अप्रवासी भारतीयों की देश में संपत्तिया तलाशने में जुटा आयकर विभाग
एनआरआइ अपनी संपत्तियां गुपचुप बेचकर चले जाते हैं और आयकर विभाग को उनसे टैक्स नहीं मिल पाता है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : आयकर विभाग अब अप्रवासी भारतीयों (एनआरआइ) की देश में संपत्तियां तलाशने में जुट गया है। दरअसल कई बार एनआरआइ अपनी संपत्तियां गुपचुप बेचकर चले जाते हैं और उस पर आयकर विभाग को उनसे टैक्स नहीं मिल पाता। बाद में संपत्ति खरीदने वालों को टैक्स चुकाना पड़ता हैं। इसमें कागजी कार्रवाई काफी बढ़ जाती है। इसको लेकर अब विभाग ने अप्रवासी भारतीयों को नोटिस जारी कर संपत्तियों का ब्योरा मांगा है।
किसी अप्रवासी भारतीय से संपत्ति खरीदने के नियम आयकर विभाग के हिसाब से अलग होते हैं। एनआरआइ के संपत्ति बेचकर बाहर चले जाने से टैक्स की देनदारी खरीदार पर ही हो जाती है। टैक्स सलाहकारों के मुताबिक यह देनदारी 20 फीसद तक हो सकती है इसलिए तमाम मौकों पर अप्रवासी भारतीय खरीदार को भी अपनी पूरी पहचान नहीं बताते। इसके साथ ही अगर किसी अप्रवासी से संपत्ति खरीदी जाएगी तो आयकर के नियमों के हिसाब से उसका टीडीएस भी चुकाना होगा। आयकर ने अपने अधिकारियों को निर्देश भी दे रखे हैं कि अप्रवासी भारतीयों की प्रॉपर्टी के सौदों पर नजर रखी जाए। साथ ही उन पर टीडीएस के इंतजाम कराए जाएं। कोई करदाता अगर किसी एक वित्तीय वर्ष में 182 दिन देश में रहा है तो वह भारतीय नागरिक माना जाएगा। इससे कम दिन रहने पर अप्रवासी माना जाएगा।
''आयकर विभाग अप्रवासी भारतीयों की संपत्तियों के बारे में जानकारी जुटा रहा है। विभाग जानना चाहता है कि उनकी संपत्तियां कौन-कौन सी हैं। जब कभी उनके रिटर्न आएं तो देखा जा सके कि उनकी संपत्तियों का जिक्र है या नहीं। इसके अलावा उनकी बिक्री हो तो भी टैक्स लिया जा सके। - विवेक खन्ना, चार्टर्ड अकाउंटेंट।