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Kanpur Rojnamcha Column: लागा खाकी पे दाग छुड़ाऊं कैसे, वसूली ही बन गई उसूल

कानपुर शहर में पुलिस विभाग के अंदर की चर्चाओं को उजागर करता है रोजनामचा कालम। कल्याणपुर थाना अनियंत्रित है और दारोगाओं पर कोई अंकुश नहीं है। चकेरी थाना इन दिनों पुलिस वालों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 12:03 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 12:03 PM (IST)
कानपुर पुलिस की विभागीय गतिविधियों का रोजनामचा।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। कानपुर शहर में पुलिस महकमे में हलचल रहती है और चर्चाएं भी होती हैं। ऐसी चर्चाएं जो सुर्खियां नहीं बन पाती हैं उन्हें रोजनामचा कालम के माध्मय से चुटीले अंदाज में पहुंचाने का प्रयास होता है। इस बार बीते सप्ताह का रोजनामचा कुछ इस तरह है...।

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ऐसे कैसे मिलेगा इंसाफ

महिला अपराध से जुड़ीं दो विवेचनाओं में विवेचकों की जिस तरह की मनमर्जी सामने आई है, उससे लगता है कि कल्याणपुर थाना अनियंत्रित है। दारोगाओं पर कोई अंकुश नहीं है। एक मामले में विवेचक दारोगा ने आरोपित से आनलाइन रिश्वत ली और तमाम नाम निकाल कर धाराएं कमजोर कर दीं। मुकदमा आरोपित सीआरपीएफ के दारोगा की पत्नी ने दर्ज कराया था। दूसरे मामले में विवेचक ने दुष्कर्म पीडि़ता को ताना मार दिया कि वह कोई सती सावित्री नहीं है, दुष्कर्म कोई अपराध नहीं होता। दो महीने बाद भी आरोपित खुलेआम घूम रहा है। उसे मौका दिया जा रहा है ताकि वह गिरफ्तारी के खिलाफ कोर्ट से स्टे ला सके। असल में समस्या है कि ऊपर बैठे अफसर ऐसे विवेचकों के धतकरम छिपाने का काम करते हैं। दोनों घटनाएं कल्याणपुर के प्रभारी निरीक्षक की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़ी करती हैं। ऐसा ही रहा तो भला पीडि़त को इंसाफ कैसे मिलेगा।

लागा खाकी पे दाग, छुड़ाऊं कैसे

चकेरी थाना इन दिनों पुलिस वालों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। पिछले 15 दिनों में यहां पुलिसकर्मियों के खिलाफ दुष्कर्म जैसे अपराध के तीन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, जबकि दो महीने पहले रिटायर्ड इंस्पेक्टर दिनेश चंद्र त्रिपाठी के खिलाफ 11 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म का आरोप लगा था। मुश्किल यह है कि सभी मुकदमों की विवेचना एक ही इंस्पेक्टर के पास है। विवेचना अधिकारी बहुत पसोपेश में हैं कि वह क्या करें। एक तरफ विभाग की इज्जत का सवाल है तो दूसरी तरफ इंसाफ का तराजू। अब तक हुईं विवेचनाएं पीडि़तों को इंसाफ दिलाती ही दिखाई पड़ रही हैं, लेकिन एक मामले में विभागीय दबाव बहुत अधिक है। पीडि़ता कोर्ट में मुकर चुकी है। प्रदेश भर में पिछले दिनों पुलिसकर्मियों के आचरण को लेकर कई घटनाएं सामने आई हैं, जिससे विभाग को शर्मिंदगी उठानी पड़ी। अब देखना यह है कि दाग धुलेंगे या नहीं।

वसूली ही उसूल

पुलिस विभाग यूं ही बदनाम नहीं है, बल्कि कर्मियों की कार्यप्रणाली ही ऐसी ही है कि सवाल उठते रहते हैं। माना यही जाता है कि पूर्वी जोन का चकेरी, पश्चिम का कल्याणपुर छोड़कर दक्षिण के लगभग सभी थाने मलाई वाले हैं। मलाई काटने वाले आठ-दस लोग ही हैं। जुगाड़ भी देखिए कि पिछले दिनों तबादले की बयार चलने के बाद ही वे जहां के तहां बने हुए हैं। चकेरी थाने में तैनात एक सिपाही पूर्व में अपराधियों के साथ विभागीय फैसले लीक करता पकड़ा जा चुका है, लेकिन यादव जी हैं कि इसके बावजूद थानेदारों के दुलारे बने हुए हैं। ऐसे ही दो सिपाही डीसीपी पश्चिम के कार्यालय में भी हैं। वर्षों से वह हर एसपी के किचन कैबिनेट में रहे और मलाई काटी। अब तबादला होने के बाद भी जमे हुए हैं। खबरी बताता है कि असल में इनका उसूल ही वसूली है और यही इनकी ताकत भी है।

इन नेताओं ने गर्त में मिला दिया किला

राजा ययाति के किले पर अवैध कब्जे को लेकर मामला एक बार फिर से गरम है। सनातनी परंपरा के इस संरक्षित स्मारक पर सैकड़ों आशियाने तन गए हैं। एक भूमाफिया ने बाकायदा यहां प्लाङ्क्षटग करके भारतीय पुरातत्व द्वारा संरक्षित स्मारक ही बेच डाला। वैसे तो संस्कृति को बचाने की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, मगर इस मामले में सभी मौन हैं। खबरी के मुताबिक यह ऐसा मुद्दा है, जिसमें चोर, पुलिस, माफिया, नेता और अफसर सभी मिले हैं। अरबों के इस खेल में सभी की जेबें गरम हुई हैं। एक बड़े नेता जी बड़े मुकाम पर हैं, लेकिन उन्होंने भी चुप्पी साध ली है। आखिर नोट और वोट का जो मामला ठहरा। नेता जी भी लाभार्थियों में शामिल हैं। भाषणों में संस्कृति बचाने का दावा करने वाले नेता जी की आंखों के आगे पुरातन सभ्यता का गवाह रहा किला ढह रहा है, लेकिन उसके हक में बोलने वाला कोई नहीं है।


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