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Kanpur में इलाज कराना चाहते है तो जरूर पढ़ें यह खबर, अब जीएसवीएमसी में नहीं होगा संक्रामक बीमारियों का इलाज

कानपुर में हैलट अस्पताल को मिली संक्रामक रोग अस्पताल के लिए दान में मिल जमीन को शासन ने हृदय रोग संस्थान को आवंटित कर दी है। जिसके कारण अब GSVMC मेडिकल कॉलेज में संक्रामक रोग का इलाज नहीं हो पाएगा।

By Nitesh MishraEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 04:12 PM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 04:12 PM (IST)
Kanpur में इलाज कराना चाहते है तो जरूर पढ़ें यह खबर, अब जीएसवीएमसी में नहीं होगा संक्रामक बीमारियों का इलाज
कानपुर के जीएसवीएमसी अस्पताल में अब संक्रामक रोगों का इलाज नही हो सकेगा।

कानपुर, जागरण संवाददाता। देशभर में हर साल संक्रामक बीमारियां कहर बरपाती हैं। दो साल से वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) सक्रिय है। इसके अलावा एचआइवी, डिप्थीरिया और टिटनेश जैसी गंभीर बीमारियां भी हैं।

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जिनके गंभीर मरीज नगर ही नहीं आसपास के 15-16 जिलों से इलाज के लिए जीएसवीएम मेडिकल कालेज (जीएसवीएमएमसी) के एलएलआर (हैलट) के संक्रामक रोग अस्पताल (आइडीएच) पहुंचते हैं। बावजूद इसके शासन ने हैलट के आइडीएच की वर्ष 1963 में दान में मिली भूमि लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान को आवंटित कर दी।

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने वर्चुअल बैठक के जरिए एमओयू का हवाला देते हुए कालेज प्रशासन को दान में मिली भूमि आवंटित करने से मना कर दिया था। उनके आदेश को दरकिनार कर शासन ने संपूर्ण आइडीएच अस्पताल व उसकी भूमि हृदय रोग संस्थान को दे दी। अब वहां कार्य शुरू करने की तैयारी है। इससे अब GSVMC में संक्रामक बीमारियों का इलाज नहीं हो सकेगा।

दीनानाथ बागला ने वर्ष 1963 में गोल चौराहा स्थित भूमि संक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए प्रदान की थी। मेडिकल कालेज के जिम्मेदारों के मुताबिक दानदाता ने मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) में स्पष्ट किया है कि यहां संक्रामक रोगों का ही इलाज होगा, भविष्य में इस भूमि का इस्तेमाल नहीं बदला जाएगा।

यहां तक उनके परिवार के सदस्य भी इसे नहीं बदल सकेंगे। फिर भी शासन ने आइडीएच का आधा हिस्सा पूर्व में हृदय रोग संस्थान को आवंटित कर दिया था। उसके आधे हिस्से में संक्रामक रोग अस्पताल संचालित हो रहा है। वहां संक्रामक बीमारियों के मरीज भर्ती होते हैं। इस अस्पताल में एचआइवी संक्रमित व नशे का सेवन करने वालों के इलाज का भी सेंटर है।

एआरटी प्लस सेंटर व आएसडी सेंटर : आइडीएच में एआरटी प्लस सेंटर चल रहा है, जहां आसपास के जिलों के एचआइवी संक्रमित व एड्स पीड़ित इलाज के लिए आते हैं। इसके अलावा यहां इंजेक्शन से जानलेवा नशा करने वालों के लिए ओरल सब्सीट्यूट थेरेपी (ओएसटी) सेंटर भी संचालित है। संपूर्ण आइडीएच की भूमि शासन के स्तर से हृदय रोग संस्थान को आवंटित करने से इन सेंटरों के संचालन में भी दिक्कत आएगी।

एमसीआइ की मान्यता के लिए जरूरी : नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के मानक में मेडिकल कालेज में संक्रामक रोग अस्पताल (आइडीएच) जरूरी है। एमएमसी के निरीक्षण के दौरान मेडिकल कालेज में आइडीएच न होने पर मान्यता भी खत्म करने की संस्तुति हो सकती है। फिर भी शासन ने एमएमसी के मानक को दरकिनार कर दिया।

संक्रमाक रोग अस्पताल के लिए भूमि नहीं : प्राचार्य प्रो. संजय काला का कहना है कि शासन ने दो माह में भूमि हस्तांतरित करने का निर्देश दिया है। अब खाली भूमि नहीं है, जहां संक्रामक रोग अस्पताल बनाया जा सके। अब संक्रामक बीमारियों से पीड़ितों का इलाज प्रभावित होगा। पूर्व में जब मेडिकल कालेज को इंस्टीट्यूट बनाने की कवायद हो रही थी। उस समय हृदय रोग संस्थान को शामिल किया जा रहा था। तब वहां के जिम्मेदारों ने दान का हवाला देते हुए शामिल होने से इन्कार कर दिया था। अब दान में मिले आइडीएच की भूमि वह कैसे हासिल कर सकते हैं।

यह है स्थिति

5100 - एआरटी प्लस सेंटर में पंजीकृत एचआइवी संक्रमित।

0250 - जानलेवा नशा करने वाले हैं पंजीकृत।

150-175 - एचआइवी संक्रमित ओपीडी में रोजाना आते हैं।

15-20 - मरीज संक्रामक बीमारियों से पीड़ित भर्ती रहते हैं।

आइडीएच की भूमि दान में मिली है। दानदाता ने अपने एमओयू में स्पष्ट कहा है कि इसका भू-स्वामित्व हैलट अस्पताल के पास रहेगा। प्रमुख सचिव को वर्चुअल बैठक में समस्त पहलुओं से अवगत कराया था, तो उन्होंने इस भूमि को हस्तांतरित न करने के लिए कहा था। फिर भी प्रमुख सचिव के आदेश की अनदेखी करते हुए आदेश निर्गत कर दिया गया। आदेश प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा के माध्यम से नहीं भेजा गया है, जबकि वह विभाग प्रमुख हैं। शासन का यह आदेश दानदाता के एमओयू का स्पष्ट उल्लंघन है। इसलिए शासन को पत्र लिखकर उन पहलुओं की जानकारी दी है।- प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज। 


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