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पेपर के दाम बढऩे से शहर में संचालित कोरोगेटेड उद्योग की इकाइयों में उत्‍पादन ठप

कोरोना काल में छह महीने से खाली बैठे उद्यमियों पर महंगाई की मार। बिस्कुट खाद्य तेल पानी घी सब्जी मसाले व फुटवियर समेत रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली अन्य चीजें की पैकिजिंग के लिए कोरोगेटेड बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है।

By ShaswatgEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 01:53 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 01:53 PM (IST)
पेपर के दाम बढऩे से शहर में संचालित कोरोगेटेड उद्योग की इकाइयों में उत्‍पादन ठप
दाम इतने अधिक हैं कि बजट में उत्पाद बनाने का खर्च तक नहीं निकल पा रहा है।

कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस के मंदी से गुजर रहे कोरोगेटेड बॉक्स उद्यमियों पर महंगाई की मार पड़ रही है। लॉक डाउन के बीच खुल चुके यह उद्योग छह महीने बाद भी पटरी पर नहीं आ पाए हैं। कागज के दामों में उछाल आने के कारण रेंग रहा यह उद्योग अब बंदी की कगार पर पहुंच गया है। कागज के दाम पहले 22 रूपये किलो थे जो बढ़कर 30 रूपये के करीब आ गए हैं। कोरोगेटेड बॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन की मंगलवार को उद्योग कुंज पनकी स्थित इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन में हुई प्रेसवार्ता में उद्यमियों ने बताया कि ड्यूपलेक्स पेपर, सेमी क्राफ्ट पेपर, क्राफ्ट पेपर व मीडिया पेपर के दाम आसमान छू रहे हैं ऐसे में कोरोगेटेड बॉक्स बनाने का काम रूकने की कगार पर पहुंच गया है। 

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शहर में कोरोगेटेड बॉक्स की साढ़े चार सौ से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। बिस्कुट, खाद्य तेल, पानी, घी, सब्जी मसाले व फुटवियर समेत रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाली अन्य चीजें की पैकिजिंग के लिए कोरोगेटेड बॉक्स का इस्तेमाल किया जाता है। कागज के दाम बढऩे से उत्पाद बनाना महंगा हो रहा है। उत्पाद बनने के बाद उसके दाम देने को कोई तैयार नहीं है। अनलॉक के बाद कोरोगेटेड बॉक्स उद्योग बड़ी मुश्किल से करीब 50 फीसद तक उत्पादन कर रहा था जो बढऩे की बजाय फिर से घटने लगा है। नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं ऐसे में बड़ी रकम डालकर उत्पाद बनाने का उद्यमियों को कोई लाभ नजर नहीं आ रहा है।

वेस्ट पेपर आयात न होने से किल्लत बढ़ी

प्रेसवार्ता में कोरोगेटेड बॉक्स मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अमिताभ तिवारी ने बताया कि कोविड-19 से पहले कई देशों से वेस्ट पेपर आयात होता था जिससे कोरोगेटेड बॉक्स बनाने के लिए उसकी किल्लत नहीं होती थी। लॉक डाउन के बाद से आयात बंद हो गया है जिससे देश में बनने वाला पेपर अधिक दरों पर मिल रहा है। यह दाम इतने अधिक हैं कि बजट में समाना तो दूर की बात उत्पाद बनाने का खर्च तक नहीं निकल पा रहा है। शहर की कोरोगेटेड उद्योग का प्रतिमाह एक हजार करोड़ का टर्नओवर था जो कारोना काल के बाद से बहुत नीचे पहुंच गया है। प्रेसवर्ता में आइआइए के अध्यक्ष जय हेमराजानी के अलावा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश कनौडिया, पूर्व उपाध्यक्ष ज्ञानेंद्र गुप्ता समेत अन्य उद्यमी मौजूद रहे।


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