पानी में पाए जाने वाले हेवी मेटल बताएगी देश में निर्मित सस्ती मशीन
पानी में पाए जाने वाले हानिकारक तत्वों का पता लगाने के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने एक मशीन ईजाद की है।
By Edited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 01:21 AM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 10:43 AM (IST)
कानपुर(जागरण संवाददाता)। पानी में पाए जाने वाले हानिकारक तत्वों का पता लगाने के लिए छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने एक मशीन ईजाद की है। मैकेनिकल इंजीनिय¨रग के छात्र रहे अनुज अवस्थी ने बताया कि यह देश की पहली ऐसी मशीन है जो विदेशों से आने वाली मशीनों की अपेक्षा बेहद सस्ती व छोटी है।
पानी में पाए जाने वाले हानिकारक तत्व मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, थैलियम व लेड की मात्रा की जांच करने के लिए जिन मशीनों का अभी इस्तेमाल हो रहा है वह यूएस, जर्मनी व यूके से आती हैं। इन मशीनों की कीमत दस लाख रुपये व उससे अधिक है, जबकि उनके द्वारा बनाई गई मशीन की कीमत 2.70 लाख है। इसका इस्तेमाल इंडस्ट्री से निकलने वाले प्रदूषित जल की जांच के लिए किया जा सकता है। अगले चरण में इससे भी छोटी मशीन बनाए जाने पर कार्य चल रहा है, उसका घरेलू इस्तेमाल किया जा सकेगा।
विश्वविद्यालय से पासआउट होने के बाद अनुज अवस्थी ने आइआइटी में रिसर्च एसोसिएट के रूप में काम करने के दौरान स्टार्टअप इंडिया के तहत सहपाठियों के साथ मिलकर एक कंपनी भी बनाई है। सेंसर बताएगा पानी का हाल अनुज अवस्थी ने बताया कि डिजिटल सर्किट, एनालॉग सर्किट, सॉफ्टवेयर व दो सेंसर के द्वारा यह काम्पेक्ट टेस्टिंग मशीन तैयार की गई है।
इसे बनाने में एक साल का समय लगा। मशीन में पानी का सैंपल डाला जाता है, जिसके बाद यह सिग्नल देती है। इसका मापन यंत्र बताता है कि पानी में कितनी मात्रा में हैवी मेटल हैं। मोबाइल बैटरी की टेस्टिंग भी करेगा संयंत्र पानी की गुणवत्ता जांचने के अलावा इस संयंत्र से मोबाइल बैटरी की टेस्टिंग भी की जा सकती है। इसके द्वारा बैटरी के इलेक्ट्रोड मैटेरियल व लीथियम आयन की जांच की जाती है।
पानी में पाए जाने वाले हानिकारक तत्व मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, थैलियम व लेड की मात्रा की जांच करने के लिए जिन मशीनों का अभी इस्तेमाल हो रहा है वह यूएस, जर्मनी व यूके से आती हैं। इन मशीनों की कीमत दस लाख रुपये व उससे अधिक है, जबकि उनके द्वारा बनाई गई मशीन की कीमत 2.70 लाख है। इसका इस्तेमाल इंडस्ट्री से निकलने वाले प्रदूषित जल की जांच के लिए किया जा सकता है। अगले चरण में इससे भी छोटी मशीन बनाए जाने पर कार्य चल रहा है, उसका घरेलू इस्तेमाल किया जा सकेगा।
विश्वविद्यालय से पासआउट होने के बाद अनुज अवस्थी ने आइआइटी में रिसर्च एसोसिएट के रूप में काम करने के दौरान स्टार्टअप इंडिया के तहत सहपाठियों के साथ मिलकर एक कंपनी भी बनाई है। सेंसर बताएगा पानी का हाल अनुज अवस्थी ने बताया कि डिजिटल सर्किट, एनालॉग सर्किट, सॉफ्टवेयर व दो सेंसर के द्वारा यह काम्पेक्ट टेस्टिंग मशीन तैयार की गई है।
इसे बनाने में एक साल का समय लगा। मशीन में पानी का सैंपल डाला जाता है, जिसके बाद यह सिग्नल देती है। इसका मापन यंत्र बताता है कि पानी में कितनी मात्रा में हैवी मेटल हैं। मोबाइल बैटरी की टेस्टिंग भी करेगा संयंत्र पानी की गुणवत्ता जांचने के अलावा इस संयंत्र से मोबाइल बैटरी की टेस्टिंग भी की जा सकती है। इसके द्वारा बैटरी के इलेक्ट्रोड मैटेरियल व लीथियम आयन की जांच की जाती है।
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