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सिर्फ कमाई के लिए मरीज नहीं भेजे जा सकेंगे आइसीयू

बेवजह की जांच और अनावश्यक रूप से इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में भेजे जाने से परेशान मरीज और तीमारदारों के लिए राहत भरी खबर है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 02:02 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:03 AM (IST)
सिर्फ कमाई के लिए मरीज नहीं भेजे जा सकेंगे आइसीयू
सिर्फ कमाई के लिए मरीज नहीं भेजे जा सकेंगे आइसीयू

राजीव सक्सेना, कानपुर

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बेवजह की जांच और अनावश्यक रूप से इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में भेजे जाने से परेशान मरीज और तीमारदारों के लिए राहत भरी खबर है। अब ऐसा करने वाले नर्सिग होम व चिकित्सकों की वह शिकायत कर सकेंगे। रेडक्रास की पहल पर जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने शिकायत प्रकोष्ठ गठित करने का निर्णय लिया है। इसकी जिम्मेदारी मुख्य चिकित्साधिकारी को सौंपी गई है जो इन शिकायतों की जांच कराएंगे। जांच में ढिलाई न हो, इसलिए रेडक्रास के पदाधिकारी साथ रहेंगे।

शहर के कई नर्सिग होम में अनावश्यक जांच के लिए मरीजो को हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। तमाम चिकित्सक अपने से जुड़ी पैथोलॉजी से जांच कराते हैं। वे दूसरी पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट नहीं मानते। इंडियन रेडक्रास सोसाइटी को पिछले दिनों से ऐसी तमाम शिकायतें मिलीं। इनको लेकर रेडक्रास सोसाइटी के सचिव आरके सफ्फड़ ने जिलाधिकारी जो रेडक्रास सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं, उन्हें पत्र लिखा और चिंता जताई। उन्होंने शिकायत की कि मरीजों को वेंटीलेटर पर भी गैर जरूरी तरीके से भेजकर रोज हजारों रुपये के बिल बनाए जाते हैं। इससे तीमारदार आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। नर्सिग होम में तोड़फोड़ की ज्यादातर घटनाएं भी इसी वजह से हो रही हैं। इस पर जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अशोक कुमार शुक्ला को तुरंत शिकायत प्रकोष्ठ बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने प्रकोष्ठ के फोन नंबर सार्वजनिक करने के लिए कहा है ताकि तीमारदार और मरीज शिकायत कर सकें। इस संबंध में जिलाधिकारी ने बताया कि शिकायतों की जांच के लिए टीम गठित होगी जो जांच भी करेगी। रेडक्रास पदाधिकारियों को भी जांच में ले जाने के लिए कहा है ताकि गड़बड़ी होने पर नर्सिग होम पर कार्रवाई हो सके।

केस एक

लालबंगला निवासी ओमप्रकाश की बेटी एक नर्सिग होम में भर्ती थी। उसे गंभीर बताकर वहां आइसीयू में शिफ्ट कर दिया। परिजन कहते रहे कि बेटी की स्थिति इतनी खराब नहीं है कि उसे आइसीयू में रखें लेकिन, नर्सिग होम में कहा गया कि मरीज को ले जाओ या आइसीयू में रहने दो।

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केस दो

एक नर्सिग होम में तीमारदारों को दो यूनिट रक्त लाने के लिए कहा गया। परिजन ब्लड बैंक से रक्त लाए तो नर्सिग होम में कहा गया कि सिर्फ अपने यहां का रक्त मरीज को चढ़ाते हैं। बाहर से लाया गया रक्त नहीं चढ़ाएंगे। आखिर वह रक्त बेकार गया। परिजन को नर्सिग होम में रक्त देकर बदले में रक्त लेना पड़ा।

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