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कानपुर में श्रमिकों की बात नहीं होगी तो हर सरकार का करेंगे विरोध, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने लिया निर्णय

राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ भारत बचाओ कार्यक्रम के तहत विरोध प्रदर्शन कर सरकार को पुन सोचने के लिए बाध्य किया जाएगा। विरोध प्रदर्शन पर सरकार के इसेंशियल डिफेंस सर्विस एक्ट-2021 की बाधा पर उन्होंने कहा कि हम हड़ताल नहीं करेंगे।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 03:24 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 05:35 PM (IST)
कानपुर में श्रमिकों की बात नहीं होगी तो हर सरकार का करेंगे विरोध, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ ने लिया निर्णय
कानपुर में विरोध प्रदर्शन की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ, भारत बचाओ के क्रम में 28 अक्टूबर को भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ विरोध प्रदर्शन करेगा।रेलवे, बीमा, रक्षा, बैंक समेत अन्य जगहों पर भारतीय मजदूर संघ के लोग अपनी-अपनी संस्थाओं में विरोध प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन अधिकारियों को सौंपेंगे। बुधवार को नवीन मार्केट स्थित कार्यालय में वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मुकेश सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मजदूरों के हित के लिए हर सरकार का विरोध भारतीय मजदूर संघ करने को तैयार है।दरअसल भारतीय मजदूर संघ को भाजपा समर्थित श्रमिक संगठन माना जाता है।ऐसे में संगठन द्वारा किया जा रहा विरोध सरकार के लिए सोचनीय होगा।

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राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ, भारत बचाओ कार्यक्रम के तहत विरोध प्रदर्शन कर सरकार को पुन: सोचने के लिए बाध्य किया जाएगा। विरोध प्रदर्शन पर सरकार के इसेंशियल डिफेंस सर्विस एक्ट-2021 की बाधा पर उन्होंने कहा कि हम हड़ताल नहीं करेंगे। भारतीय जीवन बीमा निगम के क्षेत्रीय मंत्री रामनरेश पाल ने कहा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमो ने देश की आर्थिक गतिविधियों में सदैव ईंधन का काम किया है। इन उपक्रमो ने देश के अंदर क्षेत्रीय, आर्थिक एवं सामाजिक असमानता से पीड़ित समाज के सभी क्षेत्रो में समानता लाने का कार्य किया है। ऐसे में आज के बड़े बड़े अर्थशास्त्री जो इन उपक्रमों के निजीकरण की बात करते हैं, वह सामाजिक योगदान को भूल जाते हैं। रेलवे के राजाराम मीणा ने कहा कि एक ही तरह के सार्वजनिक एवं निजी उद्योग में कार्य करने वाले कर्मचारियों के जीवन स्तर एवं उनकी आर्थिक - सामाजिक सुरक्षा एवं उत्पीड़न एवं कार्यदशाओ के अन्तर को पूरी तरह भूल जाते है।निजीकरण का मूलमंत्र देने वाले बड़े-बड़े अर्थशास्त्री कर्मचारियों के आर्थिक उत्थान, विकास की मुख्य धारा मे लाने आदि से संबंधित विचार देने मे शून्य नजर आते हैं।सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ही एकमात्र ऐसा माडल है जो हर तरह की असमानता दूर करने की क्षमता रखते हैं।वार्ता में संजीव कुमार दुबे, राजाराम मीणा, फिरोज आलम, अमित तिवारी, अभय मिश्रा, पुनीत गुप्ता, रामशंकर विश्वकर्मा, गोपाल द्विवेदी, रामकुमार शर्मा उपस्थित रहे।

यह हुई मांग

  • सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण एवं विनिवेश पर रोक
  •  41 आयुध निर्माणियो का निगमीकरण निर्णय रद किया जाए
  • विदेशी पूंजी निवेश की सीमा न बढ़ायी जाए
  • बैंक एवं बीमा कम्पनियो का मर्जर न किया जाए
  • कोयला क्षेत्र का व्यापारीकरण रोका जाए
  • श्रम नियमो मे कर्मचारी विरोधी प्रावधानो को रद्द किया जाए
  • बीएसएनएल एवं एमटीएनएल को पुर्नजीवन पैकेज दिया जाए
  • तीसरी पी0आर0सी0 को केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्रो के कर्मचारियो हेतु लागू किया जाए

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