खानपान व जीवन शैली का सीधा संबंध है इरिटेबल बाउल सिंड्रोम से, एहतियात बरतें और उपचार कराएं...
Irritable Bowel Syndrome Prevention कानपुर के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. विकास सेंगर ने बताया कि घबराएं नहीं इरिटेबल बाउल सिंड्रोम से फाइबर युक्त भोजन जैसे साबुत अनाज फल सब्जियों और फलियों का करें सेवन। खाने को अच्छी तरह चबाकर खाएं।
कानपुर, जेएनएन। स्वस्थ पाचन तंत्र हमारे स्वास्थ्य का आधार है। बढ़िया सेहत के लिए अच्छी पाचन शक्ति जरूरी है। अगर पाचन तंत्र दुरुस्त नहीं रहेगा तो कई रोग पैदा होंगे। बदली जीवनशैली, फॉस्ट फूड का सेवन, पर्याप्त नींद न लेने और तनाव भरी दिनचर्या के चलते लोग पाचन तंत्र से संबंधित अनेक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इन्हीं में से एक है इरिटेबल बाउल सिंड्रोम। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) एक डिसआर्डर है, जो बड़ी आंत को प्रभावित करता है। इसमें आंत की तंत्रिकाएं और मांसपेशियां अतिसंवेदनशील हो जाती हैं। सामान्यतया ये एक रिदम में सिकुड़ती और फैलती हैं, लेकिन कुछ लोगों में आंतों का यह संकुचन सामान्य से अधिक तेज हो जाता है।
लक्षण
- पेट फूलना
- गैस बनना
- डायरिया या कब्ज
- पेट में दर्द या मरोड़ होना
कम ही लोगों में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। अधिसंख्य लोगों के लिए आईबीएस एक क्रॉनिक स्थिति है। हालांकि समय के साथ इनके लक्षणों में कमी आती है या उपचार से समस्या पूरी तरह ठीक हो जाती है।
ये हैं कारण
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के वास्तविक कारणों का पता नहीं है, लेकिन कई कारक इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- आनुवंशिक कारण
- आंतों में पाचक बैक्टीरिया की कमी
- कुछ भोजन के प्रति इनटालरेंस, जैसे डेयरी उत्पाद आदि
बचाव
- फाइबर युक्त भोजन जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियों और फलियों का सेवन करें।
- दिन की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से करें।
- निश्चित समय पर सोने और खाना खाने की आदत डालें।
- सात-आठ घंटे की नींद जरूर लें।
- खाने को अच्छी तरह चबाकर खाएं।
- चार घंटे के अंतराल पर कुछ न कुछ जरूर खाएं।
- तंबाकू, धूमपान और अल्कोहल के सेवन से बचें।