Vikas Dubey Latest News: बिठूर एसओ ने एसआइटी को बताया मुठभेड़ की रात का आंखों देखा हाल
एसआइटी ने सर्किट हाउस में घायल एसओ से पूछताछ की और बिकरू में दबिश देने के दौरान मुठभेड़ पूरा घटनाक्रम जाना।
कानपुर, जेएनएन। बिकरू गांव में बदमाशों की गोलीबारी से घायल हुए बिठूर थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने भी सर्किट हाउस पहुंच कर एसआइटी को पूरा घटनाक्रम बताया। उन्होंने दबिश पर जाने और घायल होने के बाद भी वहां से अपने दो सिपाहियों को निकाल कर लाने के रास्तों को भी मानचित्र बनाकर दिखाया।
छतों से अचानक बरसी थीं गोलियां
दो जुलाई को विकास दुबे और उसके साथियों की गोलीबारी में थाना प्रभारी कौशलेंद्र की बायीं जांघ और बायें हाथ में गोली लगी थी। साथ ही उनके एक सिपाही अजय सेंगर के पेट और एक सिपाही अजय कश्यप के हाथ में गोली लगी थी। कौशलेंद्र ने एसआइटी को बताया कि दबिश के दौरान वे रास्ते में खड़ी जेसीबी को पार करके विकास के घर की ओर बढ़ रहे थे। बायीं ओर शौचालय की तरफ जैसे ही जाने लगे, तभी छतों से गोलियां बरसने लगीं। वह बचने के लिए पास ही नीम के पेड़ की आड़ लेकर खड़े हो गए और अपनी पिस्टल से जवाबी फायरिंग की। इसी दौरान एक गोली उनके बायें हाथ में और दूसरी गोली उनकी जांघ पर आ लगी। वह लहूलुहान हो गए, लेकिन छतों की ओर गोली चलाते रहे।
स्ट्रीट लाइट की रोशनी में नहीं दिखे हमलावर
एसओ ने बताया कि सामने स्ट्रीट लाइट की रोशनी होने के कारण हमलावर नहीं दिख रहे थे। कुछ आवाजें जरूर आ रही थीं। एक व्यक्ति कह रहा था? बम मारो, बम। तभी सिपाही अजय सेंगर के पेट में गोली लगी और वह चीख पड़ा। उसे लेकर तुरंत पीछे एक टूटे पड़े मकान की दीवार से चिपककर खड़े हो गए। एक गोली दूसरे सिपाही अजय कश्यप को भी लगी। इसके बाद टूटे मकान के अंदर जाकर पीछे खड़ंजे वाली गली में निकले और वहीं से होते हुए? सीमेंट वाली रोड पर जाकर अपनी गाडिय़ों की ओर पहुंचे। वहां से अधिकारियों को फोन कर जानकारी दी और सिपाहियों को लेकर अस्पताल आए। उन्होंने बताया कि अंधेरे में कौन, किधर से गोलियां चला रहा था? और हमारे कितने जवान घायल हुए? यह नहीं देख सके।
एसआइटी ने बिकरू के लोगों से की पूछताछ
शासन द्वारा गठित की गई अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता और एडीजी हरिराम शर्मा व डीआइजी जे रवींद्र गौड़ सदस्यता वाली तीन सदस्यीय एसआइटी रविवार दोपहर ही 12:05 बजे बिकरू गांव पहुंच गई। जांच की शुरुआत उस जगह से की जहां पुलिस कर्मी मारे गए थे। सीओ का कत्ल मुठभेड़ में मारे गए विकास के मामा प्रेम प्रकाश उर्फ प्रेम कुमार पांडेय के आंगन में हुआ था। करीब पांच मिनट तक एसएसपी दिनेश कुमार पी. के जरिये पूरी घटना समझने के बाद टीम इसी घर के दरवाजे पहुंची, जहां एसओ शिवराजपुर महेश यादव और मंधना चौकी इंचार्ज अनूप कुमार शहीद हुए थे।
टीम ने प्रेम कुमार के परिवार वालों से भी पूछताछ की। यहां से टीम शौचालय के पास गई, जहां पांच पुलिसकर्मियों के शव मिले थे। वह दीवार भी देखी, जिसे फांदकर सीओ बचने के लिए प्रेम कुमार के घर कूदे थे। एडीजी हरिराम शर्मा ने एसएसपी से पूछा कि किन घरों से गोलियां चल रही थीं? एसएसपी ने उन्हें क्राइम सीन को बताया। यहां से टीम विकास के ढहाए जा चुके घर पहुंची और 16 गांव वालों से भी पूछताछ की।
शिवली थाने में भी खंगालीं फाइलें
बिकरू में कुल एक घंटा 10 मिनट रुकने के बाद टीम शिवली थाने पहुंची और श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या से जुड़ी फाइल तलब की। एसआइटी अध्यक्ष ने फाइल देखकर घोर आश्चर्य जताया कि 2001 में थाने के अंदर राज्यमंत्री की हत्या की गई, फिर भी विकास को सजा नहीं मिली? कहा, टीम इस केस के हर पहलू की जांच करेगी। शिवली नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष लल्लन वाजपेयी ने टीम को बताया कि मेरे अध्यक्ष बनने पर विकास रंजिश रखने लगा था। वह दुकानदारों से अवैध वसूली करता था। इसका विरोध किया तो 22 अक्टूबर 2002 को मेरे घर पर हमला करवा दिया। इसमें तीन साथी मारे गए, मुझ समेत दो लोग घायल हुए थे।
छह लोगों से बंद कमरे में पूछताछ
टीम ने ताराचंद्र इंटर कॉलेज के सह प्रबंधक सिद्धेश्वर हत्याकांड की फाइल भी देखी। करीब 45 मिनट रुकने के दौरान टीम ने छह लोगों से बंद कमरे में पूछताछ की। टीम ने संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला और सिद्धेश्वर पांडेय के बेटे राजेंद्र उर्फ राजे पांडेय से भी लंबी बात की। फिर, चौबेपुर थाने पहुंची टीम ने मुखबिरी के आरोप में निलंबित दारोगा कुंवर पाल व सिपाही राजीव से पूछताछ की। टीम ने दो जुलाई की घटना को लेकर दर्ज मुकदमे के दस्तावेज भी देखे। करीब घंटेभर रुकने के बाद टीम सर्किट हाउस लौट आई। एसआइटी को 30 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट शासन को देनी है।
एसआइटी अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने बताया कि शासन द्वारा दिए गए बिंदुओं पर जांच की जा रही है, इससे अधिक अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं है। शासन को समय सीमा के अंदर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।