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दुबई में दमका भारतीय सौंदर्य, पढ़िए-मिसेज यूएई इंटरनेशनल बनीं कानपुर की चारुल से खास बातचीत

कानपुर की चारुल शादी के बाद दुबई जाकर बस गईं। उन्होंने अपनी जीत के लिए पति के सहयोग और इच्छाशक्ति को श्रेय दिया है। मिसले यूएई इंटरनेशनल के साथ ही टैलेंट राउंड में उन्होंने मिसेज ग्लैमर दीवा का भी टाइटल जीता।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Tue, 11 Jan 2022 08:00 PM (IST)
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कानपुर की खूबसूरती ने रोशन किया देश का नाम।

कानपुर, आरती तिवारी। दुबई में रहने वाली कानपुर की चारुल चतुर्वेदी जेटली ने पिछले दिनों दुबई में आयोजित मिसेज यूएई इंटरनेशनल का खिताब अपने नाम किया। उनसे मोबाइल पर हुई संक्षिप्त बातचीत...

कानपुर से विदेशी जमीं पर भारतीय प्रतिभा और सौंदर्य को पहचान सालों से मिलती आ रही है। इसी क्रम में पिछले दिनों खूबसूरती के मामले में देश का नाम रोशन किया है उत्तर प्रदेश के कानपुर की चारुल चतुर्वेदी जेटली ने। चारुल ने दुबई में मिसेज यूएई इंटरनेशनल का खिताब अपने नाम कर देश को गौरव महसूस करने का मौका दिया। इसके साथ ही टैलेंट राउंड में उन्होंने मिसेज ग्लैमर दीवा का भी टाइटल जीता।

पति की इच्छाशक्ति से मिली जीत

शादी के बाद दुबई जा बसीं चारुल ने अपनी जीत को पति व माता-पिता को समर्पित किया साथ ही कानपुर में हुए लालन-पालन से मिलने वाली सीख को भी उन्होंने अपनी जीत का हिस्सा माना। बिजनेस कंसल्टेंसी का काम करने वाली चारुल ने कहा कि मैंने पहले भी माडलिंग में कई टाइटल व प्रतियोगिताएं जीती हैैं। माडलिंग मुझे पसंद थी, लेकिन शादी के बाद मैंने इस ओर कम ध्यान दिया। इस प्रतियोगिता का इंतजार काफी समय से था, लेकिन उस दौरान एक कठिन सर्जरी से गुजर रही थी। मैैं आखिरी वक्त में इसमें शामिल हो पाई। मेरी तबियत खराब थी, लेकिन पति के साथ और सहयोग से और इच्छाशक्ति से मैंने जीत हासिल की।

योग व ध्यान को मानती अपनी शक्ति

चारुल ने कहा कि मैैं योग व ध्यान को अपनी शक्ति मानती हूं और बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की हूं साथ ही महत्वपूर्ण मंचों पर सक्रिय तौर पर अपने विचार रखती हूं। इस ताज के साथ मिलने वाली जिम्मेदारियों के बारे में चारुल कहती हैं, मैं महिला सशक्तीकरण व मानसिक सेहत को लेकर जागरूकता फैलाना चाहती हूं। इसके साथ ही प्रकृति की रक्षा करने के लिए मैं पेड़-पौधे लगाने को लेकर भी लोगों को जोडऩा चाहती हूं। हमारी टीम ने दुबई और इसके आसपास अब तक लाखों पौधे लगाए हैं। मुझे उम्मीद है कि भारत के लोगों में भी वातावरण को साथ लेकर चलने की भावना और अधिक बलवती होगी।