कानपुर में शास्त्री नगर के लोग एक जगह होली जलाकर बचा रहे पर्यावरण, पहले जलती थीं छह होलिकाएं
शहर में अभी भी कई स्थानों पर छोटी बड़ी होलियां मानक को ताख पर रखकर जलाई जाती हैं। इसमें न तो सड़क के खराब होने का ख्याल रखा जाता है । ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां मिट्टी मौरंग ईंट व बालू की पर्त बिछाए बगैर होली जलाई जाती है।
कानपुर, जेएनएन। होलिका जलाने के साथ अब शहरवासी पर्यावरण की चिंता करने लगे हैं। कई स्थानों पर होलियां घटी हैं, जबकि कुछ स्थानों पर एक मुहल्ला एक होली पर चर्चा की जा रही है। इससे कम से कम लकड़ी जलेगी और प्रदूषण से भी राहत मिलेगी। शास्त्री नगर में छोटा सेंट्रल पार्क में अब एक होली जलने लगी है, जबकि पहले यहां छह होलियां जला करती थीं। स्थानीय निवासियों ने इस पर विचार किया और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं।
शहर में अभी भी कई स्थानों पर छोटी बड़ी होलियां मानक को ताख पर रखकर जलाई जाती हैं। इसमें न तो सड़क के खराब होने का ख्याल रखा जाता है और न ही प्रदूषण बढऩे का। ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां मिट्टी, मौरंग, ईंट व बालू की पर्त बिछाए बगैर होली जलाई जाती है। इसके अलावा टायर, ट््यूब, कागज व कपड़े भी होलिका में रख दिए जाते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। ऐसे क्षेत्रों को शास्त्री नगर मुहल्ले से सीख लेनी चाहिए। पर्यावरणविद् की मानें तो लकड़ी से अच्छी कंडे की होली होती है। इससे पर्यावरण को उतना नुकसान नहीं होता है।
इनकी भी सुनिए
- शास्त्री नगर में छोटा सेंटर पार्क में एक होली जलती है। पहले 12 जगह होली जलती थीं। फिर घटकर छह होलियां जलाई जाने लगीं। अब वार्ड 91 में एक होली के बीच लोग त्योहार मनाते हैं। - राघवेंद्र मिश्रा, पार्षद
- दैनिक जागरण की यह अच्छी पहल है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए लोग ऐसी चीजें होलिका में न रखें, जिनसे प्रदूषण बढ़े। उनके क्षेत्र में पहले कई होलियां जला करती थीं अब एक होली के बीच लोग अपनी खुशियां मनाते हैं। - राकेश कुमार अवस्थी, स्थानीय निवासी शास्त्री नगर