सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया...भारतीय संस्कृति और Covishield के दम पर 'विश्वगुरु' बनने की ओर अग्रसर भारत
Coronavirus Study ब्रिटेन के हेल्थ स्कूल की पहल पर केजीएमयू और प्रयागराज मेडिकल कॉलेज में शोध से चला पता। रहन-सहन खानपान रीति-रिवाज और परंपराओं के कारण टेके घुटने। कानपुर नगर उन्नाव लखनऊ बहराइच व आसपास के क्षेत्रों में शोध।
कानपुर,[ऋषि दीक्षित]। Coronavirus Study भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खानपान और परंपराओं के आगे कोरोना नतमस्तक रहा और भयावह रूप नहीं ले सका। विदेश में कोरोना से लाखों मौतें हुईं, जबकि वहां के मुकाबले यहां हालात सामान्य रहे।
यह सच ब्रिटेन के कंसल्टेंट जॉन हॉकिंस पब्लिक हेल्थ स्कूल की पहल पर लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और प्रयागराज मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की ओर से किए गए शोध में सामने आया है। इस शोध को इंडियन जर्नल ऑफ कम्यूनिटी हेल्थ में प्रकाशित किया गया है।
नमस्ते और प्रणाम की परंपरा ने रोका संक्रमण: शोध में लखनऊ, उन्नाव, बहराइच, कानपुर देहात, कानपुर नगर व आसपास के क्षेत्रों को शामिल करके विशेषज्ञों ने ग्रामीणों के बीच समय गुजारा। उन्हें भारतीय परंपरा में खाने से पहले हाथ-पैर व मुंह धोने, शौच व लघुशंका के बाद हाथ धोने की अच्छी आदतें मिलीं। अभिवादन का तरीका प्रणाम या नमस्ते है, जिससे शारीरिक दूरी का पालन हुआ। विदेश में एक-दूसरे से मिलने पर लोग गले मिलते हैं, चुंबन करते हैं, हाथ मिलाते हैं, जो वहां संक्रमण के प्रसार का बड़ा कारण बना।
निधन के बाद 13 दिन का क्वारंटाइन: भारतीय परंपरा में निधन के बाद 13 दिन का श्राद्ध कर्म होता है। इस दौरान दाह संस्कार करने वाला व्यक्ति क्वारंटाइन (पृथकवास) यानी एकदम अलग रहता है। उस परिवार में भी लोगों का आना-जाना मना होता है। दाह संस्कार के बाद लौटकर लोग स्नान करते हैं। कोरोना काल में इससे भी संक्रमण फैलने से रुका। वहीं, किसी भी तरह के संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए जलाना स्ट्रेलाइजेशन का बेहतर तरीका माना जाता है। सनातन धर्म में आदिकाल से ही दाह संस्कार (जलाने) की परंपरा है।
खानपान ने बढ़ाई प्रतिरोधक क्षमता: भारतीय खानपान में तुलसी, लौंग, काली मिर्च, दालचीनी, गुड़, अदरक, लहसुन, प्याज, तरह-तरह की दालें और मौसमी फल व सब्जियां खाई जाती हैं। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने का फायदा मिला।
भारत ने दिया वसुधैव कुटुंबकम का परिचय: भारत के विज्ञानियों ने कोरोना की दवा खोजकर वसुधैव कुटुंबकम की भावना को सिद्ध कर दिखाया। इतना ही नहीं भारत ने विश्व भर में कोविशील्ड को उपलब्ध कराकर दुनिया को महामारी से बचाने की पहल की। हालांकि भारत के इस सहयोग पर विश्व के कई देशों आभार व्यक्त किया और अब इस बात से तनिक भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि भारत जल्द ही दुनिया के समक्ष विश्वगुरु बनकर उभरेगा।
विशेषज्ञों का मानना है :इंडियन जर्नल ऑफ कम्यूनिटी हेल्थ ने दिसंबर-जनवरी 2020 के अंक दो में भारतीय रीत-रिवाज, परंपरा, संस्कृति का कोरोना के बचाव एवं निदान में योगदान के शोध को प्रकाशित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन भी भारतीय संस्कृति से प्रेरित है। इसीलिए विदेश में रहने वाले भारतीय भी कोरोना से कम प्रभावित हुए। अध्ययन में गीता के श्लोक का भी जिक्र है, जो उसे प्रमाणित करते हैं। - डॉ. सुरेश चंद्रा, प्रोफेसर, कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज एवं जर्नल के पूर्व संपादक।
खास बातें
- 2019 में चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला।
- 30 जनवरी, 2020 को देश के केरल में कोरोना का पहला केस मिला।
- 22 मार्च को जनता कफ्र्यू और 25 मार्च से लॉकडाउन लगा।