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IIT Kanpur की एक और उपलब्धि, विकसित किया एक्चुएटर, अंतरिक्ष रोबोट और चिकित्सा क्षेत्र में होगा इस्तेमाल

आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों ने कृत्रिम मांसपेशी का प्रोटोटाइप तैयार किया है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष रोबोट चिकित्सा क्षेत्र के कृत्रिम अंग बनाने में किया जा सकेगा। इसके अलावा स्मार्ट बिल्डिंग आटोमोबाइल और विमानन उद्योग में भी उपयोग किया जा सकेगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 20 Jul 2022 10:57 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jul 2022 10:57 AM (IST)
IIT Kanpur की एक और उपलब्धि, विकसित किया एक्चुएटर, अंतरिक्ष रोबोट और चिकित्सा क्षेत्र में होगा इस्तेमाल
आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों ने कृत्रित मांसपेशी विकसित की है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के विशेषज्ञों ने आकार स्मृति नामक मिश्रित धातु (शेप मेमोरी एलाय) से कृत्रिम मांसपेशी और उस पर आधारित विशेष संचालक (एक्चुएटर) विकसित किया है। इससे जरूरत के मुताबिक बल उत्पन्न व नियंत्रित किया सकेगा। भविष्य में इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष रोबोट, मेडिकल उपकरणों, कृत्रिम अंग विकसित करने के साथ ही स्मार्ट बिल्डिंग, आटोमोबाइल और विमानन उद्योग संबंधी संयंत्रों में किया जा सकेगा। संस्थान में बन रहे स्कूल आफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलाजी में भी इन्हीं एक्चुएटर से तमाम उपकरणों को तैयार किया जाएगा।

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आइआइटी स्थित स्मार्ट मैटीरियल्स, स्ट्रक्चर्स एंड सिस्टम्स लैब के इंजीनियर कन्हैयालाल चौरसिया, श्री हर्षा व शोधार्थी यशस्वी सिन्हा मिलकर विशेष मांसपेशी व उस पर आधारित संचालक (एक्चुएटर) तैयार किया है। टीम का नेतृत्व मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर बिशाख भट्टाचार्य ने किया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में क्वाइल व विद्युत चुंबकीय प्रणाली पर आधारित एक्चुएटर बाजार में आ रहे हैं, जो विभिन्न संयंत्रों में इस्तेमाल होते हैं। इनमें गति व बल को नियंत्रित करने के लिए अलग से गियर लगाना पड़ता है।

अब उद्योगों की मांग के अनुसार छोटा, हल्के वजन का गैर-चुंबकीय गियर मुक्त एक्चुएटर विकसित किया है, जिसमें विशेष तरह की मिश्र धातु शेप मेमोरी एलाय (एसएमए) का इस्तेमाल किया है। यह पारंपरिक एक्चुएटर का विकल्प होगा। कन्हैयालाल ने बताया कि इस तकनीक में आकार स्मृति मिश्र धातु से बने तारों का संयोजन किया है, जिससे किसी भी कार्य के लिए जरूरी बल व गति मिल सकेगी। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि इस आविष्कार से अगली पीढ़ी के स्पेसरोबोट व मेडिकल उपकरणों का विकास होगा। विमानन व अन्य उद्योगों को भी मदद मिलेगी।

यह होता है एक्चुएटर

एक्चुएटर (संचालक) वह उपकरण है, जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलकर किसी वस्तु को गति व आवश्यक बल प्रदान करता है। सामान्य दैनिक जीवन में हर दिन लोग इस तरह के एक्चुएटर को देखते हैं। मोटर बाइक, फोटोकापी मशीन, पानी या पंखे की मोटर, एमआरआइ स्कैनर, सीटी स्कैनर आदि सभी उपकरणों में एक्चुएटर हैं। ज्यादातर एक्चुएटर तारों की क्वाइल से चलते हैं। नए अविष्कार में आकार स्मृति मिश्र धातु का इस्तेमाल किया गया है, जो उच्च तापमान में भी अपने आकार को बहाल कर सकती है।

उपकरण से यह होगा लाभ

सामान्य एक्चुएटर की अपेक्षा कृत्रिम मांसपेशी आधारित एक्चुएटर एक तिहाई कम वजह में ही उतना बल व गति उत्पन्न कर सकता है। इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा तो कीमत 35 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। वजन भी 67 प्रतिशत कम होगा और शोरमुक्त उपकरण बनेगा। यही नहीं, सामान्य एक्चुएटर के वजन के बराबर अगर इसे तैयार किया जाए तो यह ढाई से तीन गुना ज्यादा बल व गति उत्पन्न करता है। यही नहीं प्रति यूनिट वजन में लगभग 70 प्रतिशत बल उत्पन्न करने के साथ इसका डिजाइन बनाया गया है।

जांघ की मांसपेशी का डिजाइन

कन्हैयालाल ने बताया कि मनुष्य की जांघ में विशेष तरह की मांसपेशी होती है, जिसे बाइपेनेट मसल कहा जाता है। यह मांसपेशी ही मनुष्य को जरूरत के मुताबिक बल देती है। इसी मांसपेशी के आधार पर शेप मेमोरी एलाय से कृत्रिम मांसपेशी बनाई गई, जिसका इस्तेमाल एक्चुएटर बनाने में किया गया। इसमें एसएमए तारों से बने तंतु विशिष्ट रूप से मांसपेशी की ओर झुके होते हैं, जिससे पांच से छह गुना उच्च बल उत्पन्न होता है। संस्थान के इस शोध को नेचर वैज्ञानिक रिपोर्ट में भी प्रकाशित किया गया है।


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