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Kanpur Dakhil Daftar Column: धमकी से बिगड़ गया काम, दाल में नमक बराबर खा लेते...

कानपुर शहर के सरकारी दफ्तरों की गतविधियों का है दाखिल दफ्तर कॉलम। घोटाले में एक मजिस्ट्रेट साहब का नाम सामने आया तो कार्रवाई के भय से घबरा गए। साहब तहसील पहुंचे तो लेखपालों से मुलाकात में बोले तुम सबकी करनी का दंड मुझे भुगतना पड़ रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 01:05 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 01:05 PM (IST)
Kanpur Dakhil Daftar Column: धमकी से बिगड़ गया काम, दाल में नमक बराबर खा लेते...
कानपुर में सरकारी महकमे की हलचल दाखिल दफ्तर।

कानपुर, दिग्विजय सिंह। कानपुर के सरकारी महकमों में हलचल बनी रहती है और कई चर्चाएं सुर्खियां नहीं बन पाती है। ऐसी ही चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लेकर आता है दाखिल दफ्तर कॉलम तो आइए पढ़ते हैं बीते सप्ताह सरकारी दफ्तरों में चर्चाएं जो आम रहीं...।

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दाल में नमक बराबर खा लेते..

भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में डीएम और सीडीओ ने कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई कर दी। जीरो टालरेंस की नीति के तहत हुई इस कार्रवाई का पहला झटका समाज कल्याण अधिकारी को लगा तो दूसरा लेखपालों को। अभी कुछ अधिकारियों की गर्दन पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। इनमें से एक अधिकारी महोदय थोड़ा बड़बोले किस्म के हैं। वह खुद को कार्रवाई से बचाने के लिए अपने लिए साक्ष्य खोज रहे हैं। साहब तहसील पहुंचे तो लेखपालों से मुलाकात हुई। लेखपालों ने दर्द बयां किया तो साहब बोले तुम सबकी करनी का दंड मुझे भुगतना पड़ रहा है। अरे दाल में नमक बराबर खा लेते। तुम सबने तो पूरी दाल ही खा ली। डीएम और सीडीओ साहब को क्या कहूं उन पर तो ईमानदारी का भूत सवार है। जब देखो निलंबन का आदेश और संस्तुति कर देते हैं। अरे बुलाकर बात कर लेते तो क्या जाता।

धमकी से बिगड़ गया काम

शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में हुए घोटाले में एक मजिस्ट्रेट साहब का नाम सामने आया तो कार्रवाई के भय से घबरा गए। जांच अधिकारियों से जब डीएम ने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम मांगा तो साहब ने एक जांच अधिकारी को फोन कर दिया। पहले इधर-उधर की बात की और फिर बोले देख लीजिएगा हम लोगों का नाम कहीं आप दे दें और हम पर ही कार्रवाई हो जाए। हम फंसेंगे तो हमें भी दूसरे की जांच का मौका मिलेगा और फिर जानते ही हैं क्या होगा। जांच अधिकारी को गुस्सा आ गया और उन्होंने डांट लगाकर फोन काट दिया। अब मजिस्ट्रेट साहब पर कार्रवाई होने जा रही है, जबकि उनकी तरह की गलती करने वाले दो अन्य मजिस्ट्रेट बच गए। कार्रवाई तो दूर जांच अधिकारियों ने उनका नाम भी बड़े साहब को नहीं भेजा। अब उन्हें भी लग रहा है कि धमकी देकर गलत कर दिया।

फिर भी मुट्ठी गर्म न हुई

एक जनप्रतिनिधि महोदय ने सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार को अपने पास बुलाया। चाय पिलाई और फिर उसके पास कितनी सड़कों के निर्माण का काम है, इसकी जानकारी ली। इधर-उधर की बातें करने के बाद उन्होंने ठेकेदार से मुट्ठी गर्म करने के लिए कहा। नेता जी की डिमांड ज्यादा थी इसलिए ठेकेदार ने मना कर दिया और कह दिया कि इतनी रकम तो वह नहीं दे सकता। नेता जी ने रकम थोड़ा कम कर दी, लेकिन ठेकेदार ने फिर भी उसे ज्यादा बता दिया।

इस पर नेता जी को गुस्सा आ गया। उन्होंने ठेकेदार को सड़क निर्माण की जांच कराने की धमकी दी और कमरे में चले गए। करीब एक हफ्ते बाद नेता जी के पत्र पर ठेकेदार के विरुद्ध जांच का आदेश हो गया। नेता जी ने ठेकेदार के पास फिर मुट्ठी गर्म करने का संदेश भेजा, लेकिन बात नहीं बनी। उन्होंने उसे ब्लैक लिस्टेड कराने की ठान ली।

ठेका आवंटन के साथ बंटा कमीशन

शहर में विकास कराने वाले एक विभाग के बड़े ठेकेदार को करोड़ों रुपये के विकास कार्य का ठेका मिला। ठेके का आवंटन होते ही कुछ अधिकारियों ने उसे बुलाया और अपने हिस्से का कमीशन मांग लिया। ठेकेदार ने पहले तो कहा कि काम शुरू हो जाने दें ताकि कुछ भुगतान हो जाए, इसके बाद दे देंगे, लेकिन अधिकारियों ने उसे आंखें तरेर दीं।

अनुबंध में देरी करने की बात कह दी। ठेकेदार को भी समझ में आ गया कि अब अगर उसने अधिकारियों की जेब गर्म नहीं की तो काम करने में दिक्कत होगी। आनन फानन में सभी की हैसियत के मुताबिक 'सेवा' कर दी। अब साहब भी खुश और ठेकेदार भी खुश। अधिकारियों ने भी कह दिया दाल में नमक बराबर खा लेना और मस्ती से काम करना, अब न तो कोई मौके पर निगरानी के लिए जाएगा और न ही किसी की शिकायत पर कोई जांच बैठाई जाएगी।


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