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जसबीर के मोर्चा संभालते ही चौराहों पर पस्त पड़ जाता है जाम

पिछले दस वर्षों से जाम के खिलाफ छेड़ रखी है जंग, कई चौराहों पर दे चुके हैं अपनी सेवा।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 02:37 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 12:26 PM (IST)
जसबीर के मोर्चा संभालते ही चौराहों पर पस्त पड़ जाता है जाम
जसबीर के मोर्चा संभालते ही चौराहों पर पस्त पड़ जाता है जाम
कानपुर (जागरण संवाददाता)। अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता, इस कहावत को सरदार जसबीर सिंह ने गलत साबित करके दिखा दिया। जसबीर पिछले दस वर्षों से जाम के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। जहां भी ताल ठोंकी, जाम को हारना पड़ा। सरदार जसबीर सिंह इस वक्त गुमटी नंबर पांच पर लगने वाले जाम के खिलाफ लड़ रहे हैं।
गुमटी नंबर पांच में रहने वाले सरदार जसबीर सिंह का स्थानीय बाजार में ही कास्टमेटिक का कारोबार है। करीब दस साल पहले जाम में एक एंबुलेंस फंसी देखकर उन्होंने उसे रास्ता दिलाने में मदद की। मन को सुकून मिला तो आए दिन जाम से जूझने लगे। जसबीर बताते हैं कि उन्हें कोई भी गलत तरीके से वाहन चलाता हुआ दिखता है तो वह टोक जरूर देते। इसके बाद उन्होंने यातायात पुलिस के साथ मिलकर बड़ा चौराहा, विजय नगर चौराहा, कोकाकोला चौराहा आदि जाम से मुक्त यातायात में अपनी सेवाएं दी।
तीन महीने से गुमटी नंबर पांच पर डेरा
जसबीर बताते हैं कि स्थानीय कारोबारियों के अनुरोध पर वह पिछले तीन महीने से गुमटी नंबर पांच रेलवे फाटक और इसके आसपास अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां रेलवे फाटक बंद होने के बाद जब फाटक खुलता है तो लंबा जाम लग जाता था, जिससे कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। जसबीर बताते हैं कि वह केवल एक रस्सी के सहारे पूरा ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं। इस रस्सा को वह बीच सड़क पर बांध देते हैं, जिससे कोई वाहन रांग साइड नहीं जाता। इसकी वजह से फाटक खुलते ही गाडिय़ां निकल जाती हैं और जाम नहीं लगता।
फिर भी दर्द है
जसबीर कहते हैं कि वह शहर के यातायात के लिए दिन भर लगे रहते हैं, लेकिन प्रशासन मदद नहीं करता। अगर प्रशासन उनके प्रस्तावों पर विचार करे तो शहर से जाम के दर्द को कुछ कम किया जा सकता है।  

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