Move to Jagran APP

Kanpur : राजस्व कर्मियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे किसान, खतौनी में नाम गलत होने से लगा रहे कोर्ट के चक्कर

कानपुर में किसान राजस्व कर्मियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे है। खतौनी में नाम गलत होने से कोर्ट के चक्कर काट रहे है। वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री का पत्र लेकर भटक एक पीड़ित दो साल से भटक रहा है।

By Nitesh MishraEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 03:51 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 03:51 PM (IST)
Kanpur : राजस्व कर्मियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे किसान, खतौनी में नाम गलत होने से लगा रहे कोर्ट के चक्कर
कानपुर में किसान लगा रहे कोर्ट के चक्कर।

केस एक: घाटमपुर के जगदीशपुर निवासी रामदेव शुक्ल ने रमईपुर में 1999 में जमीन खरीदी थी, जिसका दाखिल खारिज भी करवा लिया था। अक्टूबर 2020 में जब खतौनी निकाली तो उसमें कई और नाम गलत तरीके से दर्ज मिले। गलती सही कराने के लिए चक्कर लगाने शुरू किए। राहत नहीं मिली तो पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा से भी लिखवाकर ले आए। बावजूद इसके दो साल से चक्कर काट रहे हैं।

loksabha election banner

केस दो: अर्रा गांव निवासी छत्रपाल सिंह ने वर्ष 2016 में प्रार्थना पत्र देकर खतौनी में चढ़े गलत नाम हटाने की अपील की। एसडीएम कोर्ट ने इस मामले में उसी वर्ष छब्बू सिंह का नाम हटाकर छत्रपाल समेत कई नाम चढ़ाने के आदेश कर दिए। आदेश से प्रभावित किसी पक्ष ने रेस्टोरेशन (सुधार के लिए अर्जी) डाली, जिसके बाद से मामला आज भी एसडीएम कोर्ट में लंबित है।

कानपुर, [आलोक शर्मा]। खतौनी में अगर नाम ऊपर नीचे हो गया या फिर गलत दर्ज हो गया तो जितनी आसानी से यह गलती होती है उतनी आसानी से इममें सुधार नहीं है। राजस्व कर्मचारियों की इस जरा सी गलती का खामियाजा किसानों अथवा जमीन मालिकों को लंबे समय तक भुगतना पड़ता है। खबर के साथ दिए गए दो उदाहरण तो महज बानगी हैं, एसडीएम कोर्ट में ऐसे 135 मामले लंबित हैं। जिनकी खतौनी में नाम गलत दर्ज हुआ है। वह सुबह समस्या लेकर तहसील पहुंचते हैं और शाम को निराशा लेकर गांव लौट जाते हैं।

धारा 31/32 के तहत सुने जाते हैं मुकदमे

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 की धारा 31/32 के तहत संशोधन के मामले सुने जाते हैं। खतौनी में नाम संशोधन, रकबा संशोधन, पते का संशोधन, पति-पत्नी अथवा रक्त संबंधी का नाम गलत होने पर इसके लिए आवेदन देना होता है। इस आवेदन पर संबंधित अधिकारी रिपोर्ट मंगाते हैं। रिपोर्ट आने के बाद खतौनी में जमीन के अन्य खाता धारकों को भी तलब किया जाता है। सभी के बयान दर्ज होने के बाद नाम संशोधन होता है।

पांच वर्ष से अधिक पुराना मामला सुनते हैं एसडीएम

पांच वर्ष से अधिक पुराना मामला है तो यह एसडीएम कोर्ट में सुना जाता है, जबकि पांच वर्ष के अंदर के मामले कानूनगो के न्यायालय में सुने जाते हैं। ऐसे में एसडीएम कोर्ट में लंबित 135 मामलों में क्षेत्रीय कानूनगों के यहां चल रहे मुकदमों की संख्या जोड़ी जाएगी तो यह कहीं अधिक निकलेगी।

खतौनी प्रत्येक पांच वर्ष में दुरुस्त की जाती है। ऐसे में मानवीय भूल के तहत गलतियां हो सकती हैं। इन्हें सुधारने के लिए प्रक्रिया है, जिसके तहत ही खतौनी में सुधार होता है।- रितेश सिंह, तहसीलदार सदर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.