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नोवेल नैनो अधिशोषक तकनीक से शुद्ध होगा पानी, आइआइटी की टीम ने विकसित की खास तकनीक

आइआइटी की टीम ने नोवेल नैनो अधिशोषक तकनीक विकसित की है इससे प्रदूषित पानी से एंटी बायोटिक और धातु प्रतिरोधी बैक्टीरि या को हटाया जा सकेगा । आइआइटी निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने टीम की सराहना की है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 17 Mar 2022 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 17 Mar 2022 08:55 AM (IST)
पानी से हटाए जा सकेंगे हानिकारक तत्व।

कानपुर, जागरण संवाददाता। दुनिया कई पर्यावरणीय खतरों से जूझ रही है जिनमें जल प्रदूषण एक है। इसका असर इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्रदूषित जल की समस्या को खत्म करने को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर की टीम ने नोवेल नैनो अधिशोषक (एडसार्बेंट) तकनीक विकसित की है। यह तकनीक प्रदूषित पानी से एंटी बायोटिक व धातु प्रतिरोधी बैक्टीरिया को हटाएगा। नैनो अधिशोषक में अद्वितीय भौतिक रासायनिक गुण होते हैं, जो पानी से एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया (एआरबी) को निष्क्रिय और अलग कर सकते हैं। आइआइटी निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने नवाचार के लिए टीम की सराहना की है।

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एंटी बायोटिक और धातु प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण बढ़ती जलजनित बीमारियों की समस्याओं के समाधान के लिए आइआइटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग से डा.अर्चना रायचूर और डा. नीरज सिन्हा ने अपशिष्ट जल उपचार में अनुप्रयोगों वाले एक नोवेल नैनो-अधिशोषक का आविष्कार किया। आइआइटी में विकसित नैनो-अधिशोषक में अद्वितीय भौतिक-रासायनिक गुण हैं जो पानी से एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया (एआरबी) को निष्क्रिय और अलग कर सकते हैं। इन नैनो-अधिशोषक में निकट भविष्य में मेंब्रेन फिल्टर के एक घटक के रूप में उपयोग किए जाने की क्षमता है। जैव-उपचार पर क्लीनिकल मूल्यांकन और अनुप्रयोग के लिए परीक्षण किया गया है जो व्यवसायीकरण के लिए तैयार है।

दवाओं व फार्मास्यूटिकल्स अवशेषों से बढ़ा जल प्रदूषण : वर्तमान समय में, दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स अवशेषों की वजह से जल प्रदूषण बढ़ रहा है। कई अन्य संदूषक हैं जो जल प्रदूषण में योगदान करते हैं। नए उभरते प्रदूषकों द्वारा जल प्रदूषण को रोकने के लिए नैनो कणों का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। नैनो-कण जल से प्रदूषकों को हटाने के लिए अधिशोषक के रूप में कार्य करते हैं। यूनिफार्म क्यूबिकल नैनो-शोषक पर्यावरण के अनुकूल, पुन: प्रयोज्य, जीवाणुनाशक और बहु-स्तरित है और पानी से हानिकारक बैक्टीरिया को चुनिंदा रूप से हटाने के लिए कार्यात्मक है।

-जल प्रदूषण का सीधा असर इंसानों और जानवरों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। आइआइटी कानपुर में नैनो-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा शोध व्यापक और विविध है और यह आविष्कार इसका प्रमाण है। पूरी टीम को इस उन्नत नैनो-एडसार्बेंट के रूप में एक महत्वपूर्ण आविष्कार के लिए बधाई। यह न केवल जल प्रदूषण को रोकेगा बल्कि मानव जाति के लिए भी महत्वपूर्ण रूप से फायदेमंद होगा। - प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक, आइआइटी, कानपुर


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