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छात्र की इस खोज से किसानों के लिए खेती करना होगा और आसान, कीमत भी बहुत कम Kanpur News

इंजनरहित हार्वेस्टर के लिए सिडबी इनोवेशन एंड इनोवेशन सेंटर आइआइटी से अनुदान भी स्वीकृत हो गया है।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 08:19 AM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 08:19 AM (IST)
छात्र की इस खोज से किसानों के लिए खेती करना होगा और आसान, कीमत भी बहुत कम Kanpur News
छात्र की इस खोज से किसानों के लिए खेती करना होगा और आसान, कीमत भी बहुत कम Kanpur News

कानपुर, विक्सन सिक्रोडिय़ा। आइटीआइ के पूर्व छात्र की एक खोज ने किसानों के लिए खेती को आसान कर दिया है। अब किसानों को धूल और धुआं से परेशानी नहीं होना पड़ेगा और उनके हाथ को भी आराम के साथ कमर भी नहीं झुकेगी। दिन भर में किसान अकेले ही एक एकड़ फसल काट सकेगा, वह भी बिना डीजल और कंबाइन के। इसे साकार किया है, राजकीय औद्योगिक संस्थान (आइटीआइ) के फिटर ट्रेड के पूर्व छात्र चंद्रशेखर ने।

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इंजन रहित हार्वेस्टर की बनाया

चंद्रशेखर ने इंजन रहित हार्वेस्टर बनाया है, इसे चलाने के लिए न तो ट्रैक्टर चाहिए न जेन सेट। कंबाइन भी नहीं चाहिए। यह हार्वेस्टर ठेला गाड़ी की तरह चलाया जाएगा। चंद्रशेखर की इस खोज को वर्ष का बेहतर प्रयोग मानते हुए सिंडिकेट बैंक इनोवेशन (सिडबी) के साथ चलने वाले आइआइटी इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर ने स्टार्टअप में शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके लिए अनुदान भी स्वीकार कर लिया है। आइआइटी की टीम ने हार्वेस्टर का खेत में प्रयोग कर परिणाम देखा, फिर यह फैसला किया।

एक साल तक खेत में किया अध्ययन

चंद्रशेखर ने एक साल तक खेत में विभिन्न स्थितियों में फसल कटाई की जरूरत का अध्ययन कर यह हार्वेस्टर तैयार किया है। इस हार्वेस्टर से धान और गेहूं की एक एकड़ फसल एक दिन में आसानी से काटी जा सकती है। इस इंजनरहित हार्वेस्टर में दस इंच के छह कटर, फसल को पकडऩे के लिए कैचर एसेंबली, पकड़कर ढेर बनाने के लिए कैचर और थ्रोअर लगा हुआ है। यह एक साथ तीन फीट चौड़ाई पर फसल कटाई करता है। इसके अलावा इसमें हैंडल, गेयर व क्लचवायर लगा हुआ है। इससे आवश्यकतानुसार हार्वेस्टर को तेज या धीमा किया जा सकता है। सिडबी के हाउसिंग चेयर राहुल पटेल ने कहा कि चंद्रशेखर का प्रयोग अनुदान के लिए चुन लिया गया है।

15000 में तैयार हुआ, अब 6000 में बनेगा

चंद्रशेखर के अनुसार हार्वेस्टर का प्रोटोटाइप बनाने में 15 हजार रुपये लगे हैं। इंक्यूबेशन स्टार्टअप में शामिल होने के बाद अधिक संख्या में बनने पर इसकी लागत छह हजार रुपये तक आएगी। हार्वेस्टर प्रति एकड़ किसानों के बीस लीटर डीजल यानी 1300 रुपये और कंबाइन का किराया बचाएगा। कंबाइन से गेहूं और धान की कटाई में प्रति एकड़ करीब 20 लीटर डीजल की खपत होती है।


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