मां गंगा की गोद में पली-बढ़ी, अब सफाई को करुंगी प्रेरित ताकि बनी रहे अविरल धारा
एवरेस्ट की ऊंचाइयों को छूने वाली बछेंद्री पाल ने कहा, मां गंगा की सफाई के लिए देश के हर व्यक्ति को आगे आना होगा। कानपुरवासियों को मां गंगा की सफाई के लिए प्रेरित करुंगी।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। एवरेस्ट की ऊंचाइयों को छूने वाली बछेंद्री पाल ने देश की महिलाओं के लिए सशक्तीकरण की नई परिभाषा गढ़ी है। उन्होंने दैनिक जागरण से वार्ता में कहा कि वह शहर में मां गंगा की स्वच्छता को लेकर देशभर में टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन व नमामि गंगे द्वारा होने वाले 'मिशन गंगेÓ में शामिल होंगीं। उनके साथ 40 सदस्यीय टीम भी होगी। 14 अक्टूबर को टीम शहर में बिठूर व परमट के घाटों की सफाई करेगी।
बछेंद्री पाल ने बताया कि मां गंगा तो हमारी श्रद्धा के अलावा हमारे डीएनए में बसी है। बचपन से मां गंगा की गोद में खेलकर बड़ी हुई हूं। उत्तरकाशी के नकुरी में घर के बाहर से जब मां गंगा की धारा बहती थी तब जन्म देने वाली मां ने कहा था कि ये वो मां है जो हमेशा मानव जीवन को संवारेगी। उन्होंने वर्ष 1994 में हरिद्वार से लेकर कोलकाता तक लगभग 2,500 किलोमीटर नौका विहार के माध्यम से मां गंगा की सफाई के लिए देश की महिलाओं को एकजुट किया। ये देश का पहला अभियान था जिसमें इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं आगे आईं थीं।
उन्होंने बताया कि मां गंगा की सफाई के लिए देश के हर व्यक्ति को आगे आना होगा। शहर आने पर कानपुरवासियों को मां गंगा की सफाई के लिए प्रेरित करुंगी। ताकि मां गंगा की अविरल धारा बह सके। देश की पहली महिला पर्वतारोही का खिताब अपने नाम करने वाली बछेंद्री पाल वर्तमान में इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं जहां वे देश के चुने हुए युवाओं को पर्वतारोहण का प्रशिक्षण दे रहीं है। कहा कि वे देश में महिला सशक्तीकरण को लेकर समाज को जागरूक कर रहीं है, ताकि देश में बेटियों को शिक्षा व सम्मान मिल सके।