IIT Kanpur और CSA University ने की है ऐसी तैयारी, आ रहा कृषि युग परिवर्तन का समय
लॉकडाउन के बाद आइआइटी और चंद्रशेखर आजार कृषि विवि के बीच करार होगा।
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। पुरातन काल से हल-बैल से खेत की जुताई और बुवाई का सिलसिला चला, फिर तकनीक का पहिया घूमा और कृषि यंत्रों का जामाना आया। लोहे से निर्मित यंत्रों को बैलों के प्रयोग से चलाया गया, एक बार फिर चक्र घूमा और ट्रैक्टर समेत जुताई से लेकर बुवाई तक यंत्रों ने युग परिवर्तन किया। अब एक बार फिर कृषि का युग परिवर्तन का समय आ गया है और अब हाईटेक खेती की तैयारी शुरू हो गई है।
आने वाले समय ड्रोन से होगी बुवाई
अब वो दिन दूर नहीं जब किसान खेतों में ड्रोन से बीज रोपाई, कीटनाशक छिड़काव और सिंचाई करेंगे। सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि फसलों के लिए नुकसानदेह कीट या फसल के संक्रमित होने पर ड्रोन के सेंसर आगाह करेंगे, जिससे समय से इनकी रोकथाम कर भरपूर फसल ली जा सकेगी। इस सपने को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मिलकर साकार करने वाले हैं।
लॉकडाउन के बाद होगा करार
लॉकडाउन के बाद सीएसए और आइआइटी के बीच करार होगा और कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का दौर शुरू हो जाएगा। सीएसए कुलपति डॉडीआर सिंह ने इस पर आइआइटी निदेशक प्रो. अभय करंदीकर को प्रस्ताव भेजा था। आइआइटी निदेशक के स्वीकार करने के बाद इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेल से जुड़े अधिकारी दो दिन पहले ही सीएसए का निरीक्षण कर चुके हैं। शासन को प्रोजेक्ट भेजने की प्रक्रिया चल रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र से किसानों तक पहुंचेगी तकनीक
किसानों की आय दोगुनी करने और तकनीक से समृद्ध करने की कवायद चल रही है। इसके लिए आइआइटी और सीएसए मिलकर काम करेंगे। करार के बाद सबसे पहले संस्थान के छात्र-छात्रएं विश्वविद्यालय जाएंगे। कृषि विज्ञान केंद्रों में किसानों से मिलेंगे, उनकी समस्याएं जानेंगे। इसी तरह सीएसए छात्र आइआइटी में तकनीकी जानकारी जुटाएंगे। समस्याओं के निस्तारण के लिए आइआइटी के तकनीकी विशेषज्ञों की मदद लेंगे। उसके बाद कृषि, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन आदि के क्षेत्र में भी उद्यमिता विकास करेंगे।
-भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर और चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मिलकर फसलों को खराब होने से बचाने के लिए और उनकी बेहतर उपज के लिए तकनीक विकसित करेंगे। शासन को भी इसका प्रस्ताव भेजा गया है। लॉकडाउन खुलते ही संस्थान और विश्वविद्यालय में करार होगा। -डॉ. डीआर सिंह, कुलपति सीएसए विश्वविद्यालय
चरणवार ऐसे होगा काम
मिट्टी: गुणवत्ता जांच आसानी से होगी। एप पर आधारित सिस्टम तैयार होगा, जिसमें मिट्टी का घोल डालते ही उसमें सोडियम, पोटेशियम, मैग्नेशियम आदि का आकलन हो जाएगा। इसके लिए एप पूर्व में तैयार किया जा चुका है।
रोग, खरपतवार: रोग, खरपतवार, शत्रु कीटों का पूरा ब्यौरा ड्रोन में लगे सिस्टम में अपलोड रहेगा। फसल के बीच उ़ते ही ड्रोन जैसे ही संक्रमित हिस्से के संपर्क में आएगा, उसके सेंसर संकेत दे देंगे।
कीटों पर हमला: फॉल आर्मी वर्म, टिड्डे समेत अन्य तरह के कीट फसलें खा जाते हैं। ड्रोन ऐसा होगा, जिससे वह कीटों का सफाया कर सकें।
रसायन: ड्रोन की सहायता से रसायनों का छिड़काव किया जा सकेगा।
सिंचाई: पौधों को जितने पानी की आवश्यकता है, उतना ही मिलेगा।
पशु: गौवंशों का चारा खिलाने, बांधने, दूध निकालने आदि के लिए तकनीक विकसित होगी।