Move to Jagran APP

आइआइटी में देश की पहली टेस्टिंग लैब, पता चलेगा भूकंप से कितनी सुरक्षित भवन-पुल Kanpur News

तीन मंजिला इमारत से लेकर पुल बनाने से पहले भूकंपरोधी खाका सुनिश्चित हो जाएगा।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 09:27 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 09:27 AM (IST)
आइआइटी में देश की पहली टेस्टिंग लैब, पता चलेगा भूकंप से कितनी सुरक्षित भवन-पुल Kanpur News
आइआइटी में देश की पहली टेस्टिंग लैब, पता चलेगा भूकंप से कितनी सुरक्षित भवन-पुल Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। दावों से इतर कोई इमारत या पुल भूकंप के झटके में कितना सक्षम है, इसे अब कसौटी पर परखा जा सकेगा। इसके लिए आइआइटी कानपुर में देश की पहली प्रयोगशाला स्थापित की गई है। अत्याधुनिक प्रयोगशाला में तीन मंजिला इमारत से लेकर पुल पर भूकंप के तेज झटकों के प्रभाव का परीक्षण किया जा सकता है। 12 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस प्रयोगशाला में बड़े बड़े उपकरण हैं, जो वैसी ही हलचल पैदा करते हैं, जो भूकंप के आने पर होती है।

loksabha election banner

परीक्षण के बनाई दो दीवारें

प्रयोगशाला में साढ़े दस मीटर की दो स्थायी दीवारें बनी हैं, जिन पर परीक्षण किया जाएगा। शनिवार को प्रयोगशाला का उद्घाटन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने किया। विभाग की ओर इस प्रयोगशाला के निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। उद्घाटन के दौरान निदेशक प्रो. अभय करंदीकर समेत अन्य प्रोफेसर मौजूद रहे। आइआइटी प्रशासन का दावा है कि देश में कहीं पर भी ऐसी प्रयोगशाला नहीं है, जो बड़ी इमारतों में बड़े भूकंप के झटकों का परीक्षण कर सके। इस विश्वस्तरीय प्रयोगशाला की नींव 2006 में रखी गई थी।

कई इमारत व पुल के मॉडल बना हो चुका ट्रायल

सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. दुर्गेश राय व प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी भूकंपरोधी इमारतों पर काफी समय से अनुसंधान कर रहे हैं। उन्होंने कई ऐसे मॉडल तैयार किए हैं जिससे इमारत को भूकंप के झटकों से बचाया जा सकता है। प्रो. दुर्गेश राय ने बताया कि इस प्रयोगशाला में हम पूरी इमारत की टेस्टिंग कर सकते हैं। यह प्रयोगशाला इतनी बड़ी है कि तीन मंजिला इमारत का मजबूत मॉडल बनाया जा सकता है। इस मॉडल को तेज झटके देकर उसकी टेस्टिंग कर सकते हैं। इससे यह पता चलेगा कि किस तरह की इमारत बनाएं जो तेज भूकंप में भी टिकी रहे। इसमें परीक्षण का काम 2015 से शुरू हो चुका है। इस समय अंतराल में कई इमारत व पुल के कई मजबूत मॉडल बनाकर उन पर ट्रायल किया जा चुका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.