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IIT Kanpur में कॉगनेटिव साइंस पर आधारित नया विभाग खोलने की तैयारी, रोबोट के मस्तिष्क की प्रोग्रामिंग पर विज्ञानी करेंगे काम

बीटेक एमटेक पीएचडी की होगी पढ़ाई। कई विभागों के विशेषज्ञ मिलकर करेंगे कार्य ज्वाइंट फैकल्टी कहलाएंगे रोबोट्स पर काम जारी। विभाग में कई अन्य विभागों की फैकल्टी संयुक्त रूप से काम करेगी। विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रो. बिशाख भट्टाचार्या को दी गई है।

By ShaswatgEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 02:18 PM (IST)Updated: Fri, 11 Dec 2020 05:39 PM (IST)
IIT Kanpur में कॉगनेटिव साइंस पर आधारित नया विभाग खोलने की तैयारी, रोबोट के मस्तिष्क की प्रोग्रामिंग पर विज्ञानी करेंगे काम
विभाग में कंप्यूटर विज्ञानी, मनोवैज्ञानिक, न्यूरोसाइंटिस्ट, भाषाविद्, दार्शनिक आदि शामिल होंगे।

कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और प्रोग्रामिंग के माध्यम से रोबोट्स और कोबोट्स को संचालित किया जा रहा है,  उनसे कई  तरह के काम लिए जाते हैं। निर्देशों के आधार पर फंक्शन भी करते हैं, लेकिन उनके अंदर सोचने, समझने और भावुक होने की ताकत डाली जा रही है। कुछ इसी तरह का कारनामा आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ करने की तैयारी कर रहे हैं। कुछ रोबोट्स पर काम हो गया है, लेकिन उनको दिमाग की तरह सोचने, समझने, भावुक होने की प्रोग्रामिंग नहीं डाली जा सकती है। यह संभव आइआइटी कानपुर में नए विभाग के खुलने पर होगा, जिसका नाम कॉगनेटिव साइंस (संज्ञानात्मक विज्ञान) है। इस पर अलग से काम पहले से किया जा रहा है , लेकिन अब छात्र छात्राएं इसमें बीटेक, एमटेक और पीएचडी कर सकेंगे। विभाग में कई अन्य विभागों की फैकल्टी संयुक्त रूप से काम करेगी। विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रो. बिशाख भट्टाचार्या को दी गई है। विभाग की मंजूरी ई-सीनेट के बाद बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने भी दे दी। 

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न्यूरो की समस्या को दूर करेगा

प्रो. बिशाख भट्टाचार्या ने बताया कि कोग्नेटिव साइंस मन का अध्ययन है। यह कैसे काम करता है, किस तरह से एक्टिव होता है। सोते समय सांस लेना, शरीर के अंगों को निर्देश देना आदि का काम तो करता है, लेकिन मनुष्य को कुछ भी याद नहीं रहता है। इसकी स्पीड बहुत ही तेज है। इनमें न्यूरॉन की सक्रियता काफी ज्यादा है। विभाग में कंप्यूटर विज्ञानी, मनोवैज्ञानिक, न्यूरोसाइंटिस्ट, भाषाविद्, दार्शनिक आदि शामिल होंगे। 

मानव मस्तिष्क पर आधारित 

यह मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर के कृत्रिम दिमाग पर आधारित होगा। इसमें जहां मनुष्य की न्यूरो संबंधी दिक्कतों को शामिल किया गया है, वहीं कंप्यूटर को इमोशनल करने की तैयारी है। रोबोट्स में मनुष्यों की तरह सोचने, समझने और भावुक होने जैसे प्रोग्रामिंग की जाएगी। यह बच्चों के बदलते स्वभाव, एकांकी जीवन और अवसाद को कम करने के लिए तैयार किया जाएगा।  विभाग आइक्यू लेवल के साथ ही इमोशनल लेवल पर भी शोध करेगा।


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