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डी-2 गैंग के सुपारी किलर के खिलाफ शहर के आठ थानों में दो दर्जन मुकदमे, तैयार कर रहा शॉर्प शूटर

पुलिस ने पिछले दिनों पकड़कर छोड़ दिया था अब उसका ठिकाना बजरिया बना हुआ है। उसके लिए पुलिस का नरम रवैया फिर एक विकास दुबे तैयार कर रहा है। शहर के कई थानों में उसकी धमक बरकरार है और पुलिस कर्मी उसे हर गतिविधि की सूचना पहुंचाते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 09:44 AM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 09:44 AM (IST)
डी-2 गैंग के सुपारी किलर के खिलाफ शहर के आठ थानों में दो दर्जन मुकदमे, तैयार कर रहा शॉर्प शूटर
कानपुर में हिस्ट्रीशीटर अपराधी पर पुलिस मेहरबान है।

कानपुर, जेएनएन। पुलिस ने पिछले दिनों अभियान चलाकर सट्टा, जुआ और ड्रग्स के धंधे से जुड़े तमाम अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा, लेकिन हार्डकोर अपराधी अभी अफसरों की नजरों से दूर हैं। कुछ पुलिस कर्मियों के नरम रवैये और संरक्षण के कारण कई अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं। इनमें से ही एक है डी-2 गैंग का सुपारी किलर, जिसके खिलाफ लगभग दो दर्जन मुकदमे दर्ज हैं।

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एक समय डी-2 गैंग का पूरे शहर में आतंक था। धीरे-धीरे इसके शूटर पुलिस ने विभिन्न मुठभेड़ों में मार गिराए। बजरिया निवासी हिस्ट्रीशीटर अपराधी डी-2 गैंग की पुरानी खेप का आखिरी स्तंभ है। करीब दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी शहर के आधा दर्जन थानों में इसकी पूरी धमक है। कुछ पुलिस वाले सिर्फ उसे संरक्षण ही नहीं देते हैं, बल्कि उसके खिलाफ हर संभावित कार्रवाई की सूचना भी पहुंचा देते हैं।

लंबा चौड़ा है आपराधिक रिकार्ड

इस अपराधी का आपराधिक रिकार्ड लंबा चौड़ा है। वर्ष 2006 में इसके खिलाफ घाटमपुर में आम्र्स एक्ट के तहत पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। उसी साल कर्नलगंज में एक वकील की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसके अपराध का ग्राफ साल दर साल बढ़ा। कुख्यात अपराधी जावेद रिंग वाला की हत्या करके अपराध की दुनिया में अपना सिक्का जमाकर डी-2 गैंग का प्रमुख शूटर बन गया।

पुलिस रिकार्ड में उसके खिलाफ वर्ष 2020 तक बजरिया, कर्नलगंज, चमनगंज, अर्मापुर, बाबूपुरवा, जूही, घाटमपुर और रेल बाजार में 23 मुकदमे दर्ज हैं। कर्नलगंज में वर्ष 2006, बाबूपुरवा व जूही में वर्ष 2011, चमनगंज में वर्ष 2014 में हत्या की वारदातें इसने कीं। इसके साथ हत्या के प्रयास के पांच, मारपीट के चार, गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट और एनडीपीएस एक्ट में मुकदमे दर्ज हैं। सबसे अधिक आठ मुकदमे अकेले बजरिया थाने में हैं। 

हिरासत में लेने के बाद भी था छोड़ा

पिंटू सेंगर हत्याकांड में भी इसका नाम आया था। तब पुलिस ने पकड़ा भी था। हिरासत में रखकर पुलिस ने एक सप्ताह तक पूछताछ की थी, लेकिन बाद में क्लीनचिट देकर छोड़ दिया था। दावा यहां तक लोग कर रहे हैं कि इसने ही शूटर मुहैया करने में मुख्य साजिशकर्ताओं की मदद की थी। सूत्रों के मुताबिक, शहर में होने वाली बड़ी हत्या की घटनाओं में इसके ही शूटर शामिल होते हैं। इसके पास कम उम्र के लगभग डेढ़ दर्जन शूटर हैं, जिन्हें ये 20 हजार से एक लाख रुपये वारदातों को अंजाम देने के लिए देता है। इसके एवज में ये लाखों की सुपारी लेता है।

  • -अपराधी के बारे में पुलिस को इनपुट मिला है। गिरफ्तारी के लिए टीमें लगाई गईं हैं। जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होगा। अगर कोई पुलिसकर्मी मदद कर रहा है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। - डॉ. अनिल कुमार, एसपी पश्चिम।

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