कानपुर: जीएसटी की पेनाल्टी ना चुकाने वाले कारोबारियों से अब निपट रहा हाइटेक सिस्टम, खुद ही माइनस हो रही राशि
अभी तक पेनाल्टी ना चुकानी पड़े इसके लिए कारोबारी इलेक्ट्रानिक लेजर में रुपये डालते ही टैक्स चुका देते थे। अब लेजर में धन ना होने पर माइनस में डिमांड डाली जाएगी धन आते ही एक सेकेंड में राशि कट जाएगी।
कानपुर, जागरण संवाददाता। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) में पुराने अर्थ दंड को ना चुकाने वाले कारोबारियों से खुद सिस्टम ही निपट रहा है। विभाग ने ऐसी व्यवस्था की है कि जो व्यापारी लंबे समय से कारोबार तो कर रहे हैं लेकिन अपने ऊपर लगाई गई पेनाल्टी को चुका नहीं रहे हैं, उनसे सिस्टम खुद ही यह पेनाल्टी वसूल ले। इसके लिए सिस्टम में माइनस में बकाया राशि को फीड कर दिया जाता है, जिससे सिस्टम इलेक्ट्रानिक लेजर में धन राशि आते ही उसे काट कर विभाग के खाते में डाल देता है।
जीएसटी में बहुत से ऐसे कारोबारी हैं जो समय समय पर पेनाल्टी लगाए जाने के बाद उसे चुकाने की जगह टालते रहते हैं। जीएसटी के अधिकारी कारोबारी के खिलाफ डिमांड तो जारी करते हैं लेकिन वसूली नहीं पाते। ऐसे कारोबारी जब 20 तारीख के करीब उन्हें अपना टैक्स चुकाना होता है तो वह अपने इलेक्ट्रानिक लेजर में धन ट्रांसफर करते हैं और तुरंत उसे टैक्स के रूप में जमा कर देते हैं। इसके चलते जीएसटी के अधिकारी उनके इलेक्ट्रानिक लेजर में धन आने के बाद भी उसे पेनाल्टी के रूप में वसूल नहीं कर पाते। कई बार अधिकारी कारोबारी की इनपुट टैक्स क्रेडिट को ब्लाक कर देते हैं। इससे उनके इलेक्ट्रानिक लेजर में जो सरप्लस राशि होती है, विभाग उसे पेनाल्टी को वसूलने के लिए निकाल लेता है। इसे देखते हुए कारोबारी भी सक्रिय हो गए हैं और वह इलेक्ट्रानिक लेजर में सरप्लस राशि रखते ही नहीं। इस तरह बिना पेनाल्टी चुकाए कारोबारी अपना व्यापार करते रहते हैं। उन्हें जब टैक्स चुकाना होता है, उसी समय राशि या आइटीसी जेनरेट कर उसे समायोजित कर खत्म कर देते हैं। इसकी वजह से विभाग की जो पेनाल्टी होती है, उसकी वसूली नहीं हो पाती।
अब विभाग ने सिस्टम पर ऐसी व्यवस्था की है अगर इलेक्ट्रानिक लेजर में कोई राशि नहीं है तो उसमें माइनस में डिमांड जारी कर सकते हैं। ऐसे में जब भी कारोबारी टैक्स जमा करने के लिए बैंक के जरिए धन इलेक्ट्रानिक लेजर में डालता है, या इनपुट टैक्स क्रेडिट को उसमें लाता है। सिस्टम उस राशि के आने के सेकेंड भर में खुद ही माइनस डिमांड के आधार पर उसके खाते से रुपये निकाल कर पेनाल्टी वसूल कर लेता है। इस संबंध में वाणिज्य कर विभाग के एडीशनल कमिश्नर ग्रेड वन जोन वन पीके सिंह के मुताबिक कुछ दिन पहले ही यह सिस्टम शुरू हुआ है। इसके आने से विभाग को काफी राहत मिली है।