कानपुर-लखनऊ रेल रूट तीन घंटे ठप रहा, स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को अलग रूट से निकाला गया
क्रॉसिंग के पास होने वाले कार्य को लेकर सुबह नौ से शाम पांच बजे तक सड़क यातायात को डायवर्ट किया गया था। वाहन सवारों के लिए उन्नाव से करोवन जाने वाले मार्ग पर पडऩे वाली क्रॉसिंग रही। शाम पांच बजे तक यातायात सुचारू हो सका था।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर-लखनऊ रेल रूट पर ट्रेनों का परिचालन शनिवार को दोपहर 12:45 से शाम चार बजे तक बाधित रहा। तीन घंटे 15 मिनट का यह ब्लाक नई दिल्ली-लखनऊ स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के लखनऊ रवाना होने के बाद गंगापुल बायां किनारा स्टेशन से मगरवारा के मध्य लिया गया। गंगापुल बायां किनारा से सरैया क्रॉसिंग के बीच ऋषि नगर केबिन के पास की पटरियों पर गिट्टी पैकिंग कराई गई। मगरवारा स्टेशन से करीब 200 मीटर पहले दयालखेड़ा (क्रॉसिंग संख्या 38) पर ट्रैक व स्लीपर को डाउन लाइन में बदला गया। इसमें क्रॉसिंग से होकर आवागमन करने वाले वाहनों को वैकल्पिक मार्ग करोवन से रास्ता दिया गया। शाम चार बजे के बाद रेल रूट बहाल हो सका। दूसरी ओर सुबह नौ बजे से बंद दयालखेड़ा क्रॉसिंग शाम पांच बजे खोली गई।
सेमी हाई स्पीड को लेकर कानपुर-लखनऊ रेल रूट की डाउन लाइन को बदला जा रहा है। गंगापुल से मगरवारा स्टेशन के मध्य करीब पांच मिनट तक की लाइन को बदला जा चुका है। सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलपथ विकास कुमार के अनुसार गंगापुल बायां किनारा स्टेशन व सरैया क्रॉसिंग से पहले ऋषिनगर केबिन के पास की पटरियों पर गिट्टी पैकिंग का कार्य दोपहर 12:45 से अपरान्ह 3:30 बजे तक ब्लाक लेकर कराया गया। वहीं, मगरवारा से पहले दयालखेड़ा क्रॉसिंग पर ट्रैक व स्लीपर बदलने का कार्य कराया गया। दोनों जगह डाउन लाइन में कार्य किया गया। क्रॉसिंग के पास होने वाले कार्य को लेकर सुबह नौ से शाम पांच बजे तक सड़क यातायात को डायवर्ट किया गया था। वाहन सवारों के लिए उन्नाव से करोवन जाने वाले मार्ग पर पडऩे वाली क्रॉसिंग रही। शाम पांच बजे तक यातायात सुचारू हो सका था।
वहीं ब्लाक के दौरान ट्रेनों का परिचालन रुका रहा। इसमें प्रभावित होने वाली ट्रेन कानपुर सेंट्रल स्टेशन व गंगापुल बायां किनारा के बीच रोकी गई थीं। क्रॉसिंग पर होने वाला कार्य दोपहर एक से शाम चार बजे तक ब्लाक लेकर कराया गया। ब्लाक खत्म होने के बाद कानपुर से लखनऊ, उन्नाव के रास्ते बालामऊ व रायबरेली की ओर जाने वाली ट्रेनों का परिचालन शुरू हो सका था। कार्य का असर सबसे ज्यादा मालगाडिय़ों के परिचालन पर पड़ा।