Kanpur Metro Project: मेट्रो को दूसरे ट्रैक पर ले जाने के लिए आइआइटी स्टेशन के पास रखा गया पहला आइ गार्डर
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन ने 16-17 दिसंबर की रात में आइआइटी स्टेशन के पास पिलर संख्या नौ व 10 पर आइ गार्डर रखा। नौ किमी लंबे कारीडोर में दोनों टर्मिनल स्टेशन आइआइटी मोतीझील डिपो लाइन और पॉलिटेक्निक डिपो ले जाने के लिए आइ गार्डर लगाए जाएंगे।
कानपुर जेएनएन। मेट्रो को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर ले जाने के लिए बीती रात यूपी मेट्रो कॉरपोरेशन ने आइआइटी स्टेशन के पास पहला आइ गार्डर रखा। आइआइटी से मोतीझील के बीच मेट्रो के पहले काॅरीडोर में 178 आइ गार्डर रखे जाएंगे।
मेट्रो के ट्रैक को जहां क्राॅस करना होता है, वहां यू गार्डर की जगह आइ गार्डर का प्रयोग किया जाता है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन ने 16-17 दिसंबर की रात में आइआइटी स्टेशन के पास पिलर संख्या नौ व 10 पर आइ गार्डर रखा। नौ किमी लंबे कारीडोर में दोनों टर्मिनल स्टेशन, आइआइटी, मोतीझील, डिपो लाइन और पॉलिटेक्निक डिपो ले जाने के लिए आइ गार्डर लगाए जाएंगे। सभी स्थानों पर लगभग 27 मीटर लंबे आइ गार्डर रखे जाने हैं। इनकी चौड़ाई एक मीटर है और वजन करीब 58 टन है।
यू गार्डर से ऐसे अलग होता है आई गार्डर
मेट्रो के एलीवेटेड कारीडोर में जिस स्थान पर ट्रेन को दूसरे ट्रैक पर क्रास कराना होता है वहां यू गार्डर की जगह आइ गार्डर रखे जाते हैं। दो खंभों के बीच पियर कैप के ऊपर दो यू गार्डर रखे जाते हैं, जबकि इतनी ही जगह में चार आइ गार्डर रखे जाते हैं। यू गार्डर की तरह आई गार्डर में कोई दीवार नहीं होती, इससे ट्रेन आसानी से एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर जा सकती है।
आइ के आकार का...
आइ गार्डर अंग्रेजी के आइ शब्द की तरह बिल्कुल सीधा होता है। इन्हें भी कास्टिंग यार्ड में पहले से ढाला जाता है। क्रेन से इन्हें तय स्थान पर रखा जाता है। इन पर स्लैब तैयार की जाती है जबकि प्री कास्ट यू गार्डर में स्लैब या नीचे का आधार पहले से तैयार होता है।