तंत्र के गण : कोरोना काल में काकादेव थाना प्रभारी ने पेश की इंसानियत की मिसाल, जरूरतमंदों की मदद कर बन गए उदाहरण
लखनऊ में बेकरी का व्यापार करने वाले बेटों सुधीर कुमार मिश्र और सुनीत कुमार मिश्र ने भी पांच-पांच हजार रुपये की कमाई चेक के माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष में दान की। कुंज बिहारी मिश्रा कोरोना काल में थाना नौबस्ता में तैनात थे।
कानपुर, [गौरव दीक्षित]। कोरोना संक्रमण काल के दौरान सख्ती से नियमों का पालन कराने के साथ ही जरूरतमंदों को आर्थिक मदद देकर काकादेव थाना प्रभारी ने इंसानियत की मिसाल पेश की। इस संकल्प को पूरा करने में उनके परिवार ने उन्हें प्रेरित किया था। उनके दोनों बेटों ने भी पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए अपनी कमाई का कुछ हिस्सा जरूरतमंदों की सेवा के लिए दान किया।
अंशदान के आग्रह से हुए प्रेरित
मूलरूप से सीतापुर के गांव एकडला निवासी कोहना थाना प्रभारी कुंज बिहारी मिश्र ने बताया कि कोरोना काल में विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने सभी कर्मचारियों से एक-एक दिन के वेतन का अंशदान करने के लिए प्रेरित किया था। वह रूटीन चेकअप कराने के लिए लखनऊ गए थे। जहां उन्होंने स्वजन के बीच इस बारे में चर्चा की। बातचीत में बेटों ने उन्हें प्रेरित किया कि वर्षों से विभाग और देश ने उन्हेंंं वेतन के रूप में समाज में जीविका चलाने का भरपूर प्रबंध किया है। पहली बार देश को जरूरत है तो हमें आगे बढ़कर आना चाहिए। बेटों ने उन्हेंंं पूरे माह का वेतन अंशदान में देने के लिए प्रेरित किया था। शहर लौटने के बाद उन्होंने तत्कालीन डीआइजी के सामने एक माह का वेतन अंशदान में देने की इच्छा जाहिर करते हुए अनुमति मांगी। डीआइजी की अनुमति मिलने के बाद उन्होंने अनुमति पत्र बैंक शाखा में भेजा। जहां बैंक में सिर्फ हस्ताक्षर करके वह लौट आए थे। उन्होंने वेतन का 75 हजार रुपये कोरोना संक्रमितों और उनके स्वजन के इलाज में दान कर दिया। उनके इस कार्य में उनके बेटों ने भी सहयोग किया। लखनऊ में बेकरी का व्यापार करने वाले बेटों सुधीर कुमार मिश्र और सुनीत कुमार मिश्र ने भी पांच-पांच हजार रुपये की कमाई चेक के माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष में दान की। कुंज बिहारी मिश्रा कोरोना काल में थाना नौबस्ता में तैनात थे। पूरे समय वह आपदा से लडऩे में लगे रहे। इससे पहले वह डीआइजी के पेशकार भी रह चुके थे।