जमीनी सच्चाई : कानपुर में सिर्फ कागजों में दिख रहे कंटेनमेंट जोन, कहीं पर भी नहीं दिखा नियमों का पालन
वहां कोई संकेतक तक नहीं लगाया जा रहा। इसके अलावा पुलिस ने भी अपनी तरफ से ढील दी हुई है। नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कंटेनमेंट की संख्या 13 हजार के पार है कमिश्नरेट में पुलिस की संख्या पांच हजार भी नहीं है।
कानपुर, जेएनएन। पिछले साल की अपेक्षा कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। बावजूद इसके संक्रमण रोकने के उपाय इस बार बेहद लचर दिखाई पड़ रहे हैं। जहां पिछली बार कंटेनमेंट क्षेत्रों को बांसबल्ली लगाकर बंद कर दिया गया था और रखवाली के लिए पुलिस तैनात की गई थी, वहीं इस बार बांस बल्ली तो दूर संकेतांक तक नहीं लगाए गए हैं।
संक्रमण बढऩे के साथ ही कोविड गाइड लाइन में इस बार भी कंटेनमेंट क्षेत्र बनाने के निर्देश दिए गए थे, जहां पिछली बार कंटेनमेंट जोन बनाने और वहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस को थी, वहीं इस बार शासन ने कंटेनमेंट जोन निर्धारण की जिम्मेदारी स्वास्थ विभाग को, वहां पर संकेतक लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम और सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस को दी है। सूत्रों के मुताबिक कमिश्नरेट क्षेत्र में बुधवार तक 13374 कंटेनमेंट जोन थे, जिसमें 12574 माइक्रो और 800 क्लस्टर कंटेनमेंट जोन हैं।
माइक्रो का मतलब ऐसे क्षेत्र जहां कोविड मरीज की संख्या एक है और क्लस्टर का मतलब दो या दो से अधिक मरीज वाले क्षेत्रों से है। शहर में इस बार इक्का दुक्का छोड़ दें तो कहीं भी कंटेनमेंट जोन नहीं दिखाई पड़ रहे हैं। नगर निगम सीङ्क्षलग वाले प्लास्टिक की पन्नी व एक पोस्टर चिपका दे रहा है। इसके अलावा हजारों स्थान भगवान भरोसे हैं। वहां कोई संकेतक तक नहीं लगाया जा रहा। इसके अलावा पुलिस ने भी अपनी तरफ से ढील दी हुई है। नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कंटेनमेंट की संख्या 13 हजार के पार है, जबकि कमिश्नरेट में पुलिस की संख्या पांच हजार भी नहीं है। ऐसे में हर स्थान पर सुरक्षा देना मुमकिन नहीं है।
यह हैं नियम : एक कोविड मरीज मिलने पर 25 मीटर का दायरा और एक या उससे अधिक मरीज मिलने पर 50 मीटर का दायरा कंटेनमेंट जोन में होगा। बहुमंजिला इमारत में एक मरीज पाए जाने पर केवल वह मंजिल प्रतिबंधित की जाएगी और अधिक मिलने पर पूरी इमारत सील की जाएगी।
इनका ये है कहना
- कंटेनमेंट जोन में पुलिस के साथ ही स्वयंसेवी संगठनों व मुहल्ले वालों की ड्यूटी लगाई जा रही है। इन स्थानों पर सख्ती की जरूरत है, मगर स्थान इतने अधिक हैं कि शहरवासियों को ही जागरूक होना होगा। नगर निगम से कहा जाएगा कि संकेतांक जरूर लगाए जाएं, ताकि लोगों को इन स्थानों के बारे में जानकारी मिल सके।
डॉ. मनोज कुमार, अपर पुलिस आयुक्त
- नगर निगम सूचना के आधार पर हर कंटेनमेंट में सीलिंग करके पोस्टर लगा रहा है। जहां अधिक मरीज हैं, वहां शासन के निर्देश पर बांस बल्ली में लगाई जा रही हैं।
एसके सिहं, मुख्य अभियंता, नगर निगम