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Kanpur Police: गोविंद नगर की डकैती से सुरक्षा पर सवाल, बीस लाख की आबादी पर केवल नौ थाने

कानपुर दक्षिण क्षेत्र में पूरे शहर की आधी करीब बीस लाख की आबादी है और पुलिस के इंतजाम नाकाफी है। शहर के पूर्वी व पश्चिम में 12-12 थाने हैं जबकि दक्षिण क्षेत्र में केवल नौ थाने और पुलिसकर्मियों की संख्या भी काफी कम है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 09:47 AM (IST)
कानपुर दक्षिण क्षेत्र में पुलिस के इंतजाम नाकाफी हैं।

कानपुर, जेएनएन। गोविंद नगर के टी ब्लाक स्थित अपार्टमेंट के फ्लैट में अकेले रह रही वृद्धा को बंधक बनाकर डाला गया डाका सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा करने वाला है। पूरे दक्षिण कानपुर में सुरक्षा के इंतजाम आबादी के लिहाज से बेहद कम हैं।

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कानपुर शहर की आबादी करीब 50 लाख है, जिसमें कमिश्नरेट की आबादी 40 लाख के आसपास है। कमिश्नरेट में पूर्वी, पश्चिम और दक्षिण तीन जोन में शहर बांटा गया है। पूर्वी और पश्चिम जोन में 12-12 थाने हैं, जबकि दक्षिण में नौ थाने आते हैं। अगर आबादी पर गौर करें तो दक्षिण कानपुर में ही 18 से 20 लाख आबादी रहती है। यानी दक्षिण में आबादी का दबाव लगभग आधा है, जबकि पुलिस सुरक्षा व संसाधन दोनों जोन से बेहद कम हैं। नौबस्ता व बर्रा दो बड़े थाने हैं, जिसमें बड़ा ग्रामीण क्षेत्र भी है और यहां तेजी से शहरीकरण हो रहा है। बाहरी लोग आकर बस रहे हैं। वहीं इन थानों में अपराध भी बढ़ा है। पूर्व की पुलिस प्रणाली में दक्षिण में एसपी रैंक का एक अधिकारी तैनात था और उसके नीचे तीन सीओ। कमिश्नरेट में सीनियर आइपीएस के हाथों जोन की कमान है, जबकि एडीसीपी भी आइपीएस ही हैं। तीनों सर्किल में पूर्व की तरह ही व्यवस्था है।

अपराध की जड़ नशे की मंडी : दक्षिण कानपुर से जुड़े लोगों की मानें तो यहां अपराध के पीछे सबसे बड़ा कारण नशे की मंडी है। कई वारदातों में सामने आया है कि नशे की लत पूरी करने के लिए नशेबाज लूट और चोरी की घटनाओं को अंजाम देते हैं। कंजडऩ पुरवा, दबौली वेस्ट, पहाड़पुर, सागरपुरी, अर्रा, बाबूपुरवा, अजीतगंज, ट्रांसपोर्ट नगर, बर्रा सात, निराला नगर पीएसी ग्राउंड ऐसे इलाके हैं, जहां खुलेआम नशेबाजी होती है।

यही भी बड़ा कारण : दक्षिण में अपराध का बड़ा कारण नौबस्ता, बर्रा, किदवई नगर और गोविंद नगर की सीमा से सटा हाईवे भी है। हाईवे एक तरफ लखनऊ, दूसरी तरफ फतेहपुर, तीसरी ओर हमीरपुर और चौथी ओर इटावा को जाता है। बदमाशों को फरार होने का सुरक्षित ठिकाना भी आसानी से मिल जाता है। यशोदा नगर, शंकराचार्य नगर, देवकी नगर, पशुपति नगर, वाई व एच ब्लाक किदवई नगर, बर्रा जरौली फेस वन, विश्वबैंक, मछरिया, टिकरा, खाड़ेपुर, योगेंद्र विहार में अक्सर लूट, चोरी जैसी घटनाएं होती है।

अपार्टमेंट कल्चर मगर सुरक्षा की समझ जीरो : कानपुर दक्षिण में एक दशक के अंदर अपार्टमेंट कल्चर खूब विकसित हुआ, मगर सुरक्षा की समझ अभी विकसित नहीं हुई। जिस अपार्टमेंट में डकैती की वारदात हुई, वहां पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे। यही स्थिति अधिकांश अपार्टमेंट में है। सिक्योरिटी गार्ड तो हैं, लेकिन उनके बारे में न जांच पड़ताल है और न उनके पास कोई लाइसेंसी हथियार ही होता है। किसी को भी गार्ड बनाकर अपार्टमेंट में तैनात कर दिया जाता है। कई साल पहले तत्कालीन एसएसपी यशस्वी यादव के कार्यकाल मे व्यापारियों की मदद से बाजारों में कैमरे लगाए गए थे। कैमरे अधिकांश गायब हैं या फिर बंद पड़े हैं।

इन घटनाओं का अब तक नहीं पर्दाफाश : दक्षिण पुलिस के लिए पूर्व में चोरी की तीन वारदातें अब तक पहेली बनी हुई हैं। गोविंद नगर के ब्रह्मावर्त बैंक के सामने दूध डेयरी संचालक के घर 12 लाख, गोङ्क्षवद नगर में गेस्ट हाउस संचालक के घर 14 लाख और गोङ्क्षवद नगर के ही दबौली में स्क्रैप कारोबारी के घर आठ लाख रुपये की चोरी का राजफाश अब तक पुलिस नहीं कर सकी है।


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