हार्ट स्पेशलिस्ट के अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य, जानिए- कैसे धूप से दूरी बना रही दिल का रोगी
हृदय रोग संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर ने हार्ट संबंधी मरीजों पर अध्ययन किया तो चौंकाने वाले तथ्य आए सामने आए हैं। इसमें विटामिन डी की कमी से इम्युनिटी घटती जा रही है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में संक्रमण से बचने के लिए घर से बाहर न निकलना और घूमना-फिरना बंद करना लोगों को भारी पड़ रहा है। विटामिन डी की कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) घटने और खून गाढ़ा होने से सक्रिय बैक्टीरिया संक्रमण बढ़ा रहे हैैं। हार्ट की धमनियों में प्लाक (चिपचिपा पदार्थ) कैल्शियम के साथ मिलकर जमने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है। इस समस्या को लेकर लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदयरोग संस्थान में मरीजों की संख्या बढ़ी है।
कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर के संक्रमण से बचने के लिए लोगों ने घरों से बाहर निकलना तो दूर छत पर जाना तक बंद कर दिया था। एक-दूसरे से मिलना-जुलना भी बंद था। उसके बावजूद काफी लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए। गंभीर बीमारियों से पीडि़त तो बेहाल हो गए। वहीं, स्वस्थ लोगों को कोरोना से उबरने के बाद यानी पोस्ट कोविड जटिलताएं शुरू हो गईं। काफी लोग हार्ट अटैक की समस्याओं के साथ हृदय रोग संस्थान पहुंचने लगे। उसमें शहर ही नहीं, आसपास के 15-20 जिलों के पीडि़त भी शामिल रहे। कोरोनाकाल में जहां बीमारियां कम हुईं थी, जबकि नसों से जुड़ी जटिलताएं बढऩे पर हृदयरोग विशेषज्ञ भी हैरान रह गए। ऐसे में हृदय रोग (कार्डियोलाजी) विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एसके सिन्हा ने अध्ययन शुरू किया।
ऐसे चला पता
मरीजों की केस हिस्ट्री से पता चला कि कोरोना काल के करीब डेढ़ साल से लोगों ने घर से निकलना कम कर दिया था। बड़ी संख्या में लोग घर से कार्यालय का कार्य (वर्क फ्राम होम) करते रहे। खानपान भी अनियमित रहा। विटामिन डी की कमी होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई। उसमें से ज्यादातर कोरोना की चपेट में आए, कुछ ने जांच कराई तो कुछ संक्रमण के बाद भी घर पर ही रहे। उसमें से 25-30 फीसद ऐसे थे, जिन्हें कभी कोई बीमारी ही नहीं थी, जो हार्ट अटैक, लंग्स अटैक और ब्रेन स्ट्रोक की समस्या लेकर आए।
यह रही मूल समस्या
एंजियोग्राफी जांच में उनमें विटामिन डी की कमी मिली। इससे उनकी इम्यूनिटी कमजोर हुई। इससे खून की नसों की अंदर की कोटिंग यानी इंडोथीलियम जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गई। इस कोटिंग या परत से विशेष प्रकार के केमिकल इंडोथीलियम रेक्टीफाइड फैक्टर और नाइट्रिक आक्साइड, जो खून में मिलकर उसे पतला रखते हैं कम हुए। कोटिंग क्षतिग्रस्त होने से जगह-जगह बैक्टीरियल इंफेक्शन से खून की थक्के बनने लगे। इससे प्लाक कैल्शियम और कोलेस्ट्राल के साथ मिलकर खून की नलिकाओं में अवरोध उत्पन्न करने लगा और हार्ट की पंपिंग प्रभावित होने लगी।
ऐसे दूर करें विटामिन डी की कमी : आधा घंटे धूप का सेवन, दूध, गाय का दूध, पनीर, दही, मक्खन, छाछ, काड लिवर आयल, गाजर, अंडा, पपीता, मछली व विटामिन की डोज।
कमी से होती समस्या : प्रतिरोधक क्षमता में कमी, हाई ब्लड प्रेशर, चेहरे व हाथों में झुर्रियां, हड्डियों में कमजोरी, मांसपेशियों में कमजोरी, थकावट, नींद आना, डिप्रेशन व अन्य संक्रमण होना।
-संस्थान में आए सामान्य व पोस्ट कोविड के 25-30 फीसद मरीजों में विटामिन डी की कमी मिली। प्रतिरोधक क्षमता कम होने से नसों में ब्लाकेज से खून की आपूर्ति प्रभावित हुई। इससे न सिर्फ हार्ट अटैक, बल्कि लंग्स अटैक और ब्रेन स्ट्रोक की समस्या भी हुई। विटामिन डी सिर्फ हड्डियों ही नहीं, इम्यून सिस्टम के लिए भी जरूरी है। शरीर में दर्द, कमजोरी, थकान-तनाव होने पर इसकी जांच जरूर कराएं। -डा. एसके सिन्हा, एसोसिएट प्रोफसर, हृदय रोग विभाग, लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान।
कानपुर कार्डियोलाजी अस्पताल की स्थिति
-50-60 मरीज सामान्य दिनों में संस्थान की इमरजेंसी में आते हैैं।
-100-150 तक पहुंच जाती है सर्दी में मरीजों की संख्या
-600-700 मरीज ओपीडी में सामान्य दिनों में आते हैं।
-1000-1500 तक संख्या पहुंच जाती है सर्दी में संख्या