217 साल का हुआ कानपुर, जन्मदिन पर एक बार फिर खामोश जंग के लिए है तैयार
1857 की क्रांति से 1947 तक आजादी के आंदोलन में कानपुर ने महती भूमिका निभाई अब कोरोनो वायरस से भी जंग जीतने को तैयार है।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। ब्रह्मांड का केंद्र, क्रांति की धरा, कर्मयोगियों की औद्योगिक नगरी, कलम के धनी साहित्यकारों की कर्मस्थली, एक साथ इतने विशेषण वाला गौरवशाली शहर है अपना कानपुर। वह कानपुर, जिसके रक्त की हर बूंद स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई करती है, वह कानपुर, जो आजाद हिंद फौज को पहली महिला कैप्टन लक्ष्मी सहगल देता है। वह कानपुर जो, धनपत राय को प्रेमचंद बनाता है, ज्ञानदेव अग्निहोत्री सा नाटककार देता है। वह कानपुर जो लडख़ड़ाने के बाद भी खड़ा होता है तो देश का 11वां सबसे बड़ा कारोबारी शहर बन जाता है, जी हां, वही कानपुर 24 मार्च को 217 वर्ष का हो गया।
कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है शहर
मस्त मौला कानपुर, रंगमंच का कानपुर, साहित्य का कानपुर, कला का कानपुर, कारोबार का कानपुर, हर संघर्ष में डट कर खड़े होने वाला कानपुर, पहली बार अपने जन्मदिन पर उदास है। कारण, कोरोना वायरस के रूप में फैल रही महामारी। यह महामारी तेजी से फैलने को आतुर है और हमें इससे बचना है। जबकि, हमारा इतिहास संघर्ष का रहा है, हर परिस्थिति का डट कर मुकाबला करने का रहा है, तो क्या हम अपने कानपुर को ऐसे ही उदास छोड़ देंगे। नहीं, हम अपने कानपुर को उदास नहीं होने देंगे। तो फिर क्या करें, जिससे यह लड़ाई जीत जाएं। इसे लेकर नए कानपुर के निर्माण में अपना योगदान करने वाले कुछ लोगों से बातचीत की गई। सभी एक राय हैं, घर में रहें, बच कर रहें। अपने परिवार का ध्यान दें और अपने कामगार को अपना परिवार मानकर उनके भरण-पोषण की व्यवस्था में कोताही न करें। जब कोई घर से बाहर नहीं निकलेगा तो कोरोना अपने आप अपनी मौत मर जाएगा।
इनका ये है कहना
- स्वयं निकलने में सावधानी बरतें और अनावश्यक संपर्क बिल्कुल न रखें। किसी ने भी इतना खराब समय कभी भी नहीं देखा लेकिन इन दो हथियारों से हम कोरोना के खिलाफ सफल लड़ाई लड़ सकते हैं।-अनुराग लोहिया, निदेशक लोहिया ग्रुप
- हम सभी को मिलकर कोरोना के खिलाफ युद्ध लडऩा होगा। ऐसा युद्ध, जो घर में रहकर लड़ा जा सकता है। हम सरकार की गाइड लाइन को गंभीरता से ले। घर में रहकर अपनी और अपने परिवार की रक्षा करें, समाज और देश की रक्षा अपने आप हो जाएगी। उद्यमी अपने कर्मचारियों को मानसिक संबल दें कि उनका वेतन मिलेगा। किसी का वेतन नहीं काटें। -सुरेंद्र गुप्ता, एमडी शुभम गोल्डी मसाले
- सभी घर में रहें, यही सबसे बड़ा हथियार है। कानपुर का इतिहास संघर्ष और जीत का रहा है। गौरवशाली इतिहास वाले कानपुर को इस लड़ाई में जिताने के लिए नया कानपुर जुटा हुआ है। कोरोना वायरस के खिलाफ भी लड़ाई में कानपुर के लोग नजीर बनेंगे। सभी लोग में घर में रहें, इसी से कोरोना को हरा देंगे। -सुशील वाजपेयी ग्रुप प्रेसीडेंट, आरएसपीएल
- हम ये लड़ाई भी जीतेंगे। पहले की लड़ाई में दुश्मन को मारना था, इस बार खुद को बचाना है। हम अपने को बताएंगे तो परिवार, समाज और देश सभी अपने आप बच जाएंगे। सरकार और डॉक्टरों की गाइड लाइन हैं, उसे जरूर मानें। इस कठिन समय में केवल अपने बारे में ही नहीं, हमारे लिए काम करने वाला व्यक्ति के बारे में भी सोचें। उनका वेतन न काटें। नुकसान तो आगे भी रिकवर हो जाएगा। -मुख्तारुल अमीन, चेयरमैन सुपर हाउस
- गौरवशाली इतिहास वाले कानपुरवासी इस कठिन समय में अपने कामगारों का ध्यान रखें ताकि भरण-पोषण के लिए उन्हें घर से बाहर न निकलना पड़े। यही कानपुर के लिए सबसे बड़ा बर्थडे गिफ्ट होगा। हम यह व्यवस्था बनाएं किसी को भी घर से बाहर न निकलना पड़े। -प्रणवीर सिंह, चेयरमैन, पीएसआइटी ग्रुप
- कुछ जन्मदिन सावधानी से मनाए जाते हैं। कानपुर के इस जन्मदिन पर सबसे बड़ा बर्थडे गिफ्ट सावधानी बरतना होगा। प्रशासन भी कानपुर वासियों को होम डिलीवरी की व्यवस्था का गिफ्ट दे ताकि बाजार न खुलें। बाजार खुलने पर भी भीड़ बढ़ रही है और संक्रमण का खतरा है। बेहद जरूरत की आवश्यकता घर पर पूरी हो जाएगी तो सभी घर में रहेंगे और हम कोरोना को अब तक संक्रमित एक ही व्यक्ति तक रोकने में सफल हो पाएंंगे। -अरुण गुप्ता, एमडी अशोक मसाले