पर्यावरण संरक्षण के लिए ''गुरु का बाग'' बनेगा मिसाल, सिख समुदाय की यह पहल लोगों को कर रही जागरूक
किदवई नगर में बाबा नाम देव गुरुद्वारा कमेटी ने एक हजार पौधों की नर्सरी तैयार करने लक्ष्य लिया है। जिसमें से 800 पौधे लगाए जा चुके हैं। इसके साथा ही कमेटी नर्सरी के जरिए लोगों को निश्शुल्क पौधे वितरित कर उनकी देखभाल का संकल्प लेगी।
कानपुर, (विवेक मिश्र)। वातावरण में फैल रहे वायु प्रदूषण की रोकथाम और आम जनमानस में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने के लिए सिख समाज ने गुरु का बाग नर्सरी तैयार की है। नर्सरी में फल, फूल देने वाले व औषधीय गुणों के एक हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है। अब तक गुलाब, चमेली, पीली कनेर, लाल कनेर व बोगन वेलिया, तुलसी के 800 पौधे लगाए जा चुके हैं। अगले 20 दिन में नर्सरी मे एक हजार पौधे शामिल करने का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। किदवई नगर स्थित बाबा नामदेव गुरुद्वारा कमेटी ने ये पौधे पर्यावरण प्रेमियों को निश्शुल्क देगी। कमेटी सदस्यों ने बताया कि कोरोना काल में लोग आक्सीजन की कमी होने से दम तोड़ गए। वर्तमान समय में भी शुद्ध हवा मिलना मुश्किल है। ऐसे में गुरुद्वारा कमेटी ने लोगों को शुद्ध हवा उपलब्ध कराने, पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए निश्शुल्क पौधे वितरित करने का फैसला लिया है। ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझे। कमेटी प्रधान ने कहा कि गुरु का बाग नर्सरी तैयार करने की प्रेरणा आगरा में स्थित गुरु का ताल गुरुद्वारा से मिली। इसी प्रेरणा के तहत समाज हित में ये पहल की गई है।
दिवंगत की स्मृति में पौधे लगाने को जागरूक करेंगे: गुरुद्वारा कमेटी प्रधान नीतू सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा के बाहर खाली जगह पर गंदगी जमा रहती थी। इसलिए कमेटी सदस्यों की सहमति से गुरु का बाग नर्सरी स्थापित करने का फैसला लिया गया। इस नर्सरी पर आने वाला खर्च कमेटी की ओर से वहन किया जाएगा। कमेटी की ओर से अतिथियों सम्मान के रूप में अब सिरोपा की जगह पौधा व लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे वितरित किए जाएंगे। किसी के परिवार में यदि कोई दिवंगत हो जाता है तो उसकी स्मृति में भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
चित्रकारी के जरिए लकड़ी, पौधों का महत्व बताएंगे: प्रधान नीतू सिंह ने बताया कि गुरु का बाग नर्सरी में लकड़ी व पौधों के महत्व दर्शाती चित्रकारी कराई जाएगी। इस पहल का उद्देश्य वर्तमान पीढ़ी को जागरुक करना है कि वो पेड़, पौधों का संरक्षण करें। ताकि उन्हें वातावरण से शुद्ध हवा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस नर्सरी में तेजपत्ता, स्टीविया, अशोक, जटामांसी, गिलोय/गुडुची, अश्वगंधा, कुमारी, शतावरी, लेमन ग्रास, गुग्गुलु, तुलसी, सर्पगंधा, कालमेघ, ब्राह्म और आंवला के पौधे लगाने की प्रक्रिया चल रही है।