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प्रदेश में शीर्ष पर कानपुर, सड़क हादसों का अनचाहा रिकार्ड

हादसे रोकने की कवायद और जागरुकता अभियान आदेशों व फाइलों में दब गए या फिर फोटो खिंचाने तक सीमित रह गए, नतीजा हादसों का सिलसिला जारी है पर अफसरों को फुर्सत नहीं कि सड़कों पर निकलकर बदइंतजामी के हालात रोक सकें

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 01:28 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 01:28 PM (IST)
प्रदेश में शीर्ष पर कानपुर, सड़क हादसों का अनचाहा रिकार्ड
प्रदेश में शीर्ष पर कानपुर, सड़क हादसों का अनचाहा रिकार्ड

जागरण संवाददाता, कानपुर : गंदगी, प्रदूषण के लिए पहले से बदनाम शहर के खाते में एक और अनचाहा रिकार्ड दर्ज हो गया। यह रिकार्ड है सड़क हादसों का। सिस्टम की नाकामी और बदहाल व्यवस्था की वजह से पिछले वर्ष हुए 1559 हादसों में 698 लोगों की जान चली गई। नतीजा कानपुर शहर प्रदेश भर में सड़क हादसों में शीर्ष पर पहुंच गया। हर दिन शहर में औसतन चार हादसे हो रहे हैं और दो लोग जान गवां रहे हैं। किसी ने अपने बेटे को खोया किसी ने पिता और भाई को। हादसे रोकने की कवायद और जागरुकता अभियान आदेशों व फाइलों में दब गए या फिर फोटो खिंचाने तक सीमित रह गए, नतीजा हादसों का सिलसिला जारी है पर अफसरों को फुर्सत नहीं कि सड़कों पर निकलकर बदइंतजामी के हालात रोक सकें।

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22 ब्लैक स्पॉट्स चिह्नित, सुरक्षा इंतजाम निल

शहर में लोक निर्माण विभाग ने हादसों के 22 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए हैं लेकिन इन्हें ठीक करने की कवायद नहीं हो रही। 

ये हैं ब्लैक स्पॉट

यूटर्न मोड़ अहिरवां, रामादेवी चौराहा, पुरानी चुंगी जाजमऊ, पीएसी मोड़ कृष्णा नगर, जरीब चौकी चौराहा, पनकी पड़ाव, नर्वल मोड़, हाथीपुर मोड़, रूमा, भौंती, चकरपुर मंडी, किसान नगर, घुघुआ पुल, कूष्मांडा मंदिर चौराहा, जवाहर नाला कुआखेड़ा, अफजलपुर फाटकपुर, हरवंशपुर रमईपुर, कोकाकोला चौराहा, कालपी रोड चौराहा, नौबस्ता चौराहा, यशोदा नगर बाईपास, बर्रा बाईपास।

जनवरी से अब तक 51 लोगों ने गंवा दी जान

हादसों की विभीषिका इस साल भी थम नहीं रही। एक जनवरी से अब तक शहर में हुए 170 हादसों में अब तक 51 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले दस दिन में ही करीब 15 लोगों की मौत हो चुकी। इसमें दो हादसों में तीन युवक व तीन महिलाएं भी असमय काल के गाल में समा गईं।

दुर्घटनाओं में प्रदेश में अव्वल

परिवहन विभाग के आंकड़े कहते हैं कि पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़क हादसों वाले शहरों में कानपुर पहले स्थान पर तो राजधानी लखनऊ दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2017 में कानपुर में 682 लोगों की हादसे में मौत हुई, जबकि लखनऊ में 655 लोगों की जान गई। तीसरा स्थान मेरठ और फिर फीरोजाबाद का है। 

कुछ प्रमुख हादसे

- बर्रा बाईपास पर कुंभ से लौट रहे हरियाणा के श्रद्धालुओं की जीप में ट्रक ने मारी टक्कर, तीन महिलाओं की मौत।

- महाराजपुर में शादी समारोह से लौट रहे बाइक सवार तीन युवक ट्रक से भिड़े, मौके पर ही मौत।

- सीसामऊ जीटी रोड पर साइकिल सवार दो छात्रों को सड़क पार करते समय रोडवेज बस ने कुचला, मौत

- अनवरगंज स्टेशन के सामने शादी से लौट रहे स्कूटी सवार दो युवकों की अज्ञात वाहन से कुचलकर मौत।

- सचेंडी में बाइक सवार ससुर व दामाद को बाइक सवार लोडर ने मारी टक्कर, मौके पर ही मौत

- कल्याणपुर में ट्रक ने बाइक सवार को कुचला, मौके पर ही मौत

- बिठूर में स्कूटी सवार दो छात्राओं की मौत, एक की बहन व एक का भाई घायल

- कल्याणपुर में कार की टक्कर से मजदूर की मौत, पत्नी घायल

- कैंट में तेज रफ्तार कार ने ई रिक्शे में मारी टक्कर, दो की मौत

- सचेंडी हाईवे पर तेज रफ्तार ट्रक ने वैन में टक्कर मारी, बुजुर्ग की मौत

- पनकी में दो बाइकों की टक्कर में एक की मौत, गुजैनी में आटो की टक्कर से गार्ड की मौैत

- कोयलानगर में तेज रफ्तार ट्रैक्टर ट्राली पलटने से उसमें सवार दो युवकों की मौत

साल दर साल बढ़ी मृतकों की संख्या 

वाहनों की संख्या और आबादी के साथ सड़क हादसों व उनमें जान गंवाने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। 

वर्ष    - हादसे - मृत  - घायल

2014 - 1265 - 600 - 941

2015 - 1479 - 665 - 1085

2016 - 1451 - 684 - 911

2017 - 1560 - 682 - 1199

2018 - 1559 - 698 - 1211

दिसंबर से फरवरी सबसे ज्यादा हादसे

वर्ष       दिसंबर  जनवरी   फरवरी

2014     114      73       82   

2015     160      82      101

2016     107     103      136

2017     165     101      98

2018     144     102      141

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:::::::हादसों की वजह:::::: 

- तेज रफ्तार से वाहन चलाना और नियंत्रित न कर पाना।

-अपनी लेन पर न चलना और उल्टी दिशा में वाहन चलाना।

- डिवाइडर के कट और मोड़ों पर वाहन चालकों की जल्दबाजी

- सड़कों पर गलत तरीके से वाहनों को खड़ा करना।

- शराब पीकर या नशा करते हुए वाहन चलाना।

- मोबाइल पर या साथ बैठे व्यक्ति से वार्ता के कारण ध्यान बंटने से।

-वाहनों की फिटनेस ठीक न होने के कारण।

सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन सवार हो रहे हादसे का शिकार (फीसद)

पैदल राहगीर   - 13.8

दोपहिया वाहन - 33.0

चार पहिया     - 18.2 

ट्रक, भारी वाहन- 11.6

साइकिल सवार - 2.4

आटो, टेंपो  - 4.8

रोडवेज व निजी बस - 6.1

ई-रिक्शा व अन्य सवारी वाहन- 7.7

हाथ गाड़ी, पशु वाहन- 2.4

घायल इन वाहनों से पहुंच रहे अस्पताल (फीसद)

पीआरवी व थाना पुलिस - 40

आटो, टेंपो व रिक्शा   - 20

सरकारी एंबुलेंस        - 12

खुद या रिश्तेदार की गाड़ी- 22

अन्य वाहनों से        - 06

ये लोग पहुंचा रहे अस्पताल

पुलिस कर्मी - 55.6 फीसद

परिजन व रिश्तेदार- 32.4 फीसद

अज्ञात व्यक्ति  - 6 फीसद

घायल खुद     - 3.5 फीसद

टक्कर मारने वाले चालक- 2.5 फीसद

घायल को पहुंचाएं अस्पताल, पुलिस नहीं करेगी परेशान

हादसों में घायल होने वालों के लिए शुरुआती पहला घंटा अहम होता है। इस दौरान अगर उसे तुरंत प्राथमिक उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। लेकिन पुलिस के डर से लोग अभी भी घायलों को अस्पताल ले जाने से कतरा रहे हैं। मौतों की संख्या ज्यादा होने का एक कारण यह भी है। पिछले दिनों हाईवे पर तीन महिलाओं की मौत इसी वजह से हुई। घायल वाहन सवारों को रोकते रहे लेकिन आधे घंटे बाद श्रद्धालुओं की एक गाड़ी आकर रुकी। जबकि पुलिस अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले को परेशान नहीं किया जाएगा। 

एक्सपर्ट कमेंट

कानपुर शहर में सड़क हादसों का कारण वैज्ञानिक रूप से तलाशने की जरूरत है। यहां की सड़कों और चौराहों पर कई कमियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है। यातायात नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए। सड़कों से पार्किंग और अतिक्रमण हटाने की जरूरत है। उन सभी कारकों को रोकना होगा जो हादसों का सबब बनते हैं। कानपुर में दोपहिया वाहनों की संख्या ज्यादा है लेकिन अधिकांश वाहन चालक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। पुलिस नियमों का उल्लंघन रोकने की बजाए ट्रैफिक कंट्रोल में ज्यादा व्यस्त रहती है। यही वजह है कि रोड सेफ्टी सिस्टम का कल्चर खत्म हो रहा है। इंफोर्समेंट के साथ एजूकेशन का तालमेल भी बनाना जरूरी है। यानी सबको सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति शिक्षित होना और करना पड़ेगा। थोड़ी थोड़ी दूरी पर सड़कों के किनारे वाहनों की अधिकतम रफ्तार के साइन बोर्ड, यातायात नियमों के बारे में प्रचार-प्रसार भी करना होगा। तब यकीनन असर दिखेगा।  

डॉ. रोहित बलूजा, इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजूकेशन, दिल्ली

बोले जिम्मेदार

हादसे रोकने के लिए जरीबचौकी, कोकाकोला चौराहे के आसपास ब्रेकर बनवाए गए हैं। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के साथ निरीक्षण कर सड़कों की और कमियों को देखा जाएगा। हाईवे पर एनएचएआइ से भी आग्र्रह किया जाएगा। कुंभ से फोर्स लौटते ही शहर में अभियान चलाकर नियम तोडऩे वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सुशील कुमार, एसपी ट्रैफिक

शहर में 22 अलग-अलग स्थानों पर ब्लैक स्पाट चिन्हित कर, वहां स्पीड ब्रेकर बनाए गए। संकेतांक लगाए गए। अतिक्रमण हटाया गया। इसके अलावा शहर के बाहर घाटमपुर की ओर दो स्थानों पर यही काम लोक निर्माण विभाग ने कराया। अब जहां-जहां से शिकायतें मिल रही हैं, वहां सड़क को ठीक कराया जा रहा है। राकेश सिंह, अधिशाषी अभियंता, लोक निर्माण विभाग 


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