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Coronavirus से जंग में आइआइटी ने चार दिन में बनाया पोर्टेबल वेंटीलेटर, डॉक्टरों की सुरक्षा का रखा ध्यान

आइआइटी कानपुर के सहयोग से संस्थान के पुरातन छात्र ने बनाया अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़कर अपग्रेड वर्जन पर काम कर रहे हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 12:40 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 08:14 PM (IST)
Coronavirus से जंग में आइआइटी ने चार दिन में बनाया पोर्टेबल वेंटीलेटर, डॉक्टरों की सुरक्षा का रखा ध्यान

कानपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस से जंग में आइआइटी कानपुर ने चार दिनों में पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाकर एक लड़ाई जीतने में कामयाबी हासिल की है। देश-दुनिया में बढ़ते कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों की संख्या को देखते हुए आइआइटी छात्रों ने फिलहाल पोर्टेबल वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है। जल्द ही मरीजों पर टेस्टिंग के बाद एक माह में एक हजार पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाने का लक्ष्य है। इसमें डाॅक्टरों की सुरक्षा को देखते हुए कई विशेष फीचर भी इनबिल्ड हैं।

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देश दुनिया में वेंटिलेटर की मांग बढ़ी

कोरोनो वायरस के रोगियों की संख्या को देखते हुए वेटिंलेटर की मांग तेजी से देश और दुनिया में बढ़ रही है। हाल ही में इटली में हजारों कोरोना संक्रमित लोगों की मौत और बड़ी संख्या में मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के चलते दूसरे देशों से वेंटिलेटर की मांग की गई थी, लेकिन खुद ही महामारी से जूझ अन्य देश आगे नहीं आए हैं। वहीं भारत में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ते देखकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आइआइटी) कानपुर और पुरातन छात्र आगे आए और उन्होंने चार दिन में पोर्टेबल वेंटीलेटर का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार कर लिया है। अब इसे जल्द ही मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा। संस्थान की खोज के बाद निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने टीम का हौसला अफजाई की है।

एक माह में बनाएंगे एक हजार पोर्टेबल वेंटिलेटर

आइआइटी के पुरातन छात्र निखिल कुरेले और हर्षित राठौर ने आइआइटी के इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन हब के सहयोग से पोर्टेबल वेंटीलेटर का आइडिया विकसित किया था और इसे पेटेंट भी कराया। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए हब के इंचार्ज प्रो.अमिताभ बंधोपाध्याय ने निखिल और हर्षित से बात की तो दोनों तैयार हो गए। आइआइटी के मकैनिकल इंजीनियरिंग के प्रो.समीर खांडेकर, प्रो.अरुण साहा, प्रो.जे रामकुमार, प्रो.विशाख भट्टाचार्य ने प्रोटोटाइप मॉडल बनाने में तकनीकी सहयोग की हामी भरी। दोनों पुरातन छात्र लॉक डाउन के चलते संस्थान नहीं आ सके। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, स्काईप और अन्य तरीके से दिन रात एक कर प्रोटोटाइप मॉडल तैयार कर लिया। उनकी कंपनी ने कुछ अन्य संस्थाओं के सहयोग से जल्द से जल्द कई वेंटीलेटर बनाने का निर्णय लिया है। टीम का एक महीने के अंदर एक हज़ार पोर्टेबल वेंटीलेटर तैयार करने का लक्ष्य है।

डॉक्टरों की सुरक्षा का रखा ध्यान, मोबाइल से होगा संचालित

कोरोना वायरस संक्रमित मरीज से डॉक्टरों को चपेट में आने का अधिक खतरा रहता है। इसमें सबसे ज्यादा संवेदनशील वेंटिलेटर होता है क्योंकि उसे संचालित करने के लिए बार बार छूना भी पड़ता है। इससे डॉक्टरों को खतरा रहता है, ऐसे में इस पोर्टेबल वेंटिलेटर में सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टेबल वेंटीलेटर मोबाइल फोन से संचालित होगा।ऐसे में इसे डाॅक्टर या स्वास्थ्य कर्मी निश्चित दूरी से चला सकता है। ऑक्सीजन के लिए दो ऑप्शन है, एक स्लो और दूसरा फ़ास्ट। इसमें आसानी से ऑक्सीजन सिलिंडर भी जोड़ा जा सकता है। यह बेहद हल्का और छोटा है। इसमें छोटी बैटरी भी लगी है, यदि कुछ देर बिजली आपूिर्त बंद भी हो जाएगी तो भी यह काम करता रहेगा। प्रो.अमिताभ बंदोपाध्याय के मुताबिक प्रोटोटाइप तैयार हो गया है, यह ऑटोमैटिक है। रविवार और सोमवार को इसकी मेडिकल टेस्टिंग कराई जाएगी।

अब हो रहा अपग्रेड वर्जन पर काम

आइआइटी के विशेषज्ञों ने पोर्टेबेल वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप बनाने के बाद अपग्रेड वर्जन पर काम करना शुरू कर दिया है। इसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ा जा रहा है, इसमें रोगी की स्तिथि को देखते वेंटिलेटर स्वत: निर्णय लेगा कि किस मोड में ऑक्सीजन सप्लाई देनी है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मरीज से वेंटिलेटर हटाने के बाद उसे सेनेटाइज करने के लिए भी ऑपशन दिया जा रहा है। इसकी लागत कुछ अधिक होगी लेकिन संक्रमण का खतरा कम रहेगा।


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