Kanpur Ramleela 2022: दस तस्वीरों में देखें कानपुर की अबतक की पूरी रामलीला, खास है लंका दहन और सीता स्वयंवर
Kanpur Ramleela 2022 कानपुर के परेड में 146वीं रामलीला का मंचन हो रहा है। यह रामलीला अपने आप में कुछ खास है इसलिए इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। आज हम आपको इस खास रामलीला की बेहद खूबसूरत 10 तस्वीरें दिखाने जा रहें है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। शहर में वैसे तो रामलीला का मंचन शस्त्रीनगर, अर्मापुर, जाजमऊ और कल्याणपुर में हो रहा है लेकिन परेड में सबसे पुरानी 146वीं रामलीला खास आकर्षण का केंद्र बनी है। यहां पहले दिन से ही दर्शकों की भीड़ उमड़ रही है। 25 सितंबर को मुकुट पूजन से रामलीला की शुरुआत हुई और प्रतिदिन अलग प्रसंग की लीला क्रम जारी है। यहां तस्वीरों में अबतक की रामलीला के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं..।
1-परेड में आयोजित 146 वर्ष प्राचीन रामलीला की शुरुआत मुकुट पूजन से गई, पंडितों ने मंत्रोच्चारण से पूजन किया और रामलीला का शुभारंभ कराया।
2- प्रथम दिवस दिन रविवार को नारद मोह, रामजन्म और प्रभु राम की बाल लीलाओं का मंचन हुआ। बाल रूप प्रभु श्रीराम को गोद में लेकर माता कौशल्या, कैकई और सुमित्रा ने दुलार दिया।
3-द्वितीय दिवस दिन सोमवार को ताड़का वध, जनक नगर भ्रमण, फुलवारी लीला एवं गौरी पूजन का मंचन किया गया। प्रभु श्रीराम ने ताड़का वध किया तो साधु-संतों ने प्रभु को नमन किया।
4-तृतीय दिवस मंगलवार को धनुष यज्ञ, लक्ष्मण-परशुराम संवाद की लीला के मंचन ने दर्शकों को बांधे रखा। प्रभु श्रीराम ने शिव धनुष को तोड़ा तो पुष्प वर्षा के साथ पंडाल में श्रीराम के जयकारे गूंज उठे।
5- चतुर्थ दिवस बुधवार को श्रीराम बरात, सीता-राम विवाह और अयोध्या विवाह उत्सव की लीला का मंचन किया गया। श्रीराम-सीता के विवाह पर दर्शक ने जयकारे लगाकर पंडाल गुंजायमान कर दिया।
6- पंचम दिवस गुरुवार को कैकेयी कोप भवन, श्रीराम वनवास लीला के मंचन ने दर्शकों को भावुक कर दिया। श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के वन जाने पर दशरथ का विलाप से आंखें नम हो गईं।
7- षष्टम दिवस शुक्रवार को केवट संवाद, चित्रकूट वास, दशरथ मरण एवं भरत मनावन लीला का मंचन हुआ। केवट संवाद सुनकर दर्शकर भक्ति भाव से विभोर हो गए।
8- सप्तम दिवस शनिवार को जयंत लीला, सीता अनसुइया उपदेश, पंचवटी विश्राम, शूर्पण्खा प्रसंग, सीता हरण और जटायु मोक्ष लीला ने दर्शकों को बांधे रखा। रावण की बहन शूर्पण्खा की नाक लक्ष्मण ने काटी तो पंडाल ठहाकों से गूंज उठा।
9- अष्टम दिवस रविवार को कबंध वध, शबरी मिलन, हनुमान मिलन, सुग्रीव मिलन, बालि वध और लंका दहन लीला का मंचन हुआ।
हनुमान जी ने उछल-कूद करते हुए पूरी लंका को आग के हवाले कर दिया। लंका जलने पर दर्शकों ने श्रीराम की जय-जयकार की।
10- नवम दिवस सोमवार को विभीषण शरणागत, सेतुबंध, रामेश्वर स्थापना, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति और कुंभकरण वध का मंचन हुआ।
सागर में सेतु बनाकर लंका पहुंचना और कुंभकरण वध पर पंडाल जय-जयकार से गूंज उठा।