परिवार की 'केमिस्ट्री' ने पीयूष जैन को बनाया 'किंग', जानिए क्या था कामयाबी का रहस्य
कहते हैं कि हर कामयाबी को पढ़ाई और मेहनत ही पंख लगाती है। ऐसे में घर का साथ मिल जाए तो आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता। पीयूष जैन की काली कमाई के पीछे केमिस्ट्री की पढ़ाई के साथ परिवार का सहयोग भी रहा है।
कन्नौज, (प्रशांत कुमार)। इत्र कारोबारी पीयूष जैन कंपाउंड (केमिकल से निर्मित पान मसाला में डाला जाने वाले सेंट या फ्लेवर) निर्माण के किंग ऐसे ही नहीं बन गए, इसके पीछे उनके परिवार की 'केमिस्ट्री' व मेहनत का बड़ा हाथ है। वह खुद केमिस्ट्री से एमएससी हैं, जबकि भाई और पत्नी भी केमिस्ट्री से बीएससी और एमएससी किए हुए हैं। दोनों की पत्नियां भी कारोबार में सहयोगी हैं। कन्नौज में उनके जैसा कंपाउंड बनाने वाले कम ही हैं, जो कोई फेल नहीं कर पाया। इसीलिए उन्हें इत्रनगरी का कंपाउंड किंग कहा जाता है। ये अलग बात है कि अब वह काले धन के कुबेर के रूप में सबके सामने हैं।
कारोबारी पीयूष जैन, उनके भाई अम्बरीश जैन, उनकी पत्नी केमिस्ट्री से बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की है। आसपास के लोगों के मुताबिक, कारोबारी के यहां देर रात काम शुरू होने के बाद महज चार घंटे में खत्म भी हो जाता था। कंपाउंड बनाने में पीयूष, उनकी पत्नी, भाई और उनकी पत्नी सहयोगी थे। चारों लोग मिलकर खुद ही कंपाउंड तैयार करते थे। इसमें उनके किसी कर्मचारी का सहयोग नहीं होता था। इसके पीछे वजह थी कि कहीं उनका फार्मूला लीक न हो जाए।
कर्मचारियों को देते थे सबसे अधिक पैसा
पीयूष के यहां काम करने वाले कर्मचारी चार घंटे में ही इतने पैसे पा जाते थे कि वह कहीं और काम करने नहीं जाना चाहते थे। अन्य कारोबारियों के मुकाबले वह कर्मियों पर ज्यादा धन खर्च करते थे।
पिता ने की शुरुआत, बेटा बन गया धन कुबेर
लोगों के मुताबिक, पीयूष के बाबा फूलचन्द्र छपाई का काम करते थे। उनके पिता महेशचंद्र मुंबई की एक साबुन कंपनी में काम करते थे। उन्होंने ही कंपाउंड बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद पीयूष ने कारोबार की कमान संभाली। उन्होंने चंदन का ऐसा सिंथेटिक आयल बनाया, जो कोई नहीं बना सका। वह बिल्कुल चंदन के तेल जैसा ही अहसास कराता है। पीयूष ने प्रिया स्कूटर खरीदा, जिससे वह शहर में आते-जाते थे। आज भी वह उसी से चलते हैं। वर्तमान में उनका कंपाउंड पान मसाला व सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां लेती हैं। विदेश तक में सप्लाई है। उनके दो बेटे और एक बेटी है। बेटी की शादी हो चुकी है, जो पायलट बताई जाती है।
कई कारोबारियों की बना दी जिदंगी
पीयूष अकेले ही इस कारोबार में नहीं बढ़े, बल्कि जिले के कई ऐसे लोगों की भी जिदंगी बदल दी या कहें कि कारोबारी बना दिया, जो इस लाइन में नए थे। जिन्होंने नया-नया कदम रखा था। पीयूष के पास कई लोग अपना कंपाउंड बनवाने आते थे। जिनका कंपाउंड उन्होंने बनाया, आज वो बड़े कारोबारियों में शुमार हैं।