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आइआइटी वैज्ञानिकों ने ईजाद की भूमि, किसानों के लिए होगी फायदेमंद और दूर करेगी शहरों की समस्या

आइआइटी की इन्क्यूबेटेड कंपनी एग्नीस वेस्ट मैनेजमेंट के वैज्ञानिकों ने तकनीक इजाद कर मशीन तैयार की है जिसे भूमि नाम दिया गया है। इससे शहरों में कचरे की समस्या दूर होगी और किसानों के लिए खेतीबाड़ी में खूब काम आएगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 15 Mar 2022 09:57 AM (IST)Updated: Tue, 15 Mar 2022 09:57 AM (IST)
आइआइटी वैज्ञानिकों ने ईजाद की भूमि, किसानों के लिए होगी फायदेमंद और दूर करेगी शहरों की समस्या
जैविक कचरे को खाद में बदल देगी मशीन।

कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर की इन्क्यूबेटेड कंपनी एग्नीस वेस्ट मैनेजमेंट प्रा.लिमि. के वैज्ञानिकों ने भूमि नाम से स्वचालित कंपोस्टिंग मशीन विकसित की है, जो महज 10 दिन में कचरे को खाद में बदल देगी। यह उपकरण कार्बन फिल्टर, एयरपंप, सोलर पैनल जैसी तकनीक से लैस है।

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आइआइटी के स्टार्टअप इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर के तहत वर्तमान में सौ से ज्यादा कंपनियां पंजीकृत हैं। ये कंपनियां आइआइटी के ही तमाम पूर्व और वर्तमान छात्र मिलकर संस्थान के प्रोफेसर व वैज्ञानिकों की मदद से चला रहे हैं। इसी में से वर्ष 2018 में स्थापित कंपनी एग्नीस वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने संस्थान की इमेज इंजीनियरिंग लैब और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड के सहयोग से स्वचालित कंपोस्टिंग मशीन बनाई है। इससे अपशिष्ट प्रबंधन के साथ ही खेतीबाड़ी के लिए कंपोस्ट खाद तैयार की जाएगी। यह उपकरण कार्बन फिल्टर, श्रेडर, एयरपंप, सोलर पैनल जैसी उन्नत सुविधाओं से लैस है। वैज्ञानिकों ने इसे भूमि नाम दिया है। इससे कचरे को स्वदेशी रूप से जैविक खाद में बदला जा सकता है। इसमें केवल 10 से 20 दिन लगते हैं।

संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में जैविक कचरे का प्रबंधन हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए यह ङ्क्षचता का विषय भी है। आइआइटी की कंपनी के वैज्ञानिकों ने स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण के लिए यह उपकरण बनाकर महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इससे जुड़े वैज्ञानिकों को बधाई देकर कहा कि यह उपकरण जैविक कचरे के उपचार के लिए एक वरदान साबित होगा और स्वच्छ भारत अभियान और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करेगा।

कुल कचरे का 60 फीसद जैविक कचरा : निदेशक ने बताया कि भारत में कुल कचरे का लगभग 60 फीसद जैविक कचरा है। साथ ही अपशिष्ट खाद भी समय की आवश्यकता मानी जा रही थी। भूमि उपकरण जैविक खाद बनाने के बुनियादी विज्ञान का पालन करता है। यह सबसे तेज गति से खाद विकसित करने का उपकरण है। इस उपकरण में जैविक अपशिष्ट हापर के माध्यम से डाला जाता है और इनबिल्ट श्रेडर इसे छोटे और समान टुकड़ों में काटता है।

इसके बाद बारीक कटा कचरा मशीन के मुख्य भाग में जाता है, जहां खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। इसकी गति बढ़ाने के लिए अंदर एक मिक्सर और वायु पंप भी स्थापित किया गया है, ताकि 10-20 दिन में ही कंपोस्टिंग हो सके। प्रक्रिया को नियमित रूप से मापने के लिए तापमान और आद्र्रता सेंसर भी लगाए गए हैं। डिवाइस में कार्बन फिल्टर स्थापित करके गंध की समस्या को हल किया गया है। साथ ही सोलर पैनल ऊर्जा को बनाए रखते हैं। यह उपकरण अपार्टमेंटों, होटलों, छात्रावासों, संस्थानों में स्थापित किया जा सकता है। कुशल और लागत प्रभावी डिजाइन के कारण अन्य उपकरणों से यह 30 फीसद तक सस्ता है।


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