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बार-बार टेनरी बंदी से गिरी साख, विदेशी मेहमानों के मुंह मोडऩे से होटल उद्योग भी चौपट

शहर में पासपोर्ट के आंकड़े बदहाली के हालात बयां कर रहे हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 02:15 PM (IST)
बार-बार टेनरी बंदी से गिरी साख, विदेशी मेहमानों के मुंह मोडऩे से होटल उद्योग भी चौपट
बार-बार टेनरी बंदी से गिरी साख, विदेशी मेहमानों के मुंह मोडऩे से होटल उद्योग भी चौपट

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। बार-बार टेनरी बंदी से शहर की साख संकट में है। इससे न केवल टेनरी कारोबार प्रभावित है, बल्कि इसके असर से होटल उद्योग भी चौपट हो गया है। पुलिस के पासपोर्ट विभाग के आंकड़े विदेशी मेहमानों के मुंह मोडऩे और बदहाली की कहानी बयां कर रहे हैं।

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शहर आने वाले विदेशी मेहमानों के बारे में पुलिस का पासपोर्ट व खुफिया विभाग आंकड़े एकत्र करता है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक करीब दस साल पहले जब शहर में टेनरी उद्योग खूब फल-फूल रहा था, उस समय हर महीने औसतन 800 विदेशी मेहमानों का कानपुर आना था। साल 2009 के एक महीने में सर्वाधिक 879 विदेशी मेहमान यहां आए थे। हालांकि इसके बाद संख्या लगातार घटती आ रही है। साल 2013 में विदेशी मेहमानों की आवाजाही घटकर औसतन करीब 600 रह गई, जबकि साल 2015 के बाद इसमें तेजी से गिरावट दर्ज की गई। मौजूदा समय में औसतन केवल 90 से 100 विदेशी कानपुर आ रहे हैं।

ये हैं प्रमुख वजह

1-पूर्व में सऊदी अरब, इराक, ईरान, यूरोप, आस्ट्रेलिया, चीन और हांगकांग के चमड़ा कारोबारियों का कानपुर से गहरा नाता था। बार-बार टेनरी बंदी से उनकी माल सप्लाई लडख़ड़ाई तो उन्होंने दूसरे ठिकाने तलाश लिए और कानपुर आना छोड़ दिया।

2-कानपुर की टेनरी का काम न सिर्फ पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश शिफ्ट हुआ, बल्कि एक बड़ा भाग पड़ोसी जिले उन्नाव भी स्थानांतरित हो गया। माना यह भी जा रहा है कि जो लोग अब आ रहे हैं वह लखनऊ एयरपोर्ट से सीधे उन्नाव आकर वापस लौट रहे हैं।

इनकी भी सुनिए

-टेनरी बंदी से विदेशी खरीदारों का आना कम हुआ है। विदेशी मुद्रा के रूप में बड़ी पूंजी कमाने वाला यह कारोबार अब शादी समारोहों तक सीमित है, इसीलिए शहर के डेढ़ दर्जन से अधिक होटल अब होटल कम पार्टी लॉन में तब्दील हो गए हैं। -विजय पंडित, चेयरमैन, कानपुर होटल रेस्टोरेंट एसोसिएशन 

-बार-बार टेनरी बंदी से विदेशी खरीदार घटे हैं। बीते पांच साल में कारोबार खत्म सा हो गया है। उद्योग अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। -असद इराकी, टेनरी संचालक व निर्यातक 

निर्यात की गिरती सेहत

  • 2017-18 में 8000 करोड़

  • 2018-19 में 6500 करोड़
  • 2019-20 में 4100 करोड़ (अनुमानित)

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