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International Day of Older Person : कानपुर में दोस्तों संग रह रहे बुजुर्गों की कहानी सुनिए उनकी जुबानी

International Day of Older Person कानपुर के बिठूर स्थित आरोहम्–सीनियर सिटीजन्स हैप्पीनेस होम में बुजुर्गों ने अपने जीवन की दूसरी पारी खुशी से जी रहे हैं और सधी दिनचर्या से खुद को स्वस्थ रख रहे हैं। जानिए उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh MishraPublished: Sat, 01 Oct 2022 12:05 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 12:05 AM (IST)
International Day of Older Person : कानपुर में दोस्तों संग रह रहे बुजुर्गों की कहानी सुनिए उनकी जुबानी
कानपुर के बिठूर में आरोहम् हैप्पीनेस होम में बुजुर्ग कर रहे जीवन यापन।

कानपुर, विवेक मिश्र। उम्र के आखिरी पड़ाव में हमसफर व बच्चों से दूर होने के बाद जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। जिंदगी को पल-पल जीने की कला आनी चाहिए। तन से बूढ़े होने के बाद भी मन से युवा महसूस करते रहना चाहिए। तभी जिंदगी को खुशहाल व बेफिक्री से जिया जा सकता है।

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गंगा किनारे बसे बिठूर में संचालित आरोहम् हैप्पीनेस होम में 46 बुजुर्ग अपनों से दूर रहकर भी खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। हरियाणा, पंजाब, जम्मू, लखनऊ, राजस्थान, आगरा, दिल्ली से आए बुजुर्गों ने नए दोस्तों को ही अपना  परिवार मान लिया है। वो सधी दिनचर्या का पालन करते हुए सुकून भरा जीवन बिता रहे हैं। संस्थापक डा. उमेश पालीवाल व मुकेश पालीवाल ने बताया कि परिसर में बुजुर्गों के लिए आध्यात्मिक वातावरण, इनडाेर व आउटोर गेम्स, जिम, पुस्तकालय सहित विभिन्न सुविधाएं हैं। 

व्यस्त रहो, मस्त रहो, स्वस्थ रहो का मंत्र अपनाया

रसूलाबाद तहसील के बिरहुन गांव निवासी व रेलवे से सेवानिवृत्त 87 वर्षीय एसएल पालीवाल ने बताया कि वर्ष 2009 में पत्नी का निधन हो गया। चार बेटियों की शादी हो गई। उम्र के अंतिम पड़ाव को सुकून से जीने के लिए व्यस्त रहो, मस्त रहो और स्वस्थ रहो का मंत्र अपनाकर सुकून की जिंदगी जी रहा हूं। 

थाइलैंड में मन नहीं लगा, गंगा किनारे खुशी मिल रही  

स्वास्थ्य विभाग में एडिशनल डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त व दर्शनपुरवा निवासी डा. हरिश्चन्द्र पांडेय ने बताया कि परिवार में तीन बेटियां व एक बेटा है। छह साल पूर्व पत्नी का निधन हो गया था। थाइलैंड में बेटे के पास  गया था, लेकिन वहां मन नहीं लगा। अब गंगा किनारे आरोहम् में बुजुर्गों के साथ खुशहाल समय बिता रहा हूं। 

अब तो दिल के ख्यालों में भी सुगंध आरोहम् की है

 मुरादाबाद निवासी व राजस्थान के श्रीगंगानगर में जिला शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्त 78 वर्षीय विजयपाल जैन बताते हैं कि वो पांच साल से बिठूर में रह रहे हैं। वो कहते हैं गंगा किनारे के वातावरण व नए दोस्तों के बीच मन इतना रम गया है कि अब तो दिल के ख्यालों में भी सुगंध भी आरोहम् की बस गई है।  

अकेलापन खत्म करने के लिए नए दोस्तों के बीच आए

शहर के न्यू सिविल लाइन निवासी व चिकित्साधिकारी पद से सेवानिवृत्त डा. कृष्ण स्वरूप दुबे ने बताया कि छह साल से आरोहम् में रह रहे हैं। यहां पर कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ। सबके साथ मिलकर त्योहार व सुख दुख साझा करते हैं। यहां पर रहकर जीवन जीने की उम्मीद जगी है


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