सूबे की पहली कामर्शियल कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई
प्रदेश की पहली कमर्शियल कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। यहां विभिन्न न्यायालयों से 300 से ज्यादा वाद स्थानांतरित किए गए हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : प्रदेश की पहली कमर्शियल कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। वर्षो से लंबित चल रही फाइलों में पक्षकारों को नोटिस भेजकर तलब किया गया है। प्रथम चरण में यहां तीन सौ से ज्यादा व्यावसायिक विवाद न्यायालयों से स्थानांतरित किए गए हैं। अभी चार-पांच सौ मामले और आ सकते हैं। इटावा, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज और कानपुर देहात से भी कामर्शियल विवाद आने हैं। इसके लिए उक्त जिलों के जनपद न्यायाधीशों को पत्र भेजा गया है। नए विवाद भी लगातार दाखिल हो रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि आधा दर्जन नए विवाद दाखिल हो चुके हैं।
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वर्ष 2004 से लंबित हैं वाद
कामर्शियल कोर्ट में भेजे गए व्यावसायिक विवादों के मामलों में कई वर्ष 2004 से लंबित हैं। इसके साथ ही वर्ष 2006 के बाद से चल रहे विवादों की संख्या अधिक है। इन मामलों के पक्षकारों को नोटिस जारी किया गया है।
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कामर्शियल कोर्ट एक्ट 2015
कामर्शियल कोर्ट एक्ट 2015 के तहत कामर्शियल कोर्ट की स्थापना की गई है। एक्ट 23 अक्टूबर 2015 से प्रभावी है। हालांकि कोर्ट प्रत्येक जिले में खुलना है, लेकिन कोर्ट सूत्रों के मुताबिक वर्तमान कामर्शियल कोर्ट का क्षेत्राधिकार कानपुर नगर के साथ, देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज और फर्रुखाबाद का भी है।
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ये व्यावसायिक विवाद सुने जाएंगे
-व्यापारियों, बैंकर्स, फाइनेंसर्स के सामान्य लेनदेन
-एक्सपोर्ट व इंपोर्ट
-जलमार्ग द्वारा भेजे गए माल
-एयरक्राफ्ट, एयर इंजन, एयरक्राफ्ट से जुड़े सामान,
-माल को ले जाना
-निर्माण और आधारभूत ढांचा और उनके टेंडर्स
-अचल संपत्ति के एग्रीमेंट
-फ्रेंचाइजी, डिस्ट्रीब्यूशन और लाइसेंस, मैनेजमेंट एंड कंसलटेंसी, ज्वाइंट वेंचर, शेयर होल्डर्स व इनवेस्टमेंट एग्रीमेंट
-पार्टनरशिप और टेक्नालॉजी डेवलपमेंट एग्रीमेंट
-बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े विषय जैसे कॉपीराइट, पेटेंट, डोमेन नेम, ट्रेडमार्क, डिजाइन
-जीएसटी, बीमा और वाणिज्य कर से जुड़े विवाद
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सुने जाएंगे तीन लाख से अधिक के विवाद
वर्ष 2015 में बने एक्ट में एक करोड़ या उससे अधिक रकम से जुड़े बड़े विवाद सुनने का कानून बनाया गया था। छोटे व्यापारियों के विवादों को दृष्टिगत रखते हुए मई 2018 में कानून संशोधन कर विवाद की धनराशि न्यूनतम तीन लाख रुपये कर दी गई।
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निर्णय की अपील हाईकोर्ट में
एक्ट में कामर्शियल कोर्ट, डिवीजन कोर्ट और अपीलीय कोर्ट का जिक्र है। कामर्शियल कोर्ट जिले में जबकि अन्य दोनों कोर्ट हाईकोर्ट में होंगी। कामर्शियल कोर्ट के निर्णय के खिलाफ 60 दिन में हाईकोर्ट में बनी डिवीजन कोर्ट में अपील की जा सकेगी। डिवीजन कोर्ट के निर्णय को हाईकोर्ट में ही अपीलीय कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।