाम पांच से रात एक बजे के बीच चौकीदार इस्माइल खान, विश्वजीत यादव, अंकित, वीर नारायण व महेंद्र की ड्यूटी थी, जबकि रात एक से सुबह नौ बजे तक अनिल पांडेय, वीर नारायण, मोहन, विनीत, संतोष मिश्रा और राकेश शुक्ला काम पर थे। रात्रिकालीन पालियों के प्रभारी भरत सिंह थे। पुलिस इनमें से ही असली चोर को तलाश रही है।

फोरेंसिक टीम को मिले 11 फिंगर प्रिंट

पुलिस की फोरेंसिक टीम भी शनिवार को चिड़ियाघर पहुंची। टीम को कार्यालय के अंदर व तिजोरी से 11 फिंगर प्रिंट मिले हैं। अब संदिग्धों के फिंगर प्रिंट से इनके मिलान कराए जाएंगे। मिलान होने पर आरोपितों के खिलाफ यह पक्के सुबूत होंगे।

पुराने भ्रष्टाचार और गुटबाजी की भी चर्चा जोरों पर

पुलिस की जांच में चिड़ियाघर में हुए भ्रष्टाचार की पुरानी घटनाएं भी सामने आ रही हैं। पड़ताल में सामने आया है कि अजगर और सांपों के लिए चूहे और अन्य खाद्य सामग्रियों की खरीद में भी घोटाला हुआ था। हालांकि इस मामले को चिड़ियाघर प्रशासन ने दबा दिया था। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि इन घटनाओं के पीछे चिड़ियाघर में गुटबाजी जिम्मेदार है। गुटों के बीच आए दिन एक-दूसरे को साजिश कर फंसाने का षडयंत्र रचे जाने की बात सामने आई है। पुलिस सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है।

मीडिया से बात करने में बचते रहे निदेशक, उप निदेशक, रेंजर

चिड़ियाघर के इतिहास में पहली बार प्रशासनिक ब्लाक से चोरी की घटना होने से निदेशक, उप निदेशक, रेंजर व लिपिकीय वर्ग के कर्मचारियों में खलबली मच गई। सभी अधिकारी मीडिया से बात करने में बचते रहे। पूरे दिन बैठक में होने का हवाला देकर अधिकारियों ने घटना की जानकारी नहीं दी। वहीं गुटबाजी के चलते कुछ अधिकारियों ने गलत जानकारियां भी मीडिया को दीं।

रेंजर की बात मान लेती कैशियर, तो नहीं होती घटना

चिड़ियाघर के रेंजर दिलीप गुप्ता ने बताया कि 26 जनवरी को टिकट से मिले पांच लाख 95 हजार रुपये महिला कर्मचारी को दीवार से लगी अलमारी में रखने के लिए कहा था। हालांकि महिला कैशियर अलग से रखी तिजोरी में रकम रखने की जिद पर अड़ी रही। उन्होंने कहा कि यदि कैशियर उनकी बात मान लेतीं तो शायद घटना टल जाती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.