कानपुर की कचहरी में चर्चा का विषय बना है ये अजीब केस, एक बारगी सुनकर आ जाए हंसी
कानपुर महानगर की कोर्ट में वकीलों और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुके मामले में पीड़ित एक बछिया है और आरोपित युवक है। केस की धारा की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोर्ट ने आरोपित की जामनत तक नामंजूर कर दी है।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर की कचहरी में इन दिनों एक अजीब केस चर्चा का विषय बना है, मामला भी ऐसा है कि एक बारगी सुनने वालों की हंसी छूट जाती है। बीते डेढ़ माह से आरोपित युवक के जेल में होने की बात सुनकर बरबस ही लोगों की जुबां से निकल रहा है कि कानून तो आखिर कानून है और सभी के लिए बराबर है। इस केस का ताल्लुक एक बेजुबान जानवर से है, इतना ही नहीं मामला भी इतना गंभीर है कि आरोपित युवक को कोर्ट ने जमानत तक देने से इनकार कर दिया है।
बछिया का नहीं कराया गया मेडिकल
आरोपित युवक की ओर से मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के न्यायालय में अर्जी दी गई। इस पर सुनवाई करते हुए मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट चिंता राम ने 24 सितंबर 2020 को आरोपित की जमानत खारिज कर दी, जिसके बाद मामला सत्र न्यायालय पहुंचा। जिला जज ने जमानत पर सुनवाई शुरू की तो बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिए गए कि पुलिस ने विवेचना सही नहीं की है।
आरोपित मजदूरी करता है और वादी उससे दुर्भावना रखता है इसीलिए झूठे मुकदमे में फंसा दिया। बछिया का मेडिकल भी नहीं कराया गया है। सहायक शासकीय अधिवक्ता ने जमानत का विरोध किया। न्यायालय ने बछिया का मेडिकल कराने का आदेश दिया है। आरोपित की जमानत पर सुनवाई अब बछिया की मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद होगी। डीजीसी क्रिमिनल दिलीप अवस्थी ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट मंगाई गई है।
जानिए-यह है मामला
नवाबगंज के बनियापुर निवासी रमेश ने 29 अगस्त 2020 को तहरीर दी कि उनके पास एक गाय और एक बछिया है जिन्हें वह खेत में ही बांधता था। सुबह होने पर बछिया के चारो पैर बंधे मिलते थे। इस पर उन्होंने निगरानी शुरू की। 28 अगस्त को चार बजे एक युवक बछिया के पैर बांधकर अनैतिक कार्य कर रहा था। दौड़कर पकड़ा तो उसने अपना नाम मीनू निवासी सफीपुर उन्नाव बताया। बातचीत के दौरान वह मौका पाकर फरार हो गया। इस मामले नवाबगंज पुलिस ने आरोपित के खिलाफ आइपीसी की धारा 377 (कुकर्म) के तहत कार्रवाई करते हुए 30 अगस्त को उसे जेल भेजा था।