Kanpur Criminals: पुलिस की सरपरस्ती में गरीबों की कमाई से अपना घर भर रहा मामा-भांजे का वसूली गैंग
लाल बंगला बाजार में फुटपाथ की दुकानों से रोजाना करते हैं वसूली। फुटपाथ पर लगने वाले बाजार से हर महीने लाखों में अवैध वसूली होती है इसकी जिम्मेदार शातिर अपराधियों की लिस्ट में शामिल माम-भांजे के गैंग को दी गई है।
कानपुर, जेएनएन। लाल बंगला का बाजार शहर के प्रमुख बाजारों में शामिल है। व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बाहर फुटपाथ पर लगने वाला बाजार भी कम नहीं है। इसके चलते रोजाना शाम के समय यहां जाम लगता है। आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मगर, इस समस्या में भी चकेरी पुलिस ने अवसर तलाश लिया है। फुटपाथ पर लगने वाले बाजार से हर महीने लाखों में अवैध वसूली होती है, इसकी जिम्मेदार शातिर अपराधियों की लिस्ट में शामिल माम-भांजे के गैंग को दी गई है।
दहशत का पर्याय बना यह गैंग
लालबंगला बाजार में दुकानों के बाहर करीब एक हजार ठेले लगते हैं। सभी ठेले वाले रोजाना 500 रुपये इस बात के लिए देते हैं कि उन्हें फुटपाथ पर ठेला लगाने दिया जाए। इनमें से कुछ से पैसे तो सीधे वह प्रतिष्ठान स्वामी लेता है, जिसकी दुकान के आगे ठेले खड़े होते हैं। बाकी ठेले वालों से अवैध वसूली मामा-भांजे का गिरोह करता है। रोजाना हजारों रुपये की अवैध वसूली होती है और बड़ा हिस्सा पुलिस तक पहुंचाया जाता है। इसी वजह से मामा-भांजे के क्राइम रिकार्ड को भी चकेरी पुलिस अनदेखी कर देती है। पुलिस का साथ पाकर यह गैंग पूरे इलाके में दहशत का पर्याय बना हुआ है।
कई पुलिस अफसरों के खास
शहर में तैनात इंस्पेक्टर और दारोगा रैंक के करीब आठ से दस पुलिसकर्मियों के मामा-भांजे से मधुर संबंध रहे हैं। हाल ही में लाइन हाजिर हुए एक दारोगा से मामा का रिश्ता तो बड़ा पक्का रहा है। इसके अलावा इस इलाके में जो भी चौकी प्रभारी रहा, मामा-भांजे का मुरीद बनकर ही रहा।
दोनों हैं थाने के टॉप टेन में
चकेरी पुलिस रिकार्ड के मुताबिक माम-भांजे थाने की टॉप टेन लिस्ट में भी शामिल हैं। दोनों थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं। मामा के खिलाफ हत्या, डकैती, लूटपाट, हत्या के प्रयास आदि धाराओं में 14 मामले दर्ज हैं। इसमें पुलिस के मुखबिर की बाजार में सरेआम हत्या सबसे चर्चित है। यह हत्या ही इसलिए की गई थी ताकि बाजार में कोई मामा-भांजे के खिलाफ आवाज बुलंद न कर सके। मुकदमों की दृष्टि भांजा मामा से बड़ा हिस्ट्रीशीटर है। इस पर 20 से अधिक मामले दर्ज हैं। हत्या के चार, हत्या के प्रयास के चार से पांच मुकदमे हैं। 2012 में गुंडा टैक्स न देने पर इसने एक छात्र को भरे बाजार गोली मारकर घायल कर दिया था। मामा-भांजे का गैंग और क्षेत्र में दूसरे गैंग के बीच वर्चस्व को लेकर कई बार गोलियां भी चल चुकी हैं। वर्ष 2017 में दोनों पक्षों की गोलीबारी में दूसरे पक्ष के बदमाश को गोली लगी थी, जिसमें माम-भांजे नामजद हुए थे। डीआइजी सोनिया ङ्क्षसह के कार्यकाल में भी इस गुट में गैंगवार हुई थी, जिसमें एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी। इनके खिलाफ गुंडा एक्ट, आम्र्स एक्ट के तहत भी सात मुकदमे दर्ज हैं।
इनका ये है कहना
लाल बंगला क्षेत्र में फुटपाथ के ठेलों वालों से वसूली को लेकर जांच कराई जाएगी। अगर कोई पुलिसकर्मी दोषी पाया गया तो कार्रवाई होगी। - राजकुमार अग्रवाल, एसपी पूर्वी
डीआइजी के साथ फोटो खिंचवाने पहुंच गया था शातिर
नौबस्ता के जिस शातिर की खबर दैनिक जागरण में 11 दिसंबर के अंक के प्रकाशित हुई थी, वह शातिर पिछले दिनों डीआइजी के साथ फोटो ङ्क्षखचवाने पुलिस कार्यालय पहुंच गया था। उसे थाने के कुछ लोगों ने डीआइजी के पास समाजसेवी बनाकर भेजा था। हालांकि यह योजना पूरी नहीं हो सकी। डीआइजी डॉ. प्रीङ्क्षतदर सिंह ने बताया कि मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। अपराधी को आश्रय देने वाले पुलिस कर्मियों की तलाश भी कराई जा रही है।