बाल संप्रेक्षण गृह में फैली संक्रामक बीमारी, छूटकर बाहर आए किशोर ने सुनाई दर्दनाक कहानी, 3 माह से हालात खराब
कानपुर के बाल संप्रेक्षण गृह से छूटकर आए किशोर के पूरे शरीर में दाने और चकत्ते पड़ने के साथ बुखार और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत है। उसने तीन माह से हालात खराब होने की जानकारी दी है। लापरवाही देख अभिभावक अब अदालत की शरण में हैं।
कानपुर, गौरव दीक्षित। बाल संप्रेक्षण गृह की बदहाली वहां के किशोरों को बेहाल कर रही है। संप्रेक्षण गृह से बाहर आए एक किशोर ने दुर्दशा बयां करते हुए बताया कि लगभग सभी किशोर त्वचा से जुड़ी एक संक्रामक बीमारी से जूझ रहे हैं। शरीर पर दाने और लाल चकत्ते पड़े हैं और मांसपेशियों में भयंकर दर्द है।
किशोर का कहना है कि यह स्थिति करीब तीन माह से है, लेकिन चिकित्सा के उपयुक्त इंतजाम नहीं होने से हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिला प्रोबेशन अधिकारी जयपाल सिंह ने त्वचा रोग से जुड़ी समस्या होने की बात स्वीकार की है, लेकिन वह हालात बेकाबू होने जैसी स्थिति नहीं मान रहे।
ऐसे किशोर जो किसी आपराधिक मामले में पकड़े जाते हैं, उन्हें जेल के स्थान पर बाल संप्रेक्षण गृह में रखा जाता है। संप्रेक्षण गृह नौबस्ता थाना क्षेत्र में है। लाल बंगला निवासी बाइक चोरी के आरोप में बंद एक किशोर दो दिन पहले ही संप्रेक्षण गृह से छूटा है।
दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत में किशोर ने जो कहानी सुनाई वह काफी परेशान कर देने वाली है। किशोर के पूरे शरीर में हजारों की संख्या में दाने और लाल रंग के चकत्ते पड़े हैं। उसके मुताबिक शायद ही ऐसा कोई किशोर हो, जिसे यह बीमारी न हुई हो। ऐसा करीब तीन महीनों से है।
अदालत से लगाई गुहार, खाने को तरस रहा बेटा
नौबस्ता अर्रा निवासी एक किशोर पाक्सो एक्ट में संप्रेक्षण गृह में बंद है। किशोर के पिता ने फोन पर बताया कि बेटे के शरीर में दाने, छाले पड़े हैं। गदोरी तक लहूलुहान हैं। मांसपेशियों में इतना दर्द है कि हाथ मुड़ नहीं रहे। ऐसे में किशोर खुद खाना नहीं खा पाते बल्कि एक दूसरे को खाना खिला रहे हैं। बेटे ने बताया कि कोई महिला डाक्टर आती हैं और दिन में केवल एक गोली देकर चली जाती हैं। इसके बाद उन्होंने बाहर से दवा दी तो राहत मिली। उक्त अभिभावक के मुताबिक उन्होंने मामले में अदालत से गुहार लगाई है कि उनके बेटे को उचित इलाज प्रदान किया जाए।
डाक्टर बोले गंदगी से फैला रोग
संप्रेक्षण गृह से छूटकर आए किशोर की तस्वीरें जीएसवीएम मेडिकल कालेज के चर्म रोग विभाग के डा. डीपी शिवहरे को भेजकर राय ली गई तो उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया यह त्वचा से जुड़ी बीमारी स्केबिज लग रही है, जोकि गंदगी की वजह से फैलती है। यह एक विशेष कीड़े की वजह से पनपती है। वहीं दूसरी ओर संप्रेक्षण गृह में बंद एक किशोर के पिता ने दावा किया है कि उनके बेटे को बीमारी के जो लक्षण हैं, वह मंकी पाक्स से मिलते जुलते हैं। हालात खराब हैं, जिन्हें दबाया जा रहा है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी बोले, हालात काबू में
इस संबंध में जब जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कुछ किशोरों में त्वचा से जुड़ी कुछ समस्याएं आई थीं। स्थिति पूरी तरह से काबू में है। पिछले दिनों जिलाधिकारी सहित न्यायिक अधिकारियों ने बाल संप्रेक्षण गृह का दौरा किया है, अगर समस्या होती तो सामने न आती। शिकायत करने वाले झूठ बोल रहे हैं।