देश की पुलिस के लिए मददगार बनेगा आइआइटी कानपुर, इस तरह साथ करेगा काम Kanpur News
आपराधिक न्याय अनुसंधान केंद्र में फोरेंसिक जांच व फोटो एनालिसिस की तकनीक विकसित होगी।
कानपुर, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) फोरेंसिक जांच, वीडियो, फोटो और फिंगर प्रिंट एनालिसिस के लिए नई तकनीक ईजाद करेगा। इसके लिए संस्थान में आपराधिक न्याय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है, जो साइबर सिक्योरिटी सेंटर के साथ मिलकर काम करेगा। वरिष्ठ प्रोफेसर व वैज्ञानिकों ने रिसर्च भी शुरू कर दी है, ताकि नई तकनीक की मदद से आपराधिक मामलों का जल्द व सटीक हल निकाला जा सके। इससे देश की पुलिस को अपराध नियंत्रण में मदद मिलेगी।
अपराध नियंत्रण को विकसित होगी तकनीक
आइआइटी में स्थापित आपराधिक न्याय अनुसंधान केंद्र का नेतृत्व इंडियाना यूनिवर्सिटी ब्लूमिंगटन के विजिटिंग फैकल्टी डॉ. अरविन्द वर्मा करेंगे। आपराधिक न्याय के क्षेत्र में डॉ. वर्मा वर्षों से काम कर रहे हैं। भारतीय पुलिस के साथ काम करने का भी इनके पास लंबा अनुभव रहा है। इस केंद्र के माध्यम से पुलिस को अपराध कम करने, नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने व उनकी सहायता करने में आसानी होगी। इसके लिए यहां विकसित तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। केंद्र में आइआइटी के वरिष्ठ प्रोफेसर व वैज्ञानिकों के अलावा रिसर्च स्कॉलर व पुलिस अधिकारी भी सहयोग करेंगे।
देश में यह अपनी तरह का पहला केंद्र
साइबर सिक्योरिटी सेंटर के प्रभारी व कम्प्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष प्रो. संदीप शुक्ला ने बताया कि आपराधिक न्याय अनुसंधान केंद्र देश में अपनी तरह का पहला ऐसा केंद्र है जो अपराध का अध्ययन करने के लिए कैटेलिक टूल्स विकसित करेगा और इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को देगा। यहां विधिक जांच के लिए नई तकनीक विकसित करने के अलावा मशीन लर्निंग एप्लीकेशन का इस्तेमाल भी किया जाएगा। यह केंद्र समय-समय पर योजना बनाने व प्रबंधन प्रौद्योगिकी में पुलिस विभाग को परामर्श भी देगा। इसके अलावा दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से पुलिस, निजी क्षेत्रों के सुरक्षाकर्मी व न्यायिक कर्ताओं के लिए डाटा विश्लेषण व मानसिक चित्रण का सर्टिफिकेट कोर्स व कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी।