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सरकारी गोपनीय दस्तावेजों में अब नहीं लग सकेगी साइबर सेंध, सुरक्षा तैयारियों में आइआइटी पास

साइबर सिक्योरिटी कोआर्डिनेटर, यूआइडीएआइ (आधार) के उप निदेशक, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद व आइआइएससी बेंगलुरु समेत कई अफसरों ने प्रोजेक्ट के प्रथम चरण की जांच कर जताई संतुष्टि।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 01:32 PM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 01:32 PM (IST)
सरकारी गोपनीय दस्तावेजों में अब नहीं लग सकेगी साइबर सेंध, सुरक्षा तैयारियों में आइआइटी पास
सरकारी गोपनीय दस्तावेजों में अब नहीं लग सकेगी साइबर सेंध, सुरक्षा तैयारियों में आइआइटी पास

कानपुर (जागरण संवाददाता)। सरकारी दस्तावेजों व निजी जानकारियां सुरक्षित करने की तैयारियों में आइआइटी कानपुर पास हो गया है। साइबर सिक्योरिटी काउंसिल, यूआइडीएआइ और आइआइएससी बेंगलुरु समेत कई विभागों के अधिकारियों ने प्रोजेक्ट के प्रथम चरण का निरीक्षण किया और संतुष्टि जाहिर की। यह प्रोजेक्ट ब्लॉक चेन पर आधारित है, इसमें गोपनीय दस्तावेज, बैंक खाते, पीएफ फंड, शेयर मार्केट, आधार कार्ड, ऑनलाइन बैंकिंग समेत अन्य की सुरक्षा का पुख्ता खाका तैयार करना है ताकि इनकी सूचनाओं में साइबर सेंध न लग सके।

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कौन-कौन अधिकारी आए

भारत सरकार की ओर से साइबर सिक्योरिटी कोआर्डिनेटर डॉ. गुलशन राय, यूआइडीएआइ (आधार) के उप निदेशक वाईएलपी राव, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारी सुनील अग्रवाल, आइआइएससी बेंगलुरु के प्रो. नारहरि, अमृता यूनिवर्सिटी के प्रो. सेतु माधवन, तमिलनाडु ई-गवर्नेंस के निदेशक संतोष मिश्रा समेत अन्य अधिकारी आइआइटी में आए।

साढ़े चार घंटे तक चली बैठक

प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए आई टीम ने शनिवार को आइआइटी के उप निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल, कंप्यूटर साइंस इंजीनियङ्क्षरग के साइबर सिक्योरटी लैब इंचार्ज प्रो. संदीप शुक्ला के साथ सुबह 10 से दोपहर ढाई बजे तक बैठक की। प्रोजेक्ट की कार्ययोजना जानी। किस तरह से इसे आगे ले जाना है, प्रगति रिपोर्ट क्या है, इस पर लंबी वार्ता की। बाहर से आए विशेषज्ञों ने लैब में कई हाईटेक उपकरणों का अवलोकन किया, प्रस्तुतीकरण देखा।

33.4 करोड़ रुपये का है प्रोजेक्ट, सरकार कर रही फंडिंग

नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सहयोग से 33.4 करोड़ रुपये का यह तीन वर्षीय प्रोजेक्ट चल रहा है। इसमें ऐसी तकनीक विकसित की जा रही है, जिससे हैकर, टप्पेबाजों आदि से दस्तावेजों को बचाया जा सके। उत्तर प्रदेश के राजस्व और रजिस्ट्री व स्टांप विभाग के साथ भी आइआइटी काम कर रहा है। सरकार की ओर से दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए संस्थान को फंडिंग की जा रही है। आइआइटी कानपुर के उपनिदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल का कहना है कि साइबर सिक्योरिटी काउंसिल की ओर से प्रोजेक्ट की समीक्षा करने वाली टीम संस्थान में आई थी। पहले चरण के काम पर टीम ने संतुष्टि जताई है।


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